नवागढ़ / शौर्यपथ / शुक्रवार को गणेश चतुर्थी पर नवागढ़ में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की प्रतिमाएं घर-घर में स्थापित की गयी । सुबह से जहां मंदिरों में भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया,वहीं बप्पा के भक्त विधि-विधान के साथ पूजन किया। गणेश मंदिरों में सुबह से अनुष्ठान शुरू हो गए हैं। जो दस दिनों तक विशेष रूप से चलेंगे। इस बार राजयोग में गणेश स्थापना पर विशेष अवसर भक्तों को मिल रहा है। जिसके लिए हर तरफ पर्व को लेकर उत्साह दिख रहा है। इस बार चित्रा और स्वाति नक्षत्र के सुखद संयोग में तुला राशि के चंद्रमा में रवि योग और राजयोग में यह गणेश चतुर्थी शुभ फलदायी रहेगी। अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर को पर्व का समापन होगा।
सड़कों पर बनने लगे पंडाल : कोरोना के कारण प्रशासन ने पंडालों के लिए गाइड लाइन बनाई है। जिसमें स्थापना से लेकर विसर्जन करने तक समितियों को क्या करना है यह बताया गया है। जिसके बाद से पंडालों के निर्माण में तेजी आ गई है। नवागढ़ के सुकुल पारा, देवांगन पारा, बावा पारा, बस स्टैंड, शंकर नगर, चौक, दर्री पारा आदि जगह पंडालो में गणपति विराजे है.
प्राचीन शमी गणेश मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र
नवागढ़ के ह्रदय स्थल में इतिहासिक शमी गणेश मन्दिर में विशेष कर गणेश पर्व के समय भक्तो का ताता लगा रहता है, दूर-दराज से लोग दर्शन को आते है. मान्यता है कि गोंडवाना राजा ने गणेश मंदिर का निर्माण सन 188 में आरम्भ किया था, जो सन 646 में पूर्ण हुआ, यह शिलालेख में वर्णित है। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्री गणेश अंक के अनुसार नवागढ़ के गणेश मंदिर का निर्माण तात्या विश्वम्भर पन्त मोहरे ने करवाया था। मंदिर के सामने अति प्राचीन एक शमी का वृक्ष है, जो दुर्लभ वृक्ष है। मान्यता है कि शमी वृक्ष की परिक्रमा गणेश जी की परिक्रमा के तुल्य है । मंदिर का जीर्णोद्धार तीन बार हो चुका है, इस मंदिर का प्रथम जीर्णोद्धार सन 1880 में तथा द्वितीय बार सन 1936 में व तीसरी बार 2009-10 में वृहद् रूप से किया गया। मंदिर भी अष्ट कोणीय बना है। इस मंदिर के विषय में गोरखपुर से प्रकाशित धार्मिक पत्रिका ''कल्याण के गणेश अंक में ''मध्यप्रदेश के गणेश स्थान शीर्षक पृष्ठ क्रमांक 438 में उल्लेखित किया गया है।