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रायपुर/कोड़ागांव, 23 जुलाई 2025। संवाददाता - शौर्यपथ न्यूज
छत्तीसगढ़ के कोड़ागांव जिले से सामने आई यह घटना न सिर्फ राजनीतिक गलियारों को झकझोर रही है, बल्कि यह यह सवाल भी खड़े कर रही है कि किस हद तक लालच और प्रभाव का खेल हमारे जनप्रतिनिधियों को ठगों के जाल में फंसा सकता है।
कोड़ागांव जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता और जिला कोर समिति के सदस्य संतोष कटारिया ने आरोप लगाया है कि उन्हें खनिज निगम का अध्यक्ष बनाने का झांसा देकर 41.30 लाख रुपये की ठगी की गई। कटारिया के मुताबिक, उनसे कुल 3 करोड़ रुपये की मांग की गई थी, जिसमें उन्होंने अलग-अलग किश्तों में कुल 41.30 लाख रुपये राजीव सोनी नामक व्यक्ति को दे दिए।
ठगी का शिकार होने के बाद कटारिया ने केशकाल थाने में मामला दर्ज करवाया है। शिकायत में उन्होंने बताया कि रायपुर निवासी राजीव सोनी ने बातचीत के दौरान उन्हें काजल जोशी उर्फ काजल झूले और राजनीति में प्रभावशाली बताए गए व्यक्तियों से मिलवाया। इसी बीच उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और केंद्रीय मंत्रियों से करीबी संबंधों का भी दावा किया गया।
64 वर्षीय संतोष कटारिया भाजपा संगठन में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। वह पूर्व में मंडल अध्यक्ष रह चुके हैं और कोड़ागांव जिले की राजनीति में एक स्थायी चेहरा माने जाते हैं। राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के कारण उन्हें राज्य स्तरीय पद की अपेक्षा थी, जिसका फायदा कथित ठगों ने उठाया।
अब तक की जानकारी के अनुसार, इस प्रकरण में मुख्य आरोपी राजीव सोनी हैं, जो रायपुर के रहने वाले हैं। उनके साथ काजल जोशी और राजनीति में कथित संपर्क रखने वाले अन्य व्यक्ति भी जांच के घेरे में हैं। बताया जा रहा है कि ठगी का यह गिरोह पहले भी कई लोगों को ऐसे झूठे वादों से शिकार बना चुका है।
केशकाल पुलिस ने संतोष कटारिया की शिकायत पर FIR दर्ज कर ली है और आरोपियों की तलाश में टीम गठित की गई है। पुलिस ने इसे गंभीर आर्थिक अपराध मानते हुए तकनीकी साक्ष्य और बैंक ट्रांजैक्शन को भी जांच में शामिल किया है।
भाजपा की जिला इकाई ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है, लेकिन अंदरखाने यह मामला संगठन की प्रतिष्ठा के लिए बेहद असहज स्थिति पैदा कर चुका है। वहीं विपक्ष इस घटना को भाजपा नेतृत्व में व्याप्त आंतरिक भ्रम और सत्ता के लिए होड़ का उदाहरण बता रहा है।
इस मामले में दो पहलू सामने आते हैं — पहला, राजनीति में प्रभावी पद पाने की हसरत और दूसरा, बिना सत्यापन के अज्ञात लोगों पर भरोसा करना। यह घटना इस बात का संकेत है कि आज भी राजनीति में "पद" पाने की चाह कई बार नेतृत्व क्षमता से अधिक नेटवर्किंग और छल-कपट के जाल में फंस जाती है।
यह घटना केवल एक व्यक्ति के साथ हुई ठगी नहीं, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की राजनीतिक संस्कृति पर भी सवालिया निशान छोड़ती है। यदि राजनीतिक पदों के नाम पर ठगी का ऐसा संगठित खेल चल रहा है, तो यह न केवल कानून व्यवस्था का मामला है बल्कि लोकतंत्र की आंतरिक सड़न की ओर भी संकेत करता है।
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