✍️एनसीपी जिला अध्यक्ष डॉ शैलेश कुमार सागर ने पूरे तमाम मुंगेली जिला वासियों एवं प्रदेश के सभी सतनामी समाज के भाई बहनों को आज बालक गुरु दास के जयंती पर सभी को बहुत सारी बधाई एवं शुभकामनाएं दी पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा परमपूज्य गुरू घासीदास बाबा जी के द्वतीय सुपूत्र गुरू बालकदास जी का जन्म, जन्माष्मी के दिन हुआ था , जिस प्रकार पोथी पुराण के ज्ञानी को पंडित, राज करने वाले को राजा, सेवा करने वाले को सेवक, तपस्या करने वाले को तपस्वी, ठीक उसी तरह "सतकर्म" करने वाले को "सतनामी" कहते हैं। कोई धर्म, वह तो सतनाम के मानने वालो की पहचान है जिसे आज सतनामी जाति के नाम से जाना जाता है । सतनामी वह है जिसका कर्म सत्य पर आधारित हो और जो सतनाम धर्म को मानता हो । सतनाम धर्म में छोटा-बड़ा, ऊँच-नीच, छुआ-छुत का कोई स्थान नही है । सतनाम धर्म मानवता वाद पर आधारित है । बाबा गुरू घासीदास जी ने सतनाम धर्म का ब्याख्या इस रूप में किये हैं : "मानव-मानव एक समान" मनखे मनखे एक ये, नइये कछु के भेद । जउन धरम ह मनखे ल एक मानीस, उही धरम ह नेक ।।