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दुर्ग/शौर्यपथ /नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से दहेज निरोधक कानून में संशोधन का आग्रह किया है।डॉ. प्रतीक उमरे ने दहेज निरोधक कानून अर्थात धारा 498ए के बढ़ते दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाएं इसका ग़लत इस्तेमाल कर रही हैं।झूठे केस दर्ज हो रहे हैं।हिंसा के ठोस सुबूत के बिना इस धारा का बद-इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है।महिलाओं की बढ़ा-चढ़ाकर कर पेश की गई शिकायतों में बेकसूर परिवारजनों को फंसा दिया जाता है।दहेज मामले में ससुराल के सारे लोगों को लपेटना प्रवृत्ति बन गई है।नतीजतन वे परेशान होते हैं और कई बार उनकी गिरफ़्तारी भी हो जाती है।ससुराल पक्ष के लोगों को फंसाने के लिए दहेज प्रताड़ना कानून का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है।सिर्फ आरोपों के आधार पर रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई करना इस कानून के साथ-साथ कानूनी प्रक्रिया का भी दुरुपयोग है।इसलिए इस 'दुरुपयोग' को रोकने केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।दहेज प्रताड़ना का आरोप किसी पति और उसके रिश्तेदारों के लिए कभी न मिटने वाले बदनामी के दाग की तरह है।इस प्रवृत्ति का समर्थन नहीं किया जाना चाहिए।लेकिन इसके समाधान के लिए कोई पहल आज तक नहीं किया गया।कई दहेज प्रताड़ना के झूठे मामलों में निर्दोष लोग व उनके परिवारजन आत्महत्या करने को मजबूर हो चुके हैं।आज यह सबसे बड़ी सामाजिक समस्या बन चुकी है।
*सुप्रीम कोर्ट ने भी माना, हो रहा है दुरुपयोग*
ऐसे ही आंकड़ों पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि शिकायतकर्ता कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं।कोर्ट ने इसमें पुलिस को आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करने पर रोक लगा दी थी।सुप्रीम कोर्ट ने गाइड लाइन जारी की थी कि इन मामलों में जांच के बाद ही गिरफ्तारी की जाए।अगर पुलिस जांच में मामला झूठा पाया जाए तो पुलिस उसे रद्द भी कर सकती है।सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पहले यह भी कहा था कि थोड़ा सा भी वैवाहिक अनबन होते ही विवाहिता एवं उसके परिजन पहले पुलिस थानों में दहेज प्रताड़ना की झूठी शिकायत दर्ज करवाते हैं और फिर समझौता के नाम पर मोटी वसूली की जाती है।
*झूठी शिकायत पर कड़ी सजा का हो प्रावधान*
अधिकांश मामलों में पुलिस को मालूम होता है कि मामला फर्जी है लेकिन दर्ज करना कानूनन उनकी मजबूरी होता है।इस तरह के मामलों में झूठी शिकायत दर्ज कराने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने व कड़ी सजा का भी प्रावधान करने की आवश्यकता है।नियम अनुसार उन पर एफआईआर होना चाहिए,ताकि झूठी शिकायतों की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा सके।महिलाओं को तमाम तरह के अपराधों,शारीरिक मानसिक शोषण,प्रताड़ना और हिंसा से उन्हें बचाने के लिए कानूनी कवच दिए गए हैं,इससे उनकी स्थिति पहले से अधिक मजबूत हुई है।लेकिन ऐसी दास्तानों की कोई कमी नहीं कि इन कानूनों ने अनेक लोगों और परिवारों की जिंदगी तबाह करके रख दी है।अनेक परिवार तनाव भरी जिंदगी जी रहे हैं।
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