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पीड़ित शिक्षकों को ही किया जा रहा है प्रताड़ित, अनियमिता के दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं
रायपुर//शौर्यपथ /अव्यवहारिक, अन्यायपूर्ण युक्तियुक्तकरण से प्रभावित और पीड़ित शिक्षकों की सुनवाई के लिए संभाग व राज्य समिति के गठन को विभाग की मनमानी पर परदेदारी करने तथा जानबूझकर की गई अनियमितताओं से ध्यान भटकाने का पाखंड करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि सरकार ने एक तरफ आबंटित स्कूल में कार्यभार ग्रहण नहीं करने वाले शिक्षकों का वेतन रोकने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है, वहीं दूसरी तरफ प्रभावित शिक्षकों के अभ्यावेदन पर विचार करने के लिए संभाग और राज्य स्तरीय समिति गठित करने का ढोंग कर रहे हैं। पूरे प्रदेश के लगभग सभी जिलों में युक्तियुक्तकरण के नाम पर सत्ता के इशारे पर अधिकारियों ने मनमानी की है। प्रारंभिक चरण में शिक्षकों की अतिशेष सूची और स्कूलों में रिक्त स्थान का पूर्व प्रकाशन कहीं पर भी नहीं किया गया, न ही दावा आपत्ति का अवसर मिला। अतिशेष शिक्षकों के विषय में शुद्धता से परीक्षण किए बिना अचानक काउंसिल से एक दिन पहले सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्तिगत सूचना देकर बुलाया गया, काउंसलिंग स्थल पर भी शिक्षकों की आपत्ति को स्वीकार नहीं किया गया, निराकरण हेतु कोई भी सक्षम अधिकारी काउंसलिंग के दौरान उपस्थित नहीं रहे। सैकड़ो मामलों में वरिष्टता का निर्धारण त्रुटि पूर्ण ढंग से किया गया, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा अधिनियम 1961 के विपरीत वरिष्ठता अवधारित की गई है। प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में चक्रीय क्रम का पालन कई स्कूलों में नहीं हुए, अतिशेष शिक्षकों के चयन में विषय का ध्यान नहीं रखा गया, जिला स्तर में काउंसलिंग के दौरान जानबूझकर दुर्भावना पूर्वक आसपास के स्कूलों में रिक्त पदों को छुपाया गया, उन स्कूलों का विकल्प नहीं दिया गया, ये तमाम गड़बड़ियां जिला स्तर पर की गई जिसकी शिकायत के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि भाजपा नेताओं के संरक्षण में अधिकारियों ने अपने चहेतों को अनुचित तरीके से उपकृत किया है। पहुंच-पहचान और लेनदेन के आधार पर भेदभावपूर्ण तरीके से अतिशेष की श्रेणी में शिक्षकों को शामिल किया गया, पूरी प्रक्रिया के दौरान कई ऐसे नाम है जिनको काउंसलिंग में बुलाया तो गया लेकिन बाद में अचानक उनका नाम अतिशेष से बाहर हो गया और वे यथावत पुरानी शाला में ही पदस्थ हैं जो पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का पुख्ता प्रमाण है।
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि पहले भी सरकार ने युक्तियुक्तकरण के संदर्भ में सुनवाई के नाम पर प्रभावित शिक्षकों से अभ्यावेदन मंगाए, लेकिन तानाशाह अधिकारियों ने पीड़ित शिक्षको से कोरे कागज पर हस्ताक्षर करने मजबूर करके सुनवाई की खानापूर्ति कर ली और एकतरफा आदेश थोप दिए, अब एक बार फिर ठगने की तैयारी है। जब जिले के भीतर है आसपास के स्कूलों में पद खाली है, जहां अतिशेष शिक्षकों का समायोजन किया जा सकता है, फिर अगले क्रम में संभाग स्तर पर शिक्षकों को क्यों भेजा गया? अधिक दर्ज संख्या वाले आसपास के स्कूलों के बजाय कम दर्ज संख्या वाले दुरुस्त स्कूलों में समायोजन की बाध्यता क्यों? जब आदेश पूरे शिक्षा विभाग के लिए है फिर जिला मुख्यालयों में नगर निगमों के तमाम स्कूल जिनका शिक्षा विभाग में विलय हो चुका है और स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल युक्तियुक्तकरण के दायरे से बाहर क्यों? क्या यहां शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू नहीं है? शिक्षक संघ की मांग थी पहले प्रमोशन किया जाये उसके बाद ही युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया हो, अब प्रमोशन की प्रक्रिया से खाली होने वाले पदो पर किनकी पोस्टिंग होगी? काउंसिलिंग के दौरान जिले के भीतर स्कूलों में रिक्त पदों की जानकारी छुपाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है?
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया ही त्रुटिपूर्ण और मनमाना है, सरकार के समिति बनाने से शिक्षकों को रिलीफ मिलने की कोई संभावना नहीं है। गड़बड़ी, अनियमितता और शिक्षकों का भयादोहन करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही कर तत्काल इस प्रक्रिया पर रोक लगाकर पारदर्शी तरीके से अमल करें सरकार।
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