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रायपुर / शौर्यपथ / राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कोविड-19 के बचाव में एनसीसी कैडेट्स द्वारा किए जा रहे सहयोग की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि इस समय देश-प्रदेश कोरोना संकट का सामना कर रहा है। इन परिस्थितियों में एनसीसी कैडेट्स द्वारा लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आम लोगों को सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराया जा रहा है। उनके द्वारा यातायात व्यवस्था संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
राज्यपाल ने कहा कि एनसीसी युवाओं में राष्ट्रभक्ति का भाव पैदा करता है तथा उन्हें संकटापन्न स्थितियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षण भी देता है। ऐसा प्रशिक्षण का ही प्रभाव है कि आज एनसीसी कैडेट्स अंतर्राष्ट्रीय आपदा के समय कंधा से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ना है। एनसीसी कैडेट्स अपना स्वयं का ध्यान रखें और आम जनता को कोरोना के प्रति जागरूक करें।
अवधेश टंडन की रिपोर्ट -
मालखरौदा / शौर्यपथ / विदित हो कि मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का विवादों से हमेशा नाता रहा है यही कारण है कि आज भी यहां विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है मामला है मालखरोदा उप स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आने वाले फगुरम प्राथमिक स्वस्थ केंद्र क्या जहा डॉक्टर सेट स्टाफ की मनमानी चरम सीमा पर है यहां के डॉक्टर स्टाफ लगातार नदारद रहते थे जिसकी सूचना मीडिया कर्मियों को मिलने पर लगातार पिछले कई दिनों से इस पर खबर चलाई , मामला था फागूराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी द्वारा स्वास्थ्य केंद्र को अनाथ छोड़ कर लंच पर जाने का जिस पर हमने लगातार चिरनिंद्रा में सोए उच्चाधिकारियों को जगाने कई खबरों का प्रकाशन किया जिसके भी उच्चाधिकारियों को सांप सूंघ गया था या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों पर कार्रवाई करने हाथ-पैर फूल रहे थे या यूं कहें कि आपको मालखरौदा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि या उनके आकाओं का डर था,कि फगुरम में कार्रवाई से आपकी नौकरी पर खतरा न पड़ जाये। यही वहज ही नजर आता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रोग्राम के लापरवाह डॉक्टरों को अभयदान देते रहे, मामला जांजगीर सी एम एच ओ के संज्ञान में लाने के बाद उन्होंने ने भी 3 दिन में कार्रवाई करने का भरोसा दिया, पर कोरोना महामारी के इस दौर में साहब गांधी की इतनी किल्लत की टेबल के नीचे कुछ भी आये। और एक दिन अचानक खबर आई कि मालखरौदा बीएमओ ने अपने लावलश्कर के साथ औचक निरीक्षण किया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी व कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी।
औचिक निरीक्षण, बात कुछ हजम नही होती,ऐसे में सवाल उठता है साहब ?
लगातार मीडिया में खबर प्रकाशन के बाद क्या फगुरम स्वास्थ्य केंद्र से अधिकारी और कर्मचारी क्या गायब रहेंगे जो आप औचिक निरीक्षण पर पहुंचे। क्या यह नही हुआ होगा कि आपके वहा पहुँचने से पहले किसी ने अंदुरूनी सूचना नही दी होगी क्योंकि साहब भी तो डॉक्टर है।
कार्रवाई से बचाने औचक निरीक्षण का ड्रामा क्यों?
इस पूरे मामले में देखा गया है कि अधिकारियों से लेकर मालखरौदा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों तक ने फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों का काफी समर्थन किया है और यही वजह है कि औचक निरीक्षण कर उन्हें अभयदान दे दिया गया क्या उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भगवान भरोसे छोड़ कर खांना खाने एक साथ जाने के लिए जवाब तलब नही करना चाहिए था।
जनप्रतिनिधियों के समर्थन पर हौसले है बुलंद
बता दे कि मीडिया में लगातार खबर प्रकाशन के बाद मालखरौदा क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधियों का भी फोन मालखरौदा क्षेत्र के रिपोर्टरों तक पहुंची है और उन्हें फगुरम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की खबर रोकने तक की बात कही गई परंतु साहब सवाल है जनता की जिंदगी का और यही वजह है कि लगातार इस पर खबर प्रकाशन की गई।
विनोद रायसागर की रिपोर्ट ..
मुंगेली / शौर्यपथ / देश में कोरोना संकट के कारण साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है एवं सोशल डिस्टेंस और सुरक्षा की बात पर हर कोई पहल कर रहा है किन्तु इन सबके बीच मुंगेली के नमकीन पदार्थ निर्माता राम तलेजा के लघु उद्योग नमकीन निर्माण फेक्ट्री में जिस तरह से खाने के सामान के निर्माण में अनियमितता और गंदगी बरती जा रही है उससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि व्यापारी को किसी के जान से कोई मतलब नहीं स्वास्थ्य से मतलब नहीं मतलब है तो सिर्फ रूपये कमाने से . रुपया कमाने की ऐसी प्रवित्ति वाले व्यापारी पर जिला प्रशासन ने कार्यवाही तो कर दी किन्तु क्या सिर्फ कार्यवाही ही ऐसे व्यापारी की सजा है जिसे संकट में भी सिर्फ कमाई की चिंता है वो भी आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करके .
मामला है नया बस स्टैंड मुंगेली के नमकीन व्यापारी राम तलेजा के सलौनी नमकीन फैक्टरी मे छापेमारी की कार्रवाई की गई. छापेमारी के दौरान फैक्टरी मे सलौनी निर्माण हेतु उनके कर्मचारी द्वारा बिना मास्क लगाये एवं पैर से मैदा को मिलाया जा रहा था और सलौनी तला जा रहा था . फैक्टरी मे साफ-सफाई का भी अभाव था. सलौनी के पैकिंग मे न ही निर्माण कम्पनी का नाम और न ही निर्माण तिथि, वैधता तिथि और न ही दर का उल्लेख किया गया था. इनके विरूद्ध भी प्रकरण पंजीबद्ध कर वैधानिक कार्रवाई की गयी.
मुंगेली की आम जनता में चर्चा है कि ऐसे व्यापारी का लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए जो संक्रमण के दौर में भी ऐसी लापरवाही बार्ट रहा है . शासन अपने नियम अनुसार कार्यवाही कर रही है पर जनता को उम्मीद है कि शासन इस मामले पर ऐसी कार्यवाही करेगी जो आने वाले समय में मिसाल के रूप में कायम होगी .
कार्यवाही sdm चार्ली ठाकुर , तहसीलदार अमित सिन्हा , जिला खाद्य अधिकारी विमल दुबे एवं निगम अमले के कर्मचारियों की उपस्थिति में हुई .
धमतरी/नगरी शौर्यपथ
धमतरी/नगरी शौर्यपथ*
गुरुवार 14 मई के दिन, ग्राम गोरेगांव निवासी कृष्ण कुमार मण्डावी की कृषि ऋण पुस्तिका गुम हो जाने की शिकायत नगरी थाने में की गई है ।
कृष्ण कुमार मंडावी कृषि संबंधी अवश्यक कार्य से नगरी तहसील कार्यालय पहुंचकर, बाईक में रखा थैला को खोला तो उनकी तीनों ऋण पुस्तिका गायब थी।
नगरी में जिन स्थानों पर गए थे वहाँ खोजबीन करने के पश्चात। नगरी थाना में शिकायत दर्ज कराई*
तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में सोशल डिस्टेंसींग नही रखा जा रहा है ध्यान
धमतरी/नगरी शौर्य पथ
दीपेश निषाद की रिपेर्ट
तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा जा रहा है । मास्क का प्रयोग भी नही कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत अमाली के तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्र में बड़ी लापरवाही देखी गई।
अमाली सेंटर में तेंदूपत्ता लेकर आये ग्रामीण न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं, न ही मास्क का प्रयोग कर रहे हैं ।
हद तो तब हो गई जब केंद्र के प्रबंधक भी इन नियमों की नियमों का पालन नही कर रहें है।
प्रबंधक ने स्वयं मास्क लगाना जरूरी नहीं समझा ।
ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लोग कोरोना महामारी की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं ।
Covid 19 pandemic के खतरे के प्रति जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है।
रायपुर / शौर्यपथ लेख / डॉ रमन सिंह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री जिन्होंने १५ साल छत्तीसगढ़ पर राज किया . छत्तीसगढ़ में चाउर वाले बाबा से लेकर दारु वाले बाबा तक का सफ़र किया . छत्तीसगढ़ में खनिज का अकूत भण्डार है , छत्तीसगढ़ देश के पिछड़े राज्यों की गिनती में आने का श्री अगर डॉ सिंह को दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी १५ साल सत्ता में रहने के बाद भी डॉ साहब ने छत्तीसगढ़ में रोजगार के कोई बड़े कार्य किये हो ऐसा प्रतीत नहीं होता . अगर छत्तीसगढ़ में बड़े स्तर पर रोजगार होता तो छत्तीसगढ़ राज्य से इतने मजदुर पलायन नहीं करते . छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ के मूल निवासी अपनी बोली को खुले रूप में कहने पर भी शर्म करते थे डॉ रमन के राज में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी , धान के बोनस का वादा , स्तरहीन मोबाइल वितरण , टेबलेट वितरण , नान घोटाला जैसे कई घोटाले उजागर हुए . प्रदेश में असली मायने में देखा जाए तो छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों का राज २०१८ के बाद आया जब छत्तीसगढ़ी बोली बड़े शान से कही जाने लगी .
वर्तमान में कोरोना संकट सिर्फ छत्तीसगढ़ पर ही नहीं पुरे विश्व पर आया हुआ है और प्रदेश के साथ देश के मुखिया भी इस संकट से निपटने के लिए प्रयासरत है . प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली का ही असर है कि छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन के लगभग ५० दिनों बाद जिन्दगी पत्री पर दौड़ने लगी है छोटे बड़े सरे व्यापार खुल रहे है बाहर से आने वालो पर कड़ी नजर राखी जा रही है संदेह की स्थिति में तुरंत इलाज मुहैय्या कराई जा रही है अधिकारी कर्मचारी लगातार क्षेत्र पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है प्रदेश में ऐसी कोई दुर्घटना नहीं हुई जो चर्चा का विषय बने भूख से छत्तीसगढ़ में किसी की मौत हुई हो वर्तमान संकट में ऐसा भी नहीं हुआ , संक्रमण से किसी की मौत हुई हो ऐसा भी नहीं हुआ , प्रवासी राज्यों के परिवारों को भी कोई तकलीफ हुई हो ऐसा भी कही नहीं दिखा . प्रदेश सरकार की निरंतर कोशिश है कि प्रदेश के मूल निवासी ही नहीं अन्य राज्यों के निवासी जो छत्तीसगढ़ में है उनकी भी फ़िक्र है छत्तीसगढ़ से पलायन करने वाले कम ही नजर आ रहे है एवं छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से आने वाले निरंतर आ रहे है . प्रदेश सर्कार अन्य प्रदेशो में फसे हुए श्रमिको को लाने का निरंतर प्रयास कर रही है जो लगातार सफल भी हो रही है साथ ही छत्तीसगढ़ से गुजरने वालो श्रमिको के लिए भी भोजन की व्यवस्था जगह जगह की जा रही है इसके लिए राजमार्ग पर विभिन्न स्थानों में केम्प लगाए गए है .
देश में छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जहा कोरोना के मरीज की संख्या ५९ है और स्वस्थ होने वालो की संख्या ५५ एवं कुल मौते की संख्या नगण्य . छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिको के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है ऐसे में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को संकट के समय छत्तीसगढ़ के श्रमिक जो अन्य राज्यों में फसे है उन्हें लागे की पहल करनी चाहिए और केंद्र की भाजपा सरकार से निवेदन करना चाहिए कि गुजरात , उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में लाखो की संख्या में फसे श्रमिको का ख्याल रखे व उन्हें सकुशल छत्तीसगढ़ जल्द से जल्द भेजने की व्यवस्था करे . ऐसा करके डॉ सिंह छत्तीसगढ़ के श्रमिको का हित करते हुए एक नेक कार्य करने के लिए पहचाने जा सकते है . वर्तमान स्थिति में छत्तीसगढ़ के हर जनप्रतिनिधि का कर्तव्य है कि छत्तीसगढ़ में संकट से जंग लड़ना और जीतना इसमें सभी के सहयोग की ही अपेक्षा है ना कि राजनीती करण की .
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डाल रही है
मुख्यमंत्री ने केन्द्र से किया मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह
मनरेगा के कृषि से जोड़ने से लोगों को बारिश में भी मिलेगा रोजगार,
कृषि उत्पादन लागत होगी कम और उत्पादन भी बढ़ेगा
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत बनाने के लिए लॉकडाउन जैसे संकट के समय में श्रमिकों को मनरेगा, आदिवासियों को लघु वनोपज संग्रहण तथा किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से उनकी जेब में पैसा डालने का काम कर रही है। हमारा प्रदेश धीरे धीरे सामान्य कामकाज की ओर अग्रसर हो रहा हैं। कल की कैबिनेट की बैठक में ऐसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं जो राज्य में आर्थिक गतिविधियों को और तेज करेंगे।
बैठक में हमने एक निर्णय लिया जिसका क्रियान्वयन हम अपने स्वप्न दृष्टा नेता पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी की पुण्य तिथि के दिन 21 मई से प्रारंभ करेंगे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना बहुत ही दूरगामी निर्णय है और छत्तीसगढ़ के किसानों को इस संकट की घड़ी में संजीवनी प्रदान करने वाला निर्णय है। पूरे देश में कहीं भी किसानों के हित में इतना महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया है। हमने राज्य के किसानों से वादा किया था कि उन्हें उनकी उपज का पूरा दाम मिलेगा। लोगों ने इसमें कई अड़चने लगाई, अवरोध पैदा किये लेकिन हमने जो कहा था वो निभाया है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हम राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और कृषि आदान सहायता हेतु खरीफ 2019 में पंजीकृत एवं उपार्जित रकबे के आधार पर धान, मक्का और गन्ना फसल के लिए 10 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से अनुदान राशि सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर करेंगे। इसके लिए हमने बजट में 5100 करोड़ रूपए का प्रावधान भी किया है। इस योजना के तहत राज्य के 18 लाख 75 हजार किसानों को लाभ मिलेगा। यहीं नही खरीफ 2020 से आगामी वर्षो में दलहन और तिलहन फसलों के पंजीकृत और अधिसूचित रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को आदान सहायता अनुदान के रूप में देंगे। अनुदान लेने वाला किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लगाया हो और इस साल धान के स्थान पर योजना के तहत शामिल अन्य फसल लगाता हैं तो ऐसी स्थिति में किसानों को प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जायेगी ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डालने का काम कर रही है। लोगों की जेब में पैसा आने से इसका असर व्यापार और व्यवसाय पर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था बराबर संचालित होती रहेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केन्द्र सरकार से मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह किया है। मनरेगा के काम बारिश तक चलेंगे। यदि मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाता है तो लोगों को इससे निरंतर रोजगार मिलेगा, कृषि की लागत कम होगी और कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा। श्री बघेल ने कहा कि आम जनता, सामाजिक संगठनों और सेवा भाव से काम कर रहे अधिकारी-कर्मचारियों के सहयोग से कोविड-19 संक्रमण को रोकने में प्रदेश में काफी हदतक सफलता मिली है।
इसके साथ ही हमने उत्कृष्ठ हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के शालाओं का संचालन पंजीकृत सोसायटी के माध्यम से करने का निर्णय लिया है। लगभग 40 उत्कृष्ट शालाएं प्रारंभ की जाएंगी। विकासखण्ड मुख्यालयों में 10वीं के बाद 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए आईटीआई का रोजगारपरक सर्टिफिकेट कोर्स आरंभ करने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना वायरस (कोविड-19) से बचाव के उपायों के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन के फलस्वरूप बसों के दो माह और ट्रकों के एक माह के टैक्स की राशि माफ कर दिया गया है। राज्य सरकार सभी शहरी परिवारों को दो कमरों का पक्का आवास देने के लिए 40 हजार अतिरिक्त आवास बनाएगी। इसके साथ ही अब किराएदारों को भी योजना में समाहित करते हुए न्यूनतम दर पर आवास उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि लॉकडाउन की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश के सामान्य परिवारों (ए.पी.एल.) को भी रिफाइन्ड आयोडाईज्ड नमक पीडीएस की दुकानों से 10 रूपए प्रति किलो की दर से अधिकतम दो किलो नमक प्रति राशनकार्ड प्रति माह एक जून से प्रदान किया जाएगा। इससे राज्य के 9.04 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। राज्य सरकार द्वारा जमीनों की खरीदी-बिक्री की शासकीय गाइडलाईन की दरों में 30 प्रतिशत की छूट को पूरे साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में केवल 4 एक्टिव कोरोना पाजीटिव मरीज हैं। कुल 59 पाजीटिव मरीजों में से 55 स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट चुके हैं। कोरोना से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई हैं। छत्तीसगढ़ में ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 93 प्रतिशत से अधिक हैं। राज्य में अभी तक कुल 27 हजार 339 सैम्पल टेस्ट किए गए हैं। राज्य में 28 हजार 759 व्यक्तियों को क्वारेंटाइन में रखा गया है। अन्य राज्यों से लौटने वाले मजदूरों के लिए गांवों में ही 16,499 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए है। सीमावर्ती क्षेत्रों में कुल 623 क्वारेंटाइन सेंटर बनाये गये हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार की जानकारी मिलते ही बचाव की तैयारियां प्रारंभ कर दी थी। 27 जनवरी को हमने सभी जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर दी थी। 28 जनवरी से एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग प्रारंभ कर दी थी और एक फरवरी को पहले आइसोलेशन अस्पताल ने काम करना प्रारंभ कर दिया था। हमने स्वस्फूर्त निर्णय लेते हुए किसी भी राज्य से पहले 21 मार्च को छत्तीसगढ़ राज्य की सीमाएं सील कर दी और 22 मार्च को राज्य में लाकडाउन की घोषणा की। वर्तमान में प्रतिदिन जांच क्षमता 1200 सैंपल प्रतिदिन हो गयी हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब कोटा से छात्रों को लाने की बात चल रही थी तभी मैंने श्रमिकों को वापस लाने की केन्द्र सरकार से मांग की थी और कहा था कि ट्रेनों की व्यवस्था की जाए अब ट्रेनें आना शुरू हो गई है। श्रमिकों की वापसी के लिए मई का महीना काफी महत्वपूर्ण है। अगले महीने से बारिश शुरू हो जाएगी तब आने वाले श्रमिकों के क्वारेंटीन में बाहर रखने के इंतजाम में दिक्कत आएगी क्योकि संसाधन सीमित है। बाहर से आने वाले श्रमिकों की बड़ी संख्या की तुलना में स्कूलों और आंगनबाड़ियों की संख्या कम है।
लॉक-डाउन में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में औसतन लगभग 23 लाख मजदूूर काम कर रहे हैं। लॉकडाउन में वनोपज संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर हैं। देश के कुल वनोपज संग्रहण का 99 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ ने ही किया हैं। श्री बघेल ने कहा कि राज्य के 56.48 लाख गरीब परिवारो को अप्रैल, मई और जून, तीन माह का राशन, प्रति परिवार एक क्विंटल पांच किलोग्राम निःशुल्क प्रदान किया गया हैं। स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ‘पढ़ाई तुंहर दुआर‘ वेबपोर्टल प्रारंभ। अब तक 21 लाख 26 हजार छात्र और 1.88 लाख शिक्षक पंजीकृत है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य में जरूरततंद परिवारों के लिए राहत और कल्याणकारी योजनाओं के संचालन तथा सामान्य कामकाज को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 30 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाये। उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि औद्योगिक नीति में इमेचवाम चवसपबल के तहत बायो एथेनॉल उत्पादन इकाईयों के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ में धान का उत्पादन आने वाले वर्षों में बढ़ेगा। सरप्लस धान हर वर्ष बढ़ेगा। इसका उपयोग बायो एथेनॉल के उत्पादन में किया जा सकेगा।