गौरव पथ विज्ञापन घोटाला: महापौर की सक्रियता के लिए उठी आम जनता की उम्मीद
दुर्ग / शौर्यपथ /
नगर निगम दुर्ग में एक बार फिर भ्रष्टाचार का जिन्न बोतल से बाहर आता दिख रहा है। इस बार मामला तात्कालिक बाजार अधिकारी थान सिंह यादव से जुड़ा है, जिन पर दिसंबर 2024 में एक ऐसे अनुबंध पत्र तैयार करने का आरोप है, जिससे निगम को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। यह अनुबंध गौरव पथ पर लगे लॉलीपॉप विज्ञापन बोर्डों से संबंधित है, जहाँ जमीनी सच्चाई और दस्तावेजों के बीच बड़ा अंतर सामने आया है।
74 खंभे, पर अनुबंध में केवल 60 का उल्लेख
सूत्रों के अनुसार, गौरव पथ पर कुल 74 खंभों पर विज्ञापन बोर्ड लगे हैं, लेकिन तात्कालिक बाजार अधिकारी ने अनुबंध करते समय केवल 60 खंभों का ही उल्लेख किया। इससे सीधे तौर पर 14 खंभों से होने वाले राजस्व का नुकसान नगर निगम को उठाना पड़ा। इतना ही नहीं, अनुबंध में जो बोर्ड साइज का उल्लेख किया गया, वह भी मौके पर स्थापित बोर्डों के आकार से मेल नहीं खाता, जिससे शासन को अतिरिक्त राजस्व हानि हुई है।
पूर्ववर्ती विवादों से घिरा रहा है नाम
यह पहली बार नहीं है जब थान सिंह यादव विवादों में हैं। उनका नाम पहले भी विभागीय खींचतान और स्थानांतरणों में चर्चा में रहा है। अधिकांश आयुक्तों के आते ही उनका कार्य क्षेत्र बदला गया, जो उनके कार्य निष्पादन पर सवाल उठाता रहा है। ऐसे में अब जब सुशासन की बात हो रही है, यह आवश्यक हो जाता है कि ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई हो।
महापौर पर उठते सवाल या उम्मीदें?
इस पूरे मामले में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों की निगाहें दुर्ग की महापौर श्रीमती अलका बाघमार की ओर हैं। हालांकि कुछ वर्गों ने प्रारंभ में उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए, परंतु अब जानकारी सामने आ रही है कि महापौर अलका बाघमार ने तात्कालिक बाजार अधिकारी के अनुबंध से जुड़े इस विवाद सहित उनके द्वारा पूर्व सरकार को गुमराह कर प्रस्तुत की गई कई अन्य वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी संकलित कर ली है।
जाँच समिति की पहल: सुशासन की दिशा में अहम कदम
प्राप्त जानकारी के अनुसार, महापौर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक स्वतंत्र जाँच समिति के गठन की दिशा में पहल की है, ताकि दोषियों के विरुद्ध निष्पक्ष जांच हो सके और नगर निगम की प्रतिष्ठा को बनाए रखा जा सके। सुशासन तिहार जैसे आयोजनों में निगम की सक्रियता और जवाबदेही को जनता के सामने प्रस्तुत करना महापौर का प्रमुख उद्देश्य रहा है, और इस दिशा में यह पहल उनके सुशासन के प्रति प्रतिबद्ध दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।
जनता को उम्मीद न्याय की
महापौर की ओर से यदि यह जांच समिति शीघ्र गठित होती है और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होती है, तो इससे आम जनता को यह संदेश मिलेगा कि वर्तमान नगर निगम प्रशासन, विशेषकर महापौर अलका बाघमार, भ्रष्टाचार के विरुद्ध बिल्कुल भी नरमी नहीं बरतती। साथ ही यह कदम नगर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई मिसाल प्रस्तुत कर सकता है।
शासन के ?1 का भी नुकसान करने वाले अधिकारी को वह सजा मिलनी चाहिए जो करोड़ों की गड़बड़ी करने वालों को मिलती है—इस सच्चाई को स्थापित करने का यह एक उपयुक्त अवसर है। अब देखना यह है कि महापौर की अगुवाई में नगर निगम दुर्ग इस चुनौती को कैसे सकारात्मक अवसर में बदलता है।