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रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर आज सुप्रसिद्ध लोक गायिका सुश्री मैथिली ठाकुर के सुमधुर भजनों से राममय हो गया।छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती वर्ष 2025 के अंतर्गत आयोजित उत्कृष्टता अलंकरण समारोह के अंतर्गत आयोजित सांस्कृतिक संध्या के कार्यक्रम में सुश्री मैथिली ठाकुर ने प्रभु श्रीराम के भक्ति भाव से ओतप्रोत एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। अपने गायन के दौरान उन्होंने "श्रीराम को देखकर जगत जननी नंदनी...", "मेरे झोपड़ी के भाग खुल जाएंगे...", "मेरे राम की कृपा से सब काम हो रहा है..." जैसे भजनों को मधुर और मनमोहक स्वर में प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर उपस्थित जनसमूह भक्ति में लीन हो गया।विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मुख्य मंच से लोक गायिका सुश्री मैथिली ठाकुर को शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री रमेन डेका, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत सहित सांसदों एवं विधायकगणों ने भव्य सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया।
प्रदेश को शीघ्र मिलेंगे 851 नए एंबुलेंस:प्रधानमंत्री जन मन योजना के अंतर्गत विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए होगी एंबुलेंस की विशेष व्यवस्था
रायपुर/शौर्यपथ /प्रदेश के कोने-कोने तक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुदृढ़ीकरण हेतु राज्य सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। भरोसेमंद चिकित्सा सुविधा आमजन तक पहुँचाने की दिशा में उठाया गया यह कदम ऐतिहासिक है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज अपने निवास परिसर से मैदानी स्वास्थ्य अमले के लिए 151 वाहनों को हरी झंडी दिखाकर विभिन्न जिलों के लिए रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इन वाहनों के माध्यम से बस्तर और सरगुजा क्षेत्र के सुदूर अंचलों में भी लोगों को समय पर प्रभावी उपचार मिल सकेगा। यह 'स्वस्थ छत्तीसगढ़' की दिशा में एक सशक्त पहल सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त और सुलभ बनाने की दिशा में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है। पुराने, अनुपयोगी हो चुके वाहनों को स्क्रैप कर उनकी जगह अत्याधुनिक नए वाहन शामिल किए गए हैं। यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन, समयबद्ध निरीक्षण और निगरानी को भी गति प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि जिला और विकासखंड स्तर पर कार्यरत अधिकारियों एवं मैदानी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए उपलब्ध कराए जा रहे वाहनों से नियमित निरीक्षण, स्वास्थ्य शिविरों की निगरानी, दूरस्थ अंचलों तक त्वरित पहुँच और आपातकालीन परिस्थितियों में समयबद्ध हस्तक्षेप संभव हो सकेगा। इससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों का संचालन अधिक प्रभावी और गतिशील होगा तथा राज्य में स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली और अधिक सक्रिय, उत्तरदायी और परिणामोन्मुखी बनेगी। यह पहल प्रदेश के संपूर्ण स्वास्थ्य तंत्र को गति देने का कार्य करेगी।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों को ये वाहन चरणबद्ध रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रथम चरण में बस्तर और सरगुजा संभाग के 12 जिलों को ये वाहन भेजे जा रहे हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि शीघ्र ही प्रदेश में 851 नवीन एंबुलेंस सेवाएं शुरू की जाएंगी, जिनमें से 375 एंबुलेंस 108 आपातकालीन सेवाओं के लिए, 30 एंबुलेंस ग्रामीण चलित चिकित्सा इकाइयों के लिए तथा 163 ‘मुक्तांजली’ शव वाहन निःशुल्क सेवा के अंतर्गत दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जनजातीय समुदायों के उत्थान हेतु समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में प्रधानमंत्री ‘जन मन योजना’ के तहत विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए 30 एंबुलेंस की व्यवस्था भी शीघ्र की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब वर्षा ऋतु जैसे चुनौतीपूर्ण समय में भी राज्य सरकार घर-घर स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के अपने संकल्प को पूरी तत्परता से पूर्ण कर सकेगी। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और इस दिशा में निरंतर प्रतिबद्धता दोहराई।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार पूरी क्षमता के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में निरंतर कार्यरत है। उन्होंने स्वास्थ्य अधोसंरचना को मजबूत बनाने हेतु सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी तथा मैदानी स्वास्थ्य अमले को इस विशेष सौगात के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
इस अवसर पर सीजीएमएससी के अध्यक्ष श्री दीपक म्हस्के, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष श्री सलीम राज, स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री अमित कटारिया, आयुक्त डॉ. प्रियंका शुक्ला सहित बड़ी संख्या में अधिकारीगण एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।
रायपुर /शौर्यपथ /नक्सलवाद से प्रभावित बस्तर अंचल का एक नाम जो आज उम्मीद और बदलाव की मिसाल बनकर उभरा है – वह है माडवी अर्जुन। सुकमा जिले के अति-दुर्गम और माओवादी हिंसा से वर्षों त्रस्त रहे पूवर्ती गांव के इस बालक ने जवाहर नवोदय विद्यालय, पेंटा (दोरनापाल) में छठवीं कक्षा में चयन पाकर इतिहास रच दिया है। यह केवल एक छात्र की जीत नहीं, बल्कि उस उम्मीद का संकेत है जो अब बस्तर के कोने-कोने में अंकुरित हो रही है।
माडवी अर्जुन जिस पूवर्ती गांव का रहने वाला है , दरअसल वह नक्सलियों के कमांडर हिड़मा का पैतृक गांव है। एक दौर था, जब पूवर्ती नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। यहाँ माओवादी जन अदालत लगाकर आतंक और ग्रामीणों भाग्य का फैसला सुनाते थे। अब वही पूवर्ती गांव, शिक्षा और विकास के नए सूरज की किरणें देख रहा है। अर्जुन की इस उपलब्धि ने यह दिखा दिया है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, अगर अवसर और मार्गदर्शन मिले तो सफलता जरूर मिलती है।
अर्जुन वर्तमान में बालक आश्रम सिलगेर में पढ़ाई कर रहा था। उसके घर में न बिजली है, न पक्की छत। उसके माता-पिता खेती और मजदूरी कर किसी तरह घर चलाते हैं। फिर भी, अर्जुन ने कठिन परिस्थितियों को पीछे छोड़ते हुए अपनी मेहनत और आश्रम शिक्षकों के समर्पण से यह उपलब्धि अर्जित की।
बीते डेढ़ वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान ने बस्तर के दूरस्थ क्षेत्रों में परिवर्तन की नींव रखी है। पूवर्ती जैसे क्षेत्र जहां पहले सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं, अब वहां सड़क निर्माण, सुरक्षा बलों के कैंप, गुरुकुल विद्यालय, स्वास्थ्य सेवाएं और उचित मूल्य दुकानें शुरू हो चुकी हैं।
पूवर्ती में अब बच्चों की पढ़ाई के लिए सुरक्षा बलों की देखरेख में चल रहे गुरुकुल ने एक प्रेरणादायी माहौल देना शुरू किया है। अर्जुन की सफलता इसी सतत प्रयास की पहली बड़ी उपलब्धि है।
जिला कलेक्टर देवेश ध्रुव ने कहा कि पूवर्ती जैसे दुर्गम और माओवाद प्रभावित गांव से नवोदय विद्यालय में चयन, न केवल अर्जुन की मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह जिले की शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का भी संकेत है। हम हर बच्चे को आगे बढ़ाने का मौका देना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि माडवी अर्जुन की सफलता छत्तीसगढ़ की बदलती तस्वीर का प्रतीक है। यह उस नव-छत्तीसगढ़ की झलक है, जहाँ अंधेरे की जगह अब उजाले की बातें हो रही हैं। पूवर्ती जैसे गांव से राष्ट्रीय स्तर के नवोदय स्कूल तक का सफर दर्शाता है कि हमने जो बीज शिक्षा, सुरक्षा और विकास का बोया है, वह अब फल देने लगा है। अर्जुन को मेरी ओर से ढेरों बधाई और शुभकामनाएं। अब पूवर्ती क्षेत्र से केवल एक अर्जुन नहीं, हजारों अर्जुन निकलेंगे और छत्तीसगढ़ के भविष्य को संवारेंगे। राज्य सरकार हर बच्चे के सपनों को पंख देने के लिए कटिबद्ध है।
माडवी अर्जुन की यह यात्रा केवल एक छात्र की कहानी नहीं, बल्कि यह उस बदलाव की दास्तान है, जिसे बस्तर जी रहा है। नक्सलवाद की दीवारें अब दरक रही हैं और शिक्षा की रोशनी बस्तर के घर-आंगनों में फैल रही है।बदलते बस्तर की यह शुरुआत है। अब अर्जुनों की कतार लगेगी और पूवर्ती जैसे गांव विकास की नई इबारत लिखेंगे।
बिलासपुर तीन लाख से दस लाख जनसंख्या श्रेणी में देश का दूसरा और कुम्हारी 20-50 हजार की आबादी वाले शहरों में देश का तीसरा सबसे साफ शहर
सुपर स्वच्छता लीग में छत्तीसगढ़ के तीन शहरों ने बनाई जगह, रायपुर राज्य का प्रॉमिसिंग स्वच्छ शहर
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत नगरीय निकायों को दी बधाई
रायपुर/शौर्यपथ /केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में छत्तीसगढ़ के सात शहरों ने अपनी स्वच्छता की चमक बिखेरी है। बिल्हा नगर पंचायत 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों में अब देश का सबसे साफ-सुथरा शहर बन गया है। स्वच्छ सर्वेक्षण में 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में बिल्हा ने देशभर में प्रथम स्थान हासिल किया है। तीन लाख से दस लाख जनसंख्या वाले शहरों में बिलासपुर को पूरे देश में दूसरा और 20 हजार से 50 हजार आबादी वाले शहरों में कुम्हारी को तीसरा स्थान मिला है।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में इन तीनों नगरीय निकायों के साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्य के कुल सात नगरीय निकायों को पुरस्कृत किया। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री अरुण साव, संबंधित निकायों के महापौर, अध्यक्षों और अधिकारियों ने ये पुरस्कार ग्रहण किए। केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल और केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री तोखन साहू भी पुरस्कार समारोह में शामिल हुए।
भारत सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में अंबिकापुर, पाटन, विश्रामपुर और रायपुर ने भी राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है। स्वच्छ सर्वेक्षण में पहली बार शामिल नई श्रेणी 'स्वच्छता सुपर लीग' (एसएसएल) में अंबिकापुर, पाटन और विश्रामपुर ने जगह बनाई है। यह सम्मान उन शहरों को दिया गया, जो पिछले तीन वर्षों में कम से कम एक बार शीर्ष तीन में रहे हैं और वर्तमान वर्ष में शीर्ष 20 शहरों में शामिल हैं। अंबिकापुर ने 50 हजार से तीन लाख जनसंख्या श्रेणी में तथा पाटन और विश्रामपुर ने 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में एसएसएल में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। इनके अतिरिक्त, राजधानी रायपुर को छत्तीसगढ़ का 'प्रॉमिसिंग (Promising) स्वच्छ शहर' का पुरस्कार मिला है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी विजेता नगरीय निकायों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि राज्य के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने इन शहरों में स्वच्छता के प्रति नागरिकों, स्थानीय निकायों और प्रशासन के सामूहिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ये पुरस्कार राज्य के अन्य शहरों को भी अपने शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए प्रेरित करेंगे।
उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने भी आज पुरस्कृत नगरीय निकायों को बधाई दी और कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए केवल एक सम्मान ही नहीं, बल्कि स्वच्छता के प्रति निरंतर प्रयासों का प्रमाण है। आने वाले समय में अन्य नगरीय निकायों को भी स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होंगे। शहरी सरकारों से लेकर राज्य और केंद्र की सरकार शहरों को स्वच्छ, सुंदर और सुविधापूर्ण बनाने के लिए कई नवाचारों के साथ सतत काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप प्रदेश में हुआ स्कूल और शिक्षक युक्तियुक्तकरण
रायपुर/शौर्यपथ /शिक्षा की गुणवत्ता और सुगमता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता और नीति-आधारित दृष्टिकोण के साथ संपन्न की गई है। इस प्रक्रिया में शिक्षकों के किसी भी पद को समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ और संगठित किया गया है।
राज्य में युक्तियुक्तकरण से पहले की स्थिति अत्यंत असंतुलित थी। प्रदेश में शून्य दर्ज संख्या वाली 211 शालाएं संचालित थीं, जिनमें कुछ में शिक्षक पदस्थ भी थे। इसके अतिरिक्त, 453 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल तथा हायर सेकेण्डरी शालाएं शिक्षक विहीन थीं। साथ ही, 5936 शालाएं एकल शिक्षकीय थीं, जिनमें सभी स्तर की शालाएं सम्मिलित थीं। यह स्थिति निःसंदेह शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही थी।
वहीं दूसरी ओर, कुछ प्राथमिक शालाओं में अनुचित शिक्षक-संख्या की अधिकता देखी गई — 8 प्राथमिक शालाओं में 15 से अधिक शिक्षक, 61 में 10 से 14 शिक्षक, तथा 749 प्राथमिक शालाओं में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत थे। पूर्व माध्यमिक स्तर पर भी यही असंतुलन था — 9 शालाओं में 15 या उससे अधिक, 90 में 10 से 14, तथा 1641 पूर्व माध्यमिक शालाओं में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत पाए गए।
प्रदेश में कई स्थानों पर एक ही परिसर में प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी शालाएं अलग-अलग प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित थीं, जिससे प्रबंधन में भी जटिलताएँ उत्पन्न हो रही थीं। इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं, 01 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित दूसरी शालाओं के समानांतर संचालित थीं। शहरी क्षेत्रों में यह स्थिति और भी अधिक घनत्व वाली थी — 500 मीटर से कम दूरी पर 30 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं संचालित थीं। इस असमानता को समाप्त करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के उद्देश्यों को धरातल पर लागू करने के लिए युक्तियुक्तकरण आवश्यक था।
प्रथम चरण — विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण
इस प्रक्रिया के पहले चरण में, शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों और निर्देशों के आधार पर विकासखंड स्तर पर युक्तियुक्तकरण योग्य विद्यालयों का चयन किया गया, जिसे जिला स्तरीय समिति द्वारा परीक्षण एवं अनुशंसा उपरांत शासन को भेजा गया। इसके आधार पर कुल 10538 विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण किया गया, जिसमें 10372 एक ही परिसर में संचालित विद्यालय, 133 ग्रामीण क्षेत्र की 01 कि.मी. से कम दूरी की शालाएं, तथा 33 शहरी क्षेत्र की 500 मीटर से कम दूरी वाली शालाएं सम्मिलित हैं।
द्वितीय चरण — शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण
शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण हेतु अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन एवं गणना प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्रावधानानुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत की गई।इन शिक्षकों को काउंसिलिंग प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय तथा विषयवार आवश्यकता वाली शालाओं में समायोजित किया गया।
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप कुल 15165 शिक्षकों एवं प्राचार्यों का समायोजन किया गया जिससे पूर्व में 453 शिक्षक विहीन शालाएं अब पूर्णतः शिक्षक युक्त हो गई हैं।5936 एकल शिक्षकीय शालाओं में से अब केवल 1207 प्राथमिक शालाएं शिक्षक अनुपलब्धता के कारण शेष हैं।
इस प्रक्रिया में कोई भी पद समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि प्रत्येक विद्यालय के लिए आवश्यक शिक्षक संख्या का निर्धारण शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार दर्ज संख्या के अनुपात में किया गया है।
भविष्य में यदि किसी विद्यालय की दर्ज संख्या में वृद्धि होती है, तो वहां शिक्षकों की व्यवस्था स्वीकृत पदों के अनुसार की जाएगी।
By विशेष संवाददाता | शौर्यपथ समाचार समूह | 16 जुलाई 2025
ह्यूस्टन/नई दिल्ली।
भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने 20 दिनों की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद आज पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी कर ली है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और निजी कंपनी Axiom Space के संयुक्त मिशन का हिस्सा रहे शुक्ला की वापसी को विश्व मीडिया ने "मानव साहस, विज्ञान और भारतीय प्रतिभा का संगम" बताया है।
शुक्ला का अंतरिक्ष यान "Axiom Orion-X4" बुधवार तड़के 3:48 बजे (IST) अटलांटिक महासागर में पैराशूट द्वारा सफलतापूर्वक लैंड हुआ। वापसी के बाद मेडिकल परीक्षणों में उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति सामान्य पाई गई। उनकी मुस्कान और आत्मविश्वास ने न सिर्फ टीम को, बल्कि भारत सहित दुनियाभर के लोगों को गर्व से भर दिया।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जन्मे शुभांशु शुक्ला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिक्स और स्पेस इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा हासिल की। वे अंतरिक्ष चिकित्सा और माइक्रोग्रैविटी व्यवहार अध्ययन के विशेषज्ञ हैं।
उनकी यात्रा Axiom Space के वैज्ञानिक-शोध मिशन X4 का हिस्सा थी, जिसमें उन्होंने पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में मानव शरीर पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित नेविगेशन सिस्टम पर प्रयोग किए।
अपनी वापसी से पहले, शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष यान से एक भावनात्मक संदेश भेजा:
“मैं जहां भी हूं, भारत मेरे साथ है। अंतरिक्ष में जब पृथ्वी को देखा, तो मेरे दिल ने सबसे पहले ‘माँ भारती’ को प्रणाम किया।”
NASA के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एलेन स्मिथ ने कहा:
“शुभांशु की वैज्ञानिक योग्यता और मिशन में सहभागिता अद्भुत थी। वे न केवल अंतरिक्ष यात्री के रूप में, बल्कि मानवता के अग्रदूत के रूप में उभरे हैं।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने X पर बधाई देते हुए लिखा:
“शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारत के युवाओं को विज्ञान की ओर प्रेरित करेगी। देश को उन पर गर्व है।”
ISRO प्रमुख डॉ. वीरेन मिश्रा ने कहा:
“शुभांशु की सफलता भारत की वैज्ञानिक सोच और वैश्विक क्षमता का प्रतीक है।”
प्रयागराज में उनके पैतृक निवास पर मिठाइयाँ बांटी गईं और दीप जलाकर परिवारजनों ने खुशी मनाई।
सूत्रों के अनुसार, शुभांशु शुक्ला जल्द ही भारत आकर छात्रों और वैज्ञानिक संस्थानों को संबोधित करेंगे। ISRO और DRDO के साथ संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम में उनके जुड़ने की संभावना भी जताई जा रही है।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा केवल एक वैज्ञानिक मिशन नहीं थी, बल्कि यह भारत की प्रतिभा, परिश्रम और वैश्विक नेतृत्व की प्रतीक बन चुकी है। अंतरिक्ष की सीमाओं को पार कर उन्होंने भारत के गौरव को नया आकाश दिया है।
"धरती पर लौटे हैं वे, पर उनकी उपलब्धि अब सितारों से भी ऊपर है।"
कोण्डागांव/शौर्यपथ /कलेक्टर एवं जिला साक्षरता मिशन प्राधिकरण कोंडागाँव के अध्यक्ष श्रीमती नूपुर राशि पन्ना की अध्यक्षता में मंगलवार को संयुक्त जिला कार्यालय के सभा कक्ष में जिला साक्षरता मिशन प्राधिकारण की उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। कलेक्टर ने सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों को साक्षरता दर बढ़ाने में जरूरी सहयोग एवं समन्वय के निर्देश दिए। जिले में पहली बार विभिन्न विकासखंडों के कक्षा 8वीं 10वीं एवं 12वीं के चार छात्र छात्राओं ने 10 असाक्षर को साक्षर कर मार्च 2025 की साक्षरता की महा परीक्षा में सम्मिलित कर उत्तीर्ण कराया और अपने मुख्य परीक्षा में बोनस अंक के 10 अतिरिक्त अंक अर्जित किये। बैठक में जिला पंचायत सीईओ एवं जनपद पंचायत सीईओ को सचिव एवं रोजगार सहायकों को सहयोग देने कॉलेज के छात्र-छात्राओं, राष्ट्रीय सेवा योजना तथा एनसीसी के विद्यार्थियों से सर्वे कार्य में सहयोग एवं स्वयंसेवी शिक्षक की भूमिका निभाने का निर्देश दिया। महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का सर्वे कार्य में सहयोग एवं स्वयंसेवी शिक्षक की भूमिका निभाने हेतु निर्देश जारी करने कहा गया। इसी तरह श्रम विभाग के असाक्षर श्रमिकों को एवं आदिम जाति विकास विभाग समाज कल्याण विभाग श्रम विभाग कृषि एवं पशुपालन खेल विभाग कौशल विकास जैसे सभी विभागों को उनके असाक्षर हितग्राहियों को उल्लास योजना से जोड़ने की निर्देश दिए गए। जिला परियोजना अधिकारी श्री वेणुगोपाल राव ने बताया कि इस वर्ष राज्य से जिला को 50000 शिक्षार्थियों तथा 5000 स्वयंसेवी शिक्षकों का सर्वे करने एवं उसका उल्लास एप में प्रविष्टि करने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत पांच घटकों का समावेश किया गया है, इसमें बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान महत्वपूर्ण जीवन कौशल जैसे वित्तीय कानूनी डिजिटल पर्यावरण मतदाता साक्षरता एवं सतत शिक्षा शामिल है। जिले के पुरुष साक्षरता दर 67.45 प्रतिशत एवं महिला साक्षरता दर 45.37 प्रतिशत है तथा जिला का साक्षरता दर 56.21 प्रतिशत है। वर्ष 2025-26 के लिए प्राप्त लक्ष्य 15000 शिक्षार्थियों का सर्वे कर उल्लास एप में प्रविष्टि की जाएगी तथा माह मार्च 2026 की साक्षरता के महापरीक्षा में सम्मिलित होंगे। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक को ग्राम या वार्ड प्रभारी बनाया गया है तथा उनके मार्गदर्शन में संस्था के समक्ष शिक्षक सर्वे कार्य व उल्लास एप में प्रविष्टि का कार्य जुलाई 2025 तक संपन्न करेंगे। सभी विभाग प्रमुख ग्राम वार्ड के प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक को सहयोग प्रदान करने के लिए अमले को निर्देशित करेंगे। इसके साथ ही उल्लास केन्द्रों को आकर्षक बनाने एवं स्मार्ट क्लास के अंतर्गत सभी को ऑडियो विजुअल सामग्री प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं। इस बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती भारती प्रधान एवं डीएमसी श्री ईमेल सिंह बघेल भी उपस्थित थे।
बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा-सुकमा में शासन की रणनीति सफल — दूरस्थ अंचलों में भी पहुँच रही स्वास्थ्य सेवा
सक्रिय निगरानी, घर-घर स्क्रीनिंग और सामुदायिक भागीदारी से गढ़ा नया स्वास्थ्य मॉडल
रायपुर /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान (12वां चरण) की अब तक की प्रगति से स्पष्ट है कि राज्य शासन की घर-घर स्क्रीनिंग रणनीति और सक्रिय जनसंपर्क के माध्यम से मलेरिया की जड़ पर प्रहार किया जा रहा है। 25 जून से 14 जुलाई 2025 तक हुए सर्वेक्षण में 1884 मलेरिया पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गई, जिनमें से 1165 मरीज (61.8%) बिना लक्षण वाले थे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि हमारी सरकार की नीति स्पष्ट है—बीमारी की प्रतीक्षा मत करो, बीमारी से पहले पहुँचो। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा कि यह अभियान राज्य को मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक साबित होगा।
कुल 1,39,638 लोगों की मलेरिया जांच की गई। 1884 लोग पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से 1165 (61.8%) बिना किसी लक्षण के थे — यानी यदि ये स्क्रीनिंग नहीं होती, तो संक्रमण आगे बढ़ता। कुल मामलों में से 75% से अधिक बच्चे हैं, जो विशेष रूप से संवेदनशील वर्ग हैं। 92% से अधिक मलेरिया केस Plasmodium falciparum (Pf) प्रकार के हैं — जिसकी त्वरित पहचान से गंभीर जटिलताओं को टाला गया।
दंतेवाड़ा जैसे दूरस्थ और भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण जिले में 12.06% लक्ष्य प्राप्ति दर और 706 मलेरिया पॉजिटिव मामलों की पहचान एक बड़ी सफलता है। खास बात यह है कि इनमें से 574 मरीज बिना लक्षण वाले (Asymptomatic) थे, जिन्हें शासन की सक्रिय रणनीति के कारण समय रहते उपचार उपलब्ध कराया गया। यह दिखाता है कि जंगल क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य तंत्र की पहुँच, निगरानी, और सेवा वितरण प्रभावशाली तरीके से हो रहा है।
सुकमा में 15,249 व्यक्तियों की जांच के दौरान 372 मलेरिया पॉजिटिव केस मिले, जिनमें से 276 मरीज बिना लक्षण वाले थे। यह आँकड़ा स्पष्ट रूप से बताता है कि शासन की प्रो-एक्टिव स्क्रीनिंग के चलते साइलेंट संक्रमण के चक्र को तोड़ा जा रहा है। जनजातीय क्षेत्रों में भी मेडिकल एक्सेस और सामुदायिक भागीदारी के चलते संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा रहा है — यह प्रशासन की रणनीतिक सफलता है।
मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के 12वें चरण अंतर्गत 27266 घरों में स्क्रीनिंग टीमों की पहुँच हुई। 1247 गर्भवती महिलाओं की जाँच की गई, जिनमें से मात्र 10 पॉजिटिव पाई गईं – यानी केवल 0.08%। LLIN (लार्ज लास्टिंग मच्छरदानी) का उपयोग 92% घरों में सुनिश्चित हुआ। Indoor Residual Spray कवरेज 68.73% तक पहुँचा। 614 घरों में मच्छर लार्वा मिलने पर त्वरित कार्रवाई की गई।
यह अभियान दर्शाता है कि स्वास्थ्य सेवा सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि जागरूकता, समयबद्धता और पहुँच का नाम है। शासन द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से स्क्रीनिंग, मच्छर नियंत्रण, जागरूकता और फॉलोअप व्यवस्था के संयुक्त प्रयास से ही संभव हो सका है कि 61.8% बिना लक्षण वाले मरीजों को इलाज मिला और संक्रमण की कड़ी टूट सकी।
छत्तीसगढ़ सरकार आने वाले समय में इस मॉडल को और विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि राज्य को मलेरिया मुक्त बनाना सिर्फ लक्ष्य नहीं, बल्कि वास्तविकता बने।
छात्रों की शिकायतों और तनाव प्रबंधन पर विश्वविद्यालय विशेष रूप से ध्यान दें
राज्यपाल ने ली शासकीय विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक
रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रमेन डेका ने आज प्रदेश के सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियोें की बैठक लेकर विश्वविद्यालयों के कामकाज की समीक्षा की। उन्होंने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए रिक्त पदों पर भर्ती की कार्रवाही को प्राथमिकता से करने कहा। उन्होंने सभी कुलपतियों से कहा है कि वे डीन स्टूडेंट वेलफेयर को सक्रिय करें और विद्यार्थियों की शिकायतों पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए समय पर निराकरण सुनिश्चित करें। राज्यपाल ने सोशल मीडिया के इस दौर में छात्रों के तनाव प्रबंधन पर भी विशेष बल दिया है।
राजभवन के कांफ्रेंस हॉल में आज आयोजित बैठक में राज्यपाल डेका ने विभिन्न बिंदुओं पर समीक्षा की। श्री डेका ने कहा कि विश्वविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। विश्वविद्यालयों में स्थाई रजिट्रार नियुक्त हो। आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रमों की संख्या बढ़ाए जिससे विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ेगी। बैठक में राज्यपाल ने कहा कि जब रिक्त पदों पर समय पर भर्ती होगी और प्रमोशन होंगे तब ही छत्तीसगढ़ के प्रोफेसर को कुलपति बनने का अवसर मिल सकेगा। बैठक में उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों से रिक्त पदों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि लंबे समय से टीचिंग स्टाफ की भर्ती नहीं होने से शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय नेक ग्रेडिंग प्राप्त करे और गुणवत्ता में सुधार लाए। राज्यपाल ने प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए सभी टीचिंग स्टाफ को वापस बुलाने के निर्देश दिए।
डेका ने कृषि विश्वविद्यालय को निर्देश दिए कि किसानो को पारंपरिक फसल के स्थान पर लाभप्रद फसल के लिए प्रोत्साहित करें। टमाटर के विपणन पर विशेष ध्यान देने कहा ताकि उन्हें खराब होने से बचाया जा सके। खाद्य उत्पादन और आपूर्ति में संतुलन होना चाहिए। उद्यानिकी विश्वविद्यालय को स्व-सहायता समूहों के साथ मिलकर कार्य करने कहा गया। राज्यपाल ने कुलपतियों से कहा कि वर्ष में एक बार एलुमिनाई मीट (पूर्व छात्रों का सम्मेलन) करंे। कुलपतियों से कहा गया है कि वे कॉलेजों का आकस्मिक निरीक्षण करंे और साल में दो बार प्राचार्यों के साथ बैठक करंे। विश्वविद्यालयों को रिसर्च एवं डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की जानकारी लेते हुए कहा कि कुलपति अपने अधिनष्ठ कॉलेजों के प्राचार्याे को इसकी संपूर्ण जानकारी दें। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए सभी कुलपति आपस में बैठक कर अपने सुझाव और अनुभव साझा करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों, विशेष कर व्यवसायिक और तकनीकी विश्वविद्यालयों में नवाचार को बढ़ावा देने और युवाओं को स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहित करने पर बल दिया।
बैठक के प्रारंभ में राज्यपाल के सचिव डॉ. सी. आर. प्रसन्ना ने समीक्षा बैठक के मुख्य बिन्दुओं की जानकारी दी। विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने बारी-बारी से प्रेजेंटेशन दिया। बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त डॉ. संतोष देवांगन, राजभवन की उप सचिव श्रीमती हिना अनिमेष नेताम सहित सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने ‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान पर आधारित पुस्तिका का किया विमोचन
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज विधानसभा परिसर स्थित अपने कक्ष में ‘मोर गांव मोर पानी’ महाअभियान पर आधारित पुस्तिका का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रारंभ किए गए इस विशेष अभियान ने जल संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में अभूतपूर्व चेतना उत्पन्न की है। विमोचन कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, प्रमुख सचिव पंचायत श्रीमती निहारिका बारीक, आयुक्त मनरेगा और संचालक प्रधानमंत्री आवास योजना श्री तारण प्रकाश सिन्हा सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ग्राम पंचायतों की सक्रियता और जनता की स्वप्रेरित भागीदारी के चलते यह अभियान अब एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है। लोग स्वेच्छा से जल संरक्षण जैसे पुनीत कार्यों से जुड़ रहे हैं, जो सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है। उन्होंने कहा कि पुस्तिका में राज्य की विभिन्न पंचायतों द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों और नवाचारों को संकलित किया गया है, जो अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अभियान के अंतर्गत सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों के माध्यम से जल संरक्षण के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रदेश की 11,000 से अधिक ग्राम पंचायत भवनों की दीवारों पर भूजल स्तर अंकित किया गया है, जिससे लोगों में जल के महत्व को लेकर व्यावहारिक चेतना जागृत हुई है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों की भूमिका जल संरक्षण को जन-भागीदारी से जोड़ने में महत्वपूर्ण रही है, और यह चेतना आने वाले समय में और भी व्यापक स्वरूप लेगी।
उल्लेखनीय है कि ‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान के तहत रैली, दीवार लेखन जैसे माध्यमों से व्यापक स्तर पर जनसामान्य को जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील और जागरूक किया गया है। 626 क्लस्टर्स में आयोजित प्रशिक्षणों के माध्यम से 56,000 से अधिक प्रतिभागियों को जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए तैयार किया गया है।
अभियान में GIS तकनीक का उपयोग कर जल संरक्षण कार्यों की प्रभावी योजना बनाई जा रही है, जबकि जलदूत ऐप के माध्यम से खुले कुओं का जल स्तर मापा जा रहा है। इसके अतिरिक्त, परकोलेशन टैंक, अर्दन डैम, डिफंक्ट बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर जैसे संरचनात्मक उपायों के माध्यम से जल पुनर्भरण और संरक्षण के स्थायी प्रयास किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायतों के यह प्रयास छत्तीसगढ़ को जल संरक्षण के राष्ट्रीय मॉडल के रूप में स्थापित करेंगे।