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हार के बाद भी नहीं सुधरे कांग्रेसी नेता,दावेदारों की भीड़ देख एक बार फिर सर्वे सर्वा समझने लगे पूर्व विधायक वोरा? Featured

हार के बाद भी नहीं सुधरे कांग्रेसी नेता,दावेदारों की भीड़ देख एक बार फिर सर्वे सर्वा समझने लगे पूर्व विधायक वोरा? हार के बाद भी नहीं सुधरे कांग्रेसी नेता,दावेदारों की भीड़ देख एक बार फिर सर्वे सर्वा समझने लगे पूर्व विधायक वोरा?
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दुर्ग। शौर्यपथ। प्रदेश में नगरी निकाय चुनाव का आगज हो चुका है सवा साल पहले तक कांग्रेस की सरकार जब प्रदेश में थी तब ऐसा प्रतीत होता था कि अब कांग्रेस की सरकार प्रदेश में काम से कम 2 से 3 कार्यकाल पूरा करेगी परंतु आपसी गुटबाजी का ऐसा जादू चला कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई . सत्ता से बाहर होने के बाद भी गुटबाजी की इस खाई को पाटने की बजाय कांग्रेस ने और बढ़ा दिया जिसका नतीजा यह निकला कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बुरी तरह से हारी.
  प्रदेश में सांसदों की संख्या भी कम हो गई दो-दो बड़ी हार के बाद कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता यह सोचने लगे कि अब कांग्रेस में एक जुटता नजर आएगी परंतु प्रदेश में हो रहे नगरी निकाय चुनाव में एक बार फिर गुट बाजी की राजनीति कांग्रेस में नजर आने लगी . दुर्ग कांग्रेस का हाल इसका जीता जागता उदहारण देखने को मिल जाएगा जहां देश के कद्दावर नेता माने जाने वाले स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के गृह जिला में एक समय कांग्रेस के हर फैसला वोरा बंगले में होते थे परंतु वर्तमान में हो रहे नगरी निकाय चुनाव में एक बार फिर गुटबाजी की ऐसी हवा चल रही है कि अब पार्षद पद के लिए प्रत्याशी वोरा बंगले के साथ-साथ निर्वृतमान महापौर बंगले के भी चक्कर काट रहे हैं वही कुछ प्रत्याशी पूर्व मंत्रियों के चक्कर लगा रहे हैं .दावेदार प्रत्याशी अपने आवेदन के कई कई सेट बनाकर अलग-अलग नेताओं को दे रहे हैं ताकि कहीं से भी हो उनकी दावेदारी मजबूत हो सके एक तरफ कांग्रेस का कहना कि वह एकजुट है परंतु जिस तरह से दावेदारों के आवेदन कई बंगलो के चक्कर लगा रहे हैं उसे यह तो साफ हो गया कि अब दुर्ग में कांग्रेस उस स्थिति में आने में काफी वक्त लग सकता है वहीं कई कांग्रेसियों का कहना है कि अब किसी ऐसे नेता की तलाश दुर्ग में कांग्रेस को करनी पड़ेगी जो सभी को एकजुट कर सके . वोरा बंगले से कई कांग्रेसियों की उम्मीदें अब टूटती जा रही है जिसका सीधा उदाहरण दावेदारों के अलग-अलग बंगलो में जमा करने वाले आवेदक से साफ नजर आ रहा है। हालांकि लोकसभा में विधानसभा से बड़ी हार के बाद पूर्व विधायक एक बार फिर दुर्ग के ताकतवार नेता बने हुए है और दावेदारों की भीड़ यही ज्यादा है किन्तु चुनावी सीजन के बाद एक बार फिर यह बँगला सूना होने की कगार पर जा सकता है .
 आने वाले समय में जब दावेदारों की सूची जारी होगी और प्रचार प्रसार आरंभ होगा तब कई तरह के नज़ारे कांग्रेस के भीतर देखने को मिलेंगे जो कांग्रेस आज एकजुट नहीं कैसे उनके नेता आम जनता के सामने जाकर आम जनता के हितों की बात कर जनता से अपने पक्ष में मतदान की बात कहेंगे यह देखने वाली बात होगी . आम जनता भी कांग्रेस के अंतर कलह  के नजारे देख रही है कभी वोरा के विरोधी रहे मदन जैन अब वोरा के करीब आने लगे हैं वही कभी वोरा गुट के करीबी रहे निर्वितमान महापौर अब  अपने सरकारी बंगले से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं गुटबाजी की राजनीति कांग्रेसी पर लगातार हावी हो रही है जो कि आम जनता को साफ-साफ नजर आ रही है वहीं इस गुटबाजी का पूरा फायदा भाजपा को भी मिलता नजर आ रहा है .
  आज से नामांकन फॉर्म जमा होने शुरू हो गए हैं वहीं कांग्रेस की वार्ड प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं है जो की शाम तक जारी होने की संभावना है परंतु ऐसा कहीं से प्रतीत नहीं हो रहा की एक-दो दिन में कांग्रेस की सूची जारी हो पाएगी वहीं महापौर के दावेदारों की संख्या दर्जन भर से ज्यादा नहीं और कोई दमदार दावेदार भी कांग्रेस की तरफ से नजर नहीं आ रहा जो शहर में अपनी अलग पहचान बना सके इस निकाय के चुनावी जंग में आने वाले समय में स्थिति बड़ी रोचक भी होगी और कहीं-कहीं हास्य पद भी होगी जिसका नजारा दुर्ग की जनता भरपूर देखेगी.

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