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दुर्ग। शौर्यपथ । प्रदेश में निगम चुनाव का आगाज हो चुका है राजनीतिक हल्का में चर्चा है कि कभी भी आचार संहिता लग सकती है ऐसे में प्रदेश में और केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी संगठन निगम चुनाव में अपनी तैयारी बड़े जोर-जोर से कर रहा है बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर और संभाग स्तर की बैठक भाजपा कार्यालय में आए दिन हो रही है संगठन चुनाव के साथ-साथ दूर भाजपा में निगम चुनाव की तैयारी के लिए भी समितियां घटित हो चुकी है और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में जोश भरने का कार्य संगठन के पदाधिकारी निभा रहा है दावेदारों की सूची मंडल अध्यक्षों को स्थानीय विधायक और जिला अध्यक्ष को सौप जा रहा है,मिली जानकारी के अनुसार लगभग 400 से अधिक आवेदन वार्ड प्रत्याशियों के आ चुके हैं 18 जनवरी तक आवेदन भरने का समय सीमा भाजपा संगठन द्वारा तय किया जा चुका है पैनल में किसके किसके नाम जाने हैं इसकी चर्चा भी अंतिम पडाव तक पहुँच चुकी है जमीन स्तर से लेकर संगठन स्तर पर भारतीय जनता पार्टी अपनी तैयारियां पूर्ण कर चुकी है.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस संगठन की बात करें तो कांग्रेस संगठन में गुटबाजी अभी भी अपनी चरम सीमा पर नजर आ रही है जिस प्रकार से रणनीति कांग्रेस की नजर आ रही है उससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं की प्रदेश में इसी कोताही के चलते सत्ता से हाथ धो बैठी कांग्रेस अब शहरी सरकार से भी पूरी भी तरह विदाई के कगार पर नजर आ रही है सालों से निष्क्रिय संगठन में संगठन के पदों पर बैठे पदाधिकारी सिर्फ कांग्रेस पार्टी में पद का लाभ उठाते हुए राशन दुकान,चखना सेंटर,टेंडर,शौचालय आदि कार्यों की लालसा के साथ ही नजर आते हैं .भूपेश सरकार के समय सभी जिलों में कांग्रेस कार्यालय तो निर्मित हो चुके हैं किंतु चुनावी समर में भी सुना नजर आता है सिर्फ दिखाने के लिए ही कार्यालय की बिल्डिंग दुर्ग जिले में स्थापित हो गई है आज भी दावेदार संगठन से ज्यादा अपने राजनीतिक आकाओ के चक्कर लगा रहे हैं .
दावेदारी जमीनी स्तर पर ना कर चाटुकारिता के भरोसे टिकट लाने की जुगत में नजर आ रहे हैं . प्रदेश में सत्ता जाने के बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी कहीं भी कम नजर नहीं आ रही है इधर पार्षद दावेदार भी पूरे दमदारी से अपने राजनीति आकाओ के भरोसे टिकट लाने की बात कर रहे हैं और कोई बड़ी बात नहीं की जिस प्रकार से कांग्रेस संगठन की कार्यप्रणाली चल रही है उसमे संगठन का कोई महत्व नजर आ रहा है सिर्फ राजनीतिक आकाओ का आशीर्वाद और टिकट की सूची में नाम पक्का होने की गारंटी जमीनी स्तर पर भले ही विरोध हो परंतु इन सब बातों से ऐसे नेताओं को भी कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा जो जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर अपने करीबियों को टिकट दिलाने के लिए अनुशंसा करते नजर आएंगे .
जिस तरह से कांग्रेस की तैयारी शून्य नजर आ रही है और सत्ता में काबिज होने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी संगठन स्तर पर जिस तरह से तैयारी कर रहा है कोई बड़ी बात नहीं की आने वाले निकाय चुनाव में कांग्रेस शहरी सरकार से भी हाथ धो बैठेगी और प्रदेश में वार्ड स्तर से लेकर लोकसभा स्तर तक भाजपा का वर्चस्व नजर आएगा लोकतंत्र में जो चुनावी प्रक्रिया की खूबसूरत भूमिका है वह एक तरफा नजर आएगी और हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी को ईवीएम से फर्जी वाडे की बात करती नजर आएगी.किंतु वह आईना देखने को तैयार नजर नहीं आएगी जिसमें एक तरफ सत्ता होने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक निकाय चुनाव की तैयारी कर रही है जबकि कांग्रेस दावेदारों की तैयारी अपने राजनीति आकाओ को मनाने और टिकट लाने की जुगाड़ तक ही सीमित है संगठन में बड़े-बड़े बदलाव की बात तो कही जाती है परंतु सिर्फ बातों से ही संगठन अगर चलता तो आज 100 साल से भी ज्यादा पुरानी कांग्रेस पार्टी का यह हाल ना होता जो वर्तमान समय में है.
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