Print this page

मनुष्य अपने दुख से कम दूसरों के सुख से ज्यादा दुखी है-संत रतन मुनि

  • Ad Content 1

दुर्ग / शौर्यपथ / जब से पर्यूषण पर्व प्रारंभ हुआ है तब से लगातार त्याग तपस्या करने वालों का तांता लगा हुआ है। आज इसके सातवे दिन भी जैन समाज के बड़ी सख्या में लोग पहुंचे।
जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग में संत रतन मुनी एवं विवेक मुनि के सानिध्य में चातुर्मास गतिमान है धर्म सभा को संबोधित करते हुए संत श्री गौरव मुनि ने कहा जीवन में चार बातों की हमेशा आवश्यकता होती है। संपत्ति, शक्ति ,संस्कृति और संस्कार मानव जीवन में इन सभी की सार्थकता है आज का प्रवचन संस्कार विषय पर केंद्रित था संस्कार चार प्रकार के बताए जाते हैं गर्भ संस्कार पूर्वक संस्कार माता-पिता का संस्कार ,वातावरण या संगत से प्राप्त संस्कार। मनुष्य जिस प्रकार के वातावरण में रहता है उसमें वैसे संस्कार पनपते जाते हैं साधु संतों एवं गुरु भगवंतो के सानिध्य में रहने वाले ज्यादा संस्कारवान होते हैं अपेक्षाकृत दूसरे लोगों के साथ रहने वालों के
अच्छे संस्कारों से चरित्र का निर्माण होता है जो एक उच्च गति को प्राप्त करता है। जीवन में संस्कार मिलने के चार स्थान माने जाते हैं माता पिता गुरु और ज्ञानी महापुरुष अगर जीवन में सुखी रहना है तो हमें क्या करना चाहिए गुरु भगवंत ने कहां कौन क्या कर रहा है ,कौन क्यों कर रहा है ,कौन कैसे कर रहा है इन चार बातों से आप जितने दूर रहोगे आप इतने सुखी रहोगे आज मनुष्य अपने दुख से कम दुखी हैं दूसरों के सुख से ज्यादा दुखी है जीवन में जितनी ज्यादा आवश्यकता है पालोगे वही आवश्यकता आपके दुख का कारण बनते जाएगी इसलिए जीतने सीमित संसाधनों से जीवन यापन हो सके उतने संसाधनों का संयोजन हमें करना चाहिए

Rate this item
(0 votes)
शौर्यपथ

Latest from शौर्यपथ