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दुर्ग / शौर्यपथ राजनैतिक विश्लेषण /
कांग्रेस नेता और पूर्व साडा उपाध्यक्ष बृजमोहन सिंह पिछले डेढ़ महीने से जेल में हैं। सोशल मीडिया पर एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ की गई टिप्पणियों के आधार पर उन पर कार्रवाई हुई है और मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में यह कहना व्यर्थ होगा कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष, लेकिन इस प्रकरण ने कांग्रेस के भीतर एक नई बहस छेड़ दी है।
बृजमोहन सिंह भिलाई में एक जाना-पहचाना नाम हैं और कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस संगठन की ओर से जिस तरह की अनदेखी देखने को मिली है, वह कई जमीनी कार्यकर्ताओं को हैरान कर रही है। पिछले डेढ़ महीने में संगठन ने उनके समर्थन में कोई ऐसा कदम नहीं उठाया है, जो चर्चा का विषय बने।
यह भी सच है कि सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी राजनीतिक मामलों से जुड़ी नजर आ रही है, लेकिन इसके बावजूद संगठन का मौन धारण करना कई कार्यकर्ताओं के मनोबल को कमजोर कर रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अब यह चर्चा आम हो गई है कि जब एक जाना-पहचाना चेहरा और संगठन के लिए समर्पित कार्यकर्ता की अनदेखी हो सकती है, तो आम कार्यकर्ताओं का क्या होगा।
सोशल मीडिया पर कई कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं, जिससे उम्मीद है कि बड़े नेता उनकी बातों पर ध्यान देंगे। इस स्थिति में भाजपा संगठन की एकता और कार्यकर्ताओं के प्रति सक्रियता की मिसाल दी जा रही है। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने के लिए लगातार प्रयासरत रहती है और उन्हें सफलता भी मिलती है। कोई भी संगठन कार्यकर्ताओं के जोश के बिना आगे नहीं बढ़ता और कांग्रेस में दिख रहा यह लचीलापन एक बार फिर यह साबित करने के लिए काफी है कि पार्टी अभी भी चाटुकारों की फौज में ही मस्त है और नेतृत्व भी इन्हीं की चाटुकारिता से प्रसन्न है।
ऐसी स्थिति में भविष्य में कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं का पार्टी से मोहभंग होना कोई बड़ी बात नहीं होगी। यह घटना उस समय की याद दिलाती है जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी और पाटन क्षेत्र में शराब दुकान को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ विवाद हुआ था। उस समय तत्कालीन सांसद विजय बघेल ने सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया और कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहने का संदेश दिया था। बृजमोहन सिंह के मामले में ऐसी कोई पहल नजर नहीं आ रही है।
कांग्रेस के भीतर से उठ रही ये आवाजें संगठन की निष्क्रियता और नेतृत्व की उदासीनता की ओर इशारा कर रही हैं। क्या कांग्रेस अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी नहीं होगी? यह सवाल वर्तमान समय में संगठन के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
शौर्यपथ दैनिक समाचार का यह स्पष्ट मानना है कि भारत के हर नागरिक को संविधान और न्यायपालिका का पूर्ण सम्मान करना चाहिए। सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की अभिव्यक्ति करते समय संवैधानिक मर्यादाओं और न्यायिक प्रक्रियाओं का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। न्यायालय में विचाराधीन मामलों में अंतिम निर्णय आने तक निष्कर्ष निकालना अनुचित होगा। अत: इस पूरे मामले को निष्पक्ष दृष्टि से देखा जाना चाहिए, और साथ ही राजनीतिक संगठनों को भी अपने कार्यकर्ताओं के प्रति उत्तरदायी भूमिका निभानी चाहिए।
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