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दुर्ग / शौर्यपथ / राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीशध्अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में 14 सितंबर से डाक विभाग के सहयोग से आम नागरिकों को जन उपयोगी सेवाओं के लिए स्थाई लोक अदालत का लाभ एवं नि:शुल्क विधिक सेवाएं उपलब्ध कराए जाने हेतु जागरूक किया जा रहा है ।
जन उपयोगी सेवाओं के लिए स्थाई लोक अदालत का लाभ किस प्रकार लिया जा सकता है के अंतर्गत शामिल सेवाएं - लोक उपयोगिता सेवाओं के लिए स्थायी लोक अदालत विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की एक और विशेषता है। यह पूर्व-मुकदमेबाजी, सुलह और समझौता की एक प्रक्रिया है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम (संशोधन अधिनियम), 2002 के अनुसार, जिला स्तर पर स्थायी लोक अदालतों (लोक उपयोगिता सेवाओं) का गठन किया गया है। इन लोक अदालतों में सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं से संबंधित पूर्व-मुकदमे तय किए जाते हैं।स्थाई लोक अदालत का कार्यालय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में ही स्थापित होता है। सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं से संबंधित मामले चेयरमैन के समक्ष सादे कागज पर एक आवेदन के माध्यम से दायर किए जा सकते हैं, लोक उपयोगिता सेवाओं के लिए स्थायी लोक अदालत। स्थायी लोक अदालत का विशेष अधिकार क्षेत्र रुपये है 1 करोड़।
सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं - हवाई, सड़क या पानी द्वारा यात्रियों या माल की ढुलाई के लिए परिवहन सेवाएं, पोस्टल, टेलीग्राफ या टेलीफोन सेवा, किसी भी प्रतिष्ठान द्वारा जनता को बिजली, प्रकाश या पानी की आपूर्ति, सार्वजनिक संरक्षण या स्वच्छता की प्रणाली, अस्पताल या औषधालय में सेवा, बीमा सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएं, वित्त सेवाएँ, इमिग्रेशन, एलपीजी उनकी आपूर्ति और रिफिल को कनेक्शन देते हैं, आधार कार्ड, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और बीपीएल कार्ड ,वृद्धावस्था और विधवा पेंशन, शगुन योजना और बेरोजगारी भत्ता, सार्वजनिक वितरण प्रणाली सेवाएं, शिक्षा या शैक्षिक संस्थानय या आवास और अचल संपत्ति सेवा, समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से शामिल कोई अन्य सेवाएं।
विधिक सहायता एवं सलाह- इस योजना के अंतर्गत न्यायालय में विचाराधीन या प्रस्तुत करने योग्य प्रकरणों में पात्रता रखने वाले व्यक्तियों को विधिक सहायता प्रकरणों में होने वाले व्यय एवं अधिवक्ता की नियुक्ति के रूप में उपलब्ध कराई जाती है। यह सहायता तहसील न्यायालय, जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय तक दी जाती है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 के अंतर्गत सबको न्याय के समान अवसर उपलब्ध कराने हेतु राज्य के निर्धन एवं सीमांत हितग्राहियों के लिए विधिक सेवा योजना संचालित की जा रही है, इस योजना के अंतर्गत न्यायालय में विचाराधीन या प्रस्तुत करने योग्य प्रकरणों में उपरोक्तानुसार पात्रता रखने वाले व्यक्तियों को विधिक सहायता एवं सलाह प्रदान किया जाता है। विधिक सहायता एवं सलाह उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं तालुक में तालुक विधिक सेवा समितियों की स्थापना की गई है, जिनके कार्यालयों एवं उनके द्वारा स्थापित प्रबंध कार्यालय, लीगल एड क्लीनिक- जो ग्राम सामुदायिक भवन, किशोर न्याय बोर्ड, स्कुल, महाविद्यालयों में स्थापित है, के द्वारा पात्र व्यक्तियों को नि:शुल्क विधिक सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
संविधान प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी पसंद के वकील से परामर्श करने और अपने बचाव का अधिकार प्रदान करता है। संविधान के अनुच्छेद 22(1) के अनुसार कानूनी परामर्श का अधिकार गिरफ्तारी के समय से ही शुरू हो जाता है न कि सुनवाई के चरण से। यह सुनवाई खत्म हो जाने तक ही जारी नहीं रहता है बल्कि निर्णय को चुनौती देने के आखिरी अवसर खत्म हो जाने तक जारी रहता है। नि:शुक्ल कानूनी सहायता पाने के लिए अपने नजदीकी प्राधिकरणए समिति और विधिक सेवा केंद्र में लिखित प्रार्थना पत्र या फिर प्राधिकरण द्वारा जारी किये गए फॉर्म से आवेदन कर सकता है। अगर व्यक्ति लिखने में सक्षम नहीं हैए तो वह मौखिक माध्यम से अपना आवेदन कर सकता है, प्राधिकरण में मौजूद अधिकारी उस व्यक्ति की बातों को आवेदन पत्र में लिखेगा ।
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