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सेहत टिप्स /शौर्यपथ विशेषज्ञ दिन में कम से कम दो बार दांतों को ब्रश करने की सलाह देते हैं, एक बार जागने के बाद और एक बार सोने से पहले. आम तौर पर यह भी माना जाता है कि हमें सुबह अपने दांतों को ब्रश करने से पहले कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने दांतों को ब्रश करने से पहले पानी पीना आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है? अगर नहीं तो फिर आज हम इसी के बारे में आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं, तो चलिए जानते हैं.
बिना ब्रश पानी पीने के क्या हैं फायदे
विषाक्त पदार्थ निकाले बाहर
1- खाली पेट और दांत साफ करने से पहले पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है.
पाचन क्षमता करे मजबूत
2- सुबह बिना ब्रश किए पानी पीने से शरीर की पाचन क्षमता बढ़ती है. साथ ही इससे इम्यून सिस्टम बेहतर होता है.
स्किन रखे चमकदार
3- यह आपको स्वस्थ और चमकदार त्वचा पाने में भी मदद कर सकता है. मोटापे, कब्ज, उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित लोगों को भी हर सुबह गुनगुना पानी पीने से लाभ हो सकता है.
कैविटी से रखे दूर
4- यह मुंह में बैक्टीरिया के जमाव को भी रोकता है जिससे कैविटी का खतरा कम होता है. इसलिए अगर आप सुबह उठकर एक गिलास गुनगुना पानी पीते हैं तो आपको सांसों की बदबू की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /अगर आप अपने बाल की ग्रोथ को अच्छा करना चाहती हैं तो इसमें आपकी मदद एलोवेरा जैल करेगा. इसके पोषक तत्व आपकी हेयर ग्रोथ के लिए रामबाण साबित हो सकते हैं. एलोवेरा में विटामिन ए, सी, ई, बी 1 , बी 2 , बी 3 (नियासिन), बी 6 , कोलीन, फोलिक एसिड, अल्फा-टोकोफेरोल, बीटा-कैरोटीन सहित कई विटामिन होते हैं, जो बाल के लिए बहुत फायदेमंद हैं. तो चलिए जानते हैं बाल में एलोवेरा जैल अप्लाई करने के तरीके.
एलोवेरा जैल बाल में कैसे करें अप्लाई
1-एलोवेरा जैल में नारियल तेल मिलाकर बालों में अप्लाई करने से आपकी हेयर ग्रोथ अच्छी होती है. यह बाल को मुलायम और घना रखने में मदद करते हैं.
2- 1 छोटा टुकड़ा अदरक का रस आपके बाल की हेयर ग्रोथ की लिए अच्छा साबित हो सकता है. बस आप इसमें एलोवेरा जैल मिलाकर 10 से 15 मिनट बाल में अप्लाई करिए.
3- ताजा एलोवेरा जैल भी आप बालों में लगा सकते हैं. इसको दस मिनट लगाने के बाद हेयर वॉश कर लीजिए. फिर देखिए कैसे आपके बाल मुलायम होते हैं.
4- अरंडी के तेल में मेथी और एलोवेरा जैल मिलाकर लगाने से भी आपकी हेयर ग्रोथ अच्छी होती है. बस आप 1 कप एलोवेरा जैल में 2 चम्मच मेथी पाउडर और अरंडी तेल मिलाकर लगाना है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अति शुभ होती है और इसे अक्षय तृतीया कहते हैं. अक्षय का अर्थ कभी समाप्त नहीं होने वाला. मान्यता है कि अक्षय तृतीया का सौभाग्य और शुभ फल कभी समाप्त नहीं होते हैं. इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई को है. इस दिन देश भर में अक्षय तृतीया मनाई जाएगी. इस दिन सोना और अन्य मूल्यावान धातु खरीदना बहुत शुभ माना गया है. आइए जानते हैं क्या है अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी का महत्व और इस दिन क्या खरीदना होता है शुभ .
अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी
अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बहुत शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने से पूरे वर्ष जीवन में सुखों की कमी नहीं होती है. सोना को बेहतरीन निवेश मान जाता है. इस तरह अक्षय तृतीया के दिन लोगों को निवेश करने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस दिन लोग गहने, सिक्का या बरतन खरीदते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ग्रहों की स्थिति के कारण सोना की खरीदारी को शुभता प्राप्त होती है जिससे जीवन में सफलता के मार्ग खुल जाते हैं.
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया धन की देवी माता लक्ष्मी का दिन होता है. इस दिन पूजा पाठ, दान पुण्य और जप को अक्षय फल प्राप्त होता है. इस दिन देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना से माता लक्ष्मी भक्तों पर अपार कृपा करती हैं. अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान का भी बहुत महत्व है. इस दिन गंगा स्नान से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है. अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त होता है. इस दिन कोदई भी मांगलिक कार्य बगैर मुहूर्त देखें किया जा सकता है. इस दिन शुरू किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /साल के 12 महीने में कुल 24 एकादशी पड़ती है और हर एकादशी का विशेष महत्व होता है. इसी तरह से वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं और ये एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दौरान भगवान विष्णु के साथ उनकी अर्धांगिनी लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
वरुथिनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 3 मई को रात 11:24 पर शुरू हो रही है, जो कि 4 मई को 8:38 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार वरुथिनी एकादशी का व्रत 4 मई को रखा जाएगा. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत करने से और विधि-विधान उनकी पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है, दुख दर्द दूर होता है और मां लक्ष्मी की कृपा सदैव घर पर बनी रहती हैं.
वरुथिनी एकादशी पर करें ये उपाय
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर से पैसों की तंगी दूर हो जाए, तो इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही मां लक्ष्मी की भी पूरे मन से पूजा करें. उनके सामने घी का दीपक जलाएं, ऐसा करने से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
आप चाहते हैं कि आपके घर में सुख शांति बनी रहे और गृह क्लेश से छुटकारा मिले, तो वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फल चढ़ाएं या केसर की खीर या पीले रंग की मिठाई अर्पित करके घर में सभी लोगों को भोग स्वरूप दें.
अगर आपको कारोबार में कोई सफलता नहीं मिल रही है और लगातार बिजनेस घाटे में जा रहा है, तो वरुथिनी एकादशी पर पीले रंग के फूल भगवान विष्णु को चढ़ाएं और इस दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें.
अगर आप वरुथिनी एकादशी पर भगवान विष्णु से कोई मनोकामना मांगना चाहते हैं, तो इस दिन उन्हें दक्षिणावर्ती शंख से जल चढ़ाएं. ऐसा करने से वह अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं.
अगर आपको लंबे समय से नौकरी में तरक्की नहीं मिल रही है और प्रमोशन रुका पड़ा है, तो वरुथिनी एकादशी पर पीले रंग के कपड़े में पीला फूल और एक नारियल बांध दें. इसे भगवान विष्णु को अर्पित करें और द्वितीय तिथि पर इसे उठाकर अपने पास रख लें, ऐसा करने से नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति मिलने के आसार होते हैं.
आस्था /शौर्यपथ / जिस घर में लड्डू गोपाल विराजमान होते हैं, उनकी सेवा बिल्कुल एक बच्चे की तरह की जाती है. सुबह, दोपहर, शाम उन्हें भोग अर्पित करना चाहिए और भोग लगाने के दौरान कुछ विशेष नियम का पालन करना चाहिए. कहते हैं कि जब लड्डू गोपाल को भोग लगाया जाए तो इस मंत्र का उच्चारण जरूर करना चाहिए, क्योंकि इस मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि यह भोग सीधे लड्डू गोपाल के पास पहुंचता है और वह उसे प्रसन्न होकर ग्रहण भी करते हैं. तो आप भी इस मंत्र को नोट कर लें और आगे से लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें.
लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय करें इस मंत्र का उच्चारण
लड्डू गोपाल की सेवा करना सबसे पुण्य का काम माना जाता है, उन्हें एक बच्चे की तरह सुबह स्नान कराया जाता है, उन्हें अच्छे-अच्छे वस्त्र पहनाए जाते हैं, श्रृंगार किया जाता है, भोग लगाया जाता है और रात को दूध पिलाकर शयन करवाया जाता है. कहते हैं ऐसा करने से लड्डू गोपाल की कृपा घर पर हमेशा बनी रहती है, लेकिन अधिकतर लोग लड्डू गोपाल के सामने ऐसे ही जाकर भोग रख देते हैं, जबकि लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय आपको इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए- त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाणे सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर.
इस मंत्र का अर्थ होता है कि हे कृष्ण मेरे पास जो भी है वह सब आपका ही दिया है भगवान और अब मैं उसी को भोग के स्वरूप में आपको अर्पित कर रहा हूं, कृपया इसे ग्रहण करें.
इतने बार लगाएं लड्डू गोपाल को भोग
लड्डू गोपाल को सबसे पहले भोग सुबह उठते से ही लगाना चाहिए. सुबह 6-7 बजे के करीब घंटी बजाकर या ताली बजाकर आप लड्डू गोपाल को जगाएं, उन्हें दूध पिलाएं या आप चाय भी उन्हें भोग में लगा सकते हैं. उसके बाद लड्डू गोपाल को नहलाने के बाद अच्छे-अच्छे वस्त्र पहनाएं, फिर आप उन्हें माखन मिश्री, लड्डू या अन्य चीज का भोग लगा सकते हैं. तीसरा भोग भोजन का होता है, आप सात्विक भोग लड्डू गोपाल को खिलाएं. आप पूरी, पराठा, सब्जी, सलाद आदि चीजों को भोग स्वरूप लगा सकते हैं. चौथा भोग शाम के समय लगाया जाता है, जिसमें आप मखाने या मेवा लड्डू गोपाल को खिला सकते हैं और रात के समय लड्डू गोपाल को दूध पिलाकर ही शयन करवाना चाहिए.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. इस बार अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य मेष में और चंद्रमा वृषभ में होने के कारण अपने उच्च राशि में विराजमान होंगे. इसके कारण इस अक्षय तृतीया को दोनों के सम्मिलित कृपा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी. मान्यता है कि इस दिन परशुराम नर नारायण का अवतार हुआ था और इ दिन दिन से बद्रीधाम दिर के कपाट खुलते हैं. इस शुभ दिन से वृंदावन में भगवान बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं. अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी अत्यंत शुभ मानी जाती है. आइए जानते हैं इस वर्ष अक्षय तृतीया की तिथि और खरीदारी के मुहूर्त.अक्षय तृतीया मुहूर्त
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट से शुरू होकी 11 मई की सुबह 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगी.
अक्षय तृतीया पूजा का मुहूर्त
अक्षय तृतीया की पूजा का मुहूत 10 मई को सुबह 5 बजकर 32 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक हैं. इस मुहूर्त में सोना या चांदी की खरीदारी की जा सकती है.
क्यों शुभ होता है अक्षय तृतीया का दिन
आपको बता दें कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के अवतार परशुराम और हयग्रीव का जन्म हुआ था.इस दिन उनकी जयंती भी मनाई जाती है.इसके अलावा इसी तिथि को त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी जिसमे प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था.इसलिए शास्त्रों में इस तिथि को इश्वरीय तिथि मानते हैं. यही वजह है कि अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य करना शुभ माना जाता है और खरीदारी के लिए भी यह दिन सबसे ज्यादा शुभ होता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / गर्मियों के मौसम की चिलचिलाती धूप सेहत बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ती. व्यक्ति धूप की चपेट में आ जाता है तो कई दिनों तक उसे बिस्तर पकड़ना पड़ जाता है. धूप के कहर से शरीर में पानी की कमी, पेट की दिक्कतें और बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में इस गर्माहट से बचे रहना जरूरी होता है. यहां कुछ ऐसे ही फलों का जिक्र किया जा रहा है जो लू से शरीर को बचाने का काम करते हैं और इन फलों के कूलिंग गुण शरीर के तापमान को कम करते हैं. इन्हें सुबह या शाम खाया जा सकता है. इनके वॉटर कंटेट के चलते इन फलों से शरीर डिहाइड्रेट नहीं होता है और धूप से बचा रहता है.
गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने वाले फल
खरबूज - हाई वॉटर कंटेंट वाले खरबूज को डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है. गर्मियों में खरबूज खाने पर शरीर को विटामिन ए, बी, डी और आयरन समेत मैग्नीशियम की भी अच्छी मात्रा मिलती है. खरबूज शरीर को ठंडक देने के साथ ही पेट की दिक्कतों को दूर रखता है. खासकर कब्ज से छुटकारा मिलता है.
तरबूज - गर्मियों के मौसम में तरबूज खूब खाया जाता है. इस फल से शरीर को भरपूर मात्रा में हाइड्रेशन मिलता है. इसका स्वाद तो लाजवाब होता ही है, साथ ही तरबूज सेहत को भी दुरुस्त रखता है. तरबूज विटामिन ए, बी6 और सी का अच्छा स्त्रोत है. इससे शरीर को एंटी-ऑक्सीडेंट्स और अमीनो एसिड्स भी मिलते हैं. साथ ही, शरीर का बढ़ा हुआ तापमान कम होने लगता है सो अलग.
बेल - आमतौर पर बेल को बेलपत्थर कहा जाता है. इस फल का जूस गर्मियों में खूब बिकता है. बेल डाइट्री फाइबर से भरपूर होता है और इससे शरीर को विटामिन सी भी मिलता है. बेल का शरबत पीने पर धूप की मार से बचा जा सकता है.
आम - फलों के राजा आम को गर्मियों में खाने का मजा ही कुछ और है. कई लोग तो गर्मियों का इंतजार सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि इस मौसम में आम खाने को मिल जाते हैं. आम विटामिन, फोलेट, मैग्नीशियम और डाइट्री फाइबर का स्त्रोत तो होता ही है, साथ ही गर्मियों में हाइड्रेटेड रखता है. आम खाने के अलावा इसका जूस, स्मूदी, लस्सी और आइस्क्रीम वगैरह खाई जा सकती है.
केला - सेहत के लिए केला कई तरह से फायदेमंद है और इसे गर्मियों में खाने पर शरीर को ठंडक भी मिलती है. केला शरीर को प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन और पौटेशियम भी देता है. इससे शरीर को हाइड्रेशन मिलता है और शरीर स्वस्थ रहता है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /चिया सीड्स को सुपरफूड कहा जाता है. इन बीजों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं. इन बीजों का सेवन करना तो फायदेमंद होता ही है, इनके फायदे स्किन केयर में भी देखने को मिलते हैं. चिया सीड्स प्रीमेच्योर एजिंग को कम करते हैं, डेड स्किन सेल्स हटाने में फायदेमंद होते हैं, स्किन को नमी देते हैं और त्वचा को निखारते हैं सो अलग. ऐसे में चिया सीड्स से फेस पैक्स बनाकर लगाए जा सकते हैं. यहां जानिए किस तरह तैयार करें चिया सीड्स के फेस पैक्स.
चिया सीड्स के फेस पैक्स |
एक कटोरी में 2 चम्मच चिया सीड्स लें और उनमें 4 चम्मच पानी डालकर कम से कम 15 मिनट इन्हें भिगोकर रखें. जब चिया सीड्स अच्छे से भीग जाएं तो इनमें एक चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं. अच्छे से मिक्स करने के बाद इस फेस पैक को चेहरे पर 15 से 20 मिनट लगाकर रखने के बाद चेहरा धोकर साफ करें. स्किन निखरती है और हाड्रेटेड नजर आती है.
एक चम्मच शहद में 2 चम्मच चिया सीड्स और एक चम्मच ऑलिव ऑयल डालकर भी फेस पैक तैयार किया जा सकता है. इस फेस पैक को चेहरे पर 20 मिनट लगाकर रखने के बाद धोकर हटा लें. निखरी त्वचा पाने के लिए हफ्ते में एक बार इस फेस पैक को बनाकर लगाया जा सकता है.
चेहरे पर चिया सीड्स और नारियल तेल के फेस पैक को भी लगा सकते हैं. इस फेस पैक को बनाने के लिए 2 चम्मच चिया सीड्स लें और पानी में भिगो लें. इन भीगे हुए चिया सीड्स में कुछ बूंदे नारियल के तेल की मिलाएं और अच्छे से मिक्स करके चेहरे पर लगा लें. 10 से 15 मिनट बाद चेहरा धोकर साफ करं. स्किन निखरी हुई नजर आने लगती है.
पानी के बजाए दूध में भी चिया सीड्स को भिगोकर रखा जा सकता है. 2 चम्मच चिया सीड्स को 4 चम्मच दूध में डालें. जब चिया सीड्स फूल जाएं और गाढ़े हो जाएं तो उंगलियों में लेकर चेहरे पर लगाएं. इस फेस मास्क को 10 मिनट चेहरे पर लगाकर रखने के बाद धोकर हटा लें. स्किन को ठंडक मिलती है, स्किन निखरती है और मुलायम भी बनती है.
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /शादी उम्रभर का कमिटमेंट होती है. कई बार कपल्स शादी से सिर्फ यह सोचकर घबराने लगते हैं कि कहीं शादी के बाद उनके बीच का स्पार्क कम ना हो जाए या जिंदगी रुकी हुई सी ना महसूस हो. लेकिन, जब मन में इस तरह के डर घर करने लगें तो अच्छे उदाहरण देखने की जरूरत होती है. ऐसे अनेक लोग हैं जो दस या बीस नहीं बल्कि पचास सालों तक भी शादीशुदा जिंदगी एकसाथ खुश रहते हैं. असल में शादी के बाद बस कुछ गोल्डन रूल्स ध्यान में रख लिए जाएं तो कभी कपल्स के बीच कड़वाहट नहीं आती, जिंदगी खुशहाल रहती है, एकदूसरे का साथ अच्छा लगता है और शादीशुदा जिंदगी में खुशी बनी रहती है.
शादीशुदा जिंदगी के गोल्डन रूल्स |
एकदूसरे के लिए वक्त निकालना - शादी के बाद जिंदगी में जिम्मेदारियां भी बढ़ने लगती हैं. ऐसे में जिंदगी को घर और घर से ऑफिस के बीच ही ना उलझने दें. अपने पति या पत्नी के लिए भी समय निकालना जरूरी होता है. कम से कम आप घर में यह रूल बना लें कि रात में दोनों खाना साथ खाएंगे या फिर रोजाना एक घंटा कम से कम साथ बैठकर कोई शो देखेंगे या बातें करेंगे.
एकदूसरे पर कभी ना चिल्लाना - शादी से पहले व्यक्ति कभी अपने पार्टनर पर नहीं चिल्लाता और शादी के बाद भी स्थिति ऐसी ही बनी रहनी चाहिए. लड़ाई हो या किसी बात पर असहमति हो, आप दोनों अपनी आवाज नीची रखकर भी बात कर सकते हैं. चिल्लाने से झगड़े बढ़ते हैं और दूरियां गहराने लगती हैं.
तारीफ करने से ना झिझकें - कई बार व्यक्ति को लगने लगता है कि रोज-रोज तारीफ करने से तारीफ सुनने वाला ऊबने लगेगा. लेकिन, जब कोई तैयार होने या किसी काम को करने में एफर्ट्स डालता है तो तारीफ सुनकर अच्छा लगता है. इसके अलावा, एकदूसरे के कामों की सराहना करने से भी कभी नहीं झिझकना चाहिए.
कम्यूनिकेशन है जरूरी - किसी भी रिलेशनशिप में कम्यूनिकेशन बेहद जरूरी होता है. अगर एकदूसरे से अपने मन की बात ना कही जाए, आपको क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं यह ना बताया जाए और अपनी फीलिंग्स ना बांटी जाएं तो कम्यूनिकेशन गैप होने लगता है जिसे कई बार वक्त भी नहीं भर पाता. इसीलिए कम्यूनिकेशन से ना घबराएं. कम्यूनिकेशन ही रिश्ते को जोड़कर रखता है.
एकदूसरे को स्पेस दें - बिना किसी दोराय शादी का रिश्ता बेहद खास होता है और इस रिश्ते के आगे बाकी सभी काम फीके लगने लगते हैं. लेकिन, एकदूसरे को स्पेस देना भी जरूरी है. अगर आप अपने पार्टनर को स्पेस नहीं देते हैं, उसे अपने लिए अगर समय नहीं मिलता या फिर ऐसा लगता है कि इस जिंदगी में शादी के अलावा कुछ बचा ही नहीं है तो व्यक्ति खुद को कैद में महसूस करने लगता है. इसीलिए रिश्ते में स्पेस होना भी जरूरी है. अपनी-अपनी अलग हॉबीज और अपना मी-टाइम होना ही चाहिए.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /हम सभी चाहते हैं कि शरीर हमेशा हेल्दी रहे और मन हमेशा शांत. हमारी ज्यादातर स्वास्थ्य समस्याएं पेट से शुरू होती हैं. ऐसे में अपने पाचन को हेल्दी रखना बहुत जरूरी है. अगर आप सौंफ, जीरा और अजवाइन का पानी पीते हैं, तो आपके स्वास्थ्य को इसके कई फायदे हो सकते हैं. यह तीनों बेहतरीन औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं से राहत पाने में मदद कर सकते हैं. यहां हम आपको इन तीनों उपायों के बारे में बता रहे हैं कि क्यों आपको सौंफ का पानी, जीरे का पानी और अजवाइम का पानी पीना चाहिए.
इन 3 मसालों का पानी पीने के फायदे |
1. सौंफ का पानी
सौंफ का पानी शारीरिक प्रक्रियाओं को संतुलित करने में मदद कर सकता है. यह पाचन को सुधारने में मदद करता है और अपच को दूर कर सकता है. इसके अलावा सौंफ का पानी दर्द और सूजन को कम करने में भी मदद कर सकता है.
2. जीरा का पानी
जीरा का पानी भारतीय रसोईघरों में लोकप्रिय है और यह पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है. इसके अलावा यह गैस और एसिडिटी को कम करने में भी सहायक हो सकता है और वजन घटाने में भी मदद कर सकता है.
3. अजवाइन का पानी
अजवाइन का पानी एक अच्छा विटामिन सी का स्रोत होता है और इसमें फाइबर भी होता है. यह पाचन को सुधारता है, वजन कम करने में मदद करता है और शरीर की संतुलितता को बनाए रखने में मदद कर सकता है.
इन तीनों पानियों को रेगुलर पीने से आपका स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है, लेकिन इसे अपने रूटीन में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / भगवान भोलेनाथको सोमवार का दिन प्रिय है. कहते हैं कि सोमवार के दिन अगर उनकी आराधना सच्चे मन से की जाए, तो वो अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं. ऐसे में अगर आप सोमवार के दिन भगवान शिव के किसी मंदिर में उनकी आराधना करने के लिए जाएं और शिवलिंग की पूजा करें, तो उससे पहले ये नियम जान लें कि शिवलिंग पर सबसे पहले क्या चढ़ाना चाहिए जल या बेलपत्र, जिससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाएं.
शिवलिंग पर सबसे पहले चढ़ाएं जल
भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से पहले उन्हें जल जरूर अर्पित किया जाता है. जलाभिषेक करने से वो अति प्रसन्न होते हैं, इसके बाद उन्हें भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि चीजें अर्पित की जानी चाहिए. कहते हैं सोमवार को विधि-विधान के साथ शिवलिंग पर जलाभिषेक करने और भगवान भोलेनाथ की प्रिय चीजें अर्पित करने से वह भक्तों की सभी परेशानियों को दूर कर देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान भी देते हैं.
इस तरह शिवलिंग पर चढ़ाएं जल
शिवलिंग पर जल चढ़ाना यूं तो बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन सबसे पहले आपको शिवलिंग के दाहिने और बाहिने स्थान पर स्थित गणेश जी और कार्तिकेय भगवान पर जल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद शिवलिंग का गोल घेरा यानी कि चारों ओर मां पार्वती को समर्पित है वहां जल चढ़ाना चाहिए. इसके बाद मध्य का भाग जो शिवजी और पार्वती जी की पुत्री अशोक सुंदरी का है वहां जल अर्पित करना चाहिए, तत्पश्चात शिवलिंग के ऊपर जल चढ़ाना चाहिए. शिवलिंग पर भगवान शिव के साथ उनका पूरा परिवार विराजमान रहता है और उनकी पूजा करने से पहले सबसे पहले गणेश जी, कार्तिकेय जी, मां पार्वती और अशोक सुंदरी जी की पूजा की जाती हैं.
जलाभिषेक के बाद क्या चढ़ाएं
शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के बाद आप दूध, दही और शहद भी शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं और उसके बाद पुनः जल से स्नान कराएं. भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाएं, सफेद फूल चढ़ाएं और एक धतूरा भी आप उन्हें अर्पित कर सकते हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का खास महत्व है. खासतौर पर मासिक शिवरात्रि व्रत को बेहद शुभ माना गया है. वैशाख माह में आने वाली मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन भक्त भोलेनाथ के लिए सच्चे मन से उपवास रख उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. अगर आप भी देवों के देव महादेव का आशीर्वाद और उनकी कृपा पाना चाहते हैं तो मासिक शिवरात्रि का व्रत रख भगवान शंकर की आराधना कर सकते हैं. जानिए मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व और पूजन के नियम.
कब है वैशाख माह की मासिक शिवरात्रि
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का शुभारंभ 6 मई सोमवार 2024 दोपहर 2:40 पर होगा. मासिक शिवरात्रि तिथि का समापन अगले दिन 7 मई दिन मंगलवार सुबह 11:40 पर होगा. इस बार सोमवार 6 मई 2024 को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा जिसका भक्त बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद भोलेनाथ के सामने व्रत का संकल्प लें. पूजा की शुरुआत करने के लिए वेदी स्थापित करें और विधि-विधान से उसे सजाएं. फिर शिव परिवार की प्रतिमा का स्थापना करें. पंचामृत से अभिषेक करें और देवों के देव महादेव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं. मां पार्वती को सिंदूर अर्पित करें. घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है. खीर का भोग लगाएं और सफेद फूलों की माला अर्पित करें. बेलपत्र भगवान शंकर का प्रिय है इसलिए पूजा में बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं. मासिक शिवरात्रि व्रत में तुलसी, हल्दी और केतकी के फूल का प्रयोग ना करें. पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ करें. आरती से पूजा को पूरी करें. पूजा समाप्त होने के बाद अपनी गलतियों की क्षमा मांगे. माना जाता है कि इस तरह पूजा करने पर भगवान शिव की कृपा मिलती है.
आस्था /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य से पहले कलाई पर कलावा बांधा जाता है. इसे रक्षा सूत्र या मौली भी कहा जाता है. रक्षा सूत्र बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा रहा है. यज्ञ में इसे बांधने की परंपरा सदियों पुरानी है. इसका उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी है. जिसमें बताया गया है कि असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर कलावा बांधा था. ऐसे में अगर आप भी रक्षा सूत्र पहनते हैं, तो आइए जानते हैं इसे कितनी बार लपेटना चाहिए, कौन सा रक्षा सूत्र नहीं पहनना चाहिए और इसे बांधने के क्या नियम हैं.
रक्षा सूत्र कितने दिनों तक पहनना चाहिए
कई बार ऐसा होता है, जब कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के कई-कई दिनों तक हम उसे निकालना ही भूल जाते हैं. ज्योतिष के अनुसार, ज्यादा दिन तक हाथ में रहने वाले कलावे का जब रंग उतरने लगता है तो उसकी ऊर्जा भी कम होने लगती है और एक समय बाद खत्म हो जाती है, इसलिए शास्त्रों में बताया गया है कि इसे कितने दिन पहनना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, हाथ में कलावा 21 दिनों से ज्यादा नहीं बांधना चाहिए, क्योंकि इतने दिन में उसका रंग उतरने लगता है और जिस कलावा का रंग उतर जाए, उसे नहीं पहचना चाहिए.
अशुभ होता है ऐसा कलावा
शास्त्रों में बताया गया है कि जिस कलावा का रंग उतर गया है, उसे नहीं बांधना चाहिए. ऐसे में उसे उतार देना चाहिए. 21 दिनों के बाद फिर किसी शुभ मुहुर्त में इसे बंधवा सकते हैं. कहा यह भी जाता है कि हाथ से उतारा हुआ कलावा भी नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि इससे निगेटिविटी बढ़ती है. हाथ से उतारा हुआ रक्षा सूत्र बहती नदी में प्रवाहित करना चाहिए. यह शुभ माना गया है.
कलावा बांधने का सही नियम क्या है
पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को अपना दाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधना चाहिए.
शादीशुदा महिलाएं बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बंधवाए
कलावा बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी बंद रखें.
कलावा बंधवाते वक्त दूसरा हाथ हमेशा सिर पर रखना चाहिए.
कलावा सिर्फ तीन बार ही लपेटाना चाहिए.
आस्था /शौर्यपथ / सनातन धर्म में वैशाख का महीना बहुत पवित्र माना जाता है. कहते हैं कि इस महीने स्नान-दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं माना जाता है कि अगर वैशाख के महीने में तुलसी की पूजा की जाए और उन्हें कुछ विशेष चीजें अर्पित की जाएं, तो इससे भी घर से तंगहाली दूर होती है और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. इस बार वैशाख महीने की शुरुआत 21 अप्रैल 2024, रविवार से हो चुकी है, जो 21 मई 2024, मंगलवार तक रहेगी. ऐसे में वैशाख के महीने में आपको तुलसी पर क्या उपाय करने चाहिए, जानें यहां.
तुलसी की विशेष पूजा
गुरुवार का दिन मां तुलसी को समर्पित होता है, ऐसे में इस दिन उनकी विशेष पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलते हैं. गुरुवार को तुलसी की पूजा करते समय एक बर्तन में 7 हल्दी की गांठ, एक गुड़ का टुकड़ा और 7 चने की दाल डालें और उसे तुलसी के पास रख दें, ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होती है.
जल में हल्दी मिलाकर करें अर्पित
वैशाख के महीने में जब आप तुलसी में जल चढ़ाएं तो एक कटोरे में जल लेकर उसमें थोड़ी सी हल्दी डालें और इसे अर्पित करें. हल्दी और पानी को हाथ में लें और अपनी मनोकामना मन में बोलते हुए तुलसी को अर्पित कर दें. इससे इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है.
गुरुवार को जलाएं आटे का दीया
इसके अलावा हर गुरुवार को वैशाख के महीने में अगर तुलसी के पास शाम के समय आटे का दीया जलाया जाए और उसमें घी की बाती रखी जाए, तो इससे तुलसी मैया बहुत प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर असीम कृपा बरसाती हैं.
वैशाख महीने की एकादशी है खास
वैशाख महीने में आने वाली एकादशी पर तुलसी की पूजा का विशेष महत्व होता है, इस दिन तुलसी के पौधे पर आप लाल रंग की चुन्नी चढ़ाएं, सुहाग की चीजें अर्पित करें. ऐसा करने से लक्ष्मी मां की कृपा बनी रहती है. इस बार वैशाख महीने में एकादशी 4 मई 2024 को मनाई जाएगी.