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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
भू-अभिलेख सुधार, डिजिटल सर्वे और राजस्व न्यायालयों में मामलों के त्वरित निराकरण को लेकर हुई विस्तृत चर्चा
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज विधानसभा परिसर स्थित कार्यालय में भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग के सचिव श्री मनोज जोशी ने सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर भू-अभिलेख प्रणाली को सुदृढ़ करने, भूमि सर्वेक्षण में तकनीकी नवाचारों के उपयोग, तथा राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों के शीघ्र निराकरण को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में राजस्व मंत्री टंकाराम वर्मा भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य सरकार भू-राजस्व दस्तावेजों को अद्यतन करने और आवश्यक सुधार के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड जितने व्यवस्थित होंगे, राजस्व न्यायालयों में मामलों का निपटारा उतना ही शीघ्र और प्रभावी रूप से हो सकेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भूमि अभिलेखों में सुधार संबंधी केंद्र सरकार की सभी पहल के साथ राज्य सरकार कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करेगी, ताकि यह प्रणाली और अधिक प्रभावशाली व जनहितकारी बन सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा तकनीक आधारित नवाचारी पहलों के माध्यम से भू-राजस्व रिकॉर्ड में पारदर्शिता, गति और सटीकता लाने का महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे किसानों और आम नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे इस दिशा में सभी आवश्यक कदम तत्परता से सुनिश्चित करें।
केंद्रीय भूमि संसाधन सचिव मनोज जोशी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में भू-अभिलेखों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है और राज्य सरकार के सक्रिय सहयोग से इसमें और अधिक सुधार लाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्व में पारंपरिक पद्धति से किए जाने वाले भूमि सर्वेक्षण में समय अधिक लगता था, किंतु अब आधुनिक तकनीकों के उपयोग से यह प्रक्रिया तेज़, अधिक सटीक और भरोसेमंद हो गई है।
जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार भू-अभिलेख संधारण प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है, जिसके अंतर्गत राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जमीन की खरीद-बिक्री के दौरान नक्शों के अद्यतन में कई बार तकनीकी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिन्हें डिजिटल सर्वेक्षण के माध्यम से प्रभावी रूप से दूर किया जा सकेगा। इससे प्रत्येक नागरिक को अद्यतन और प्रमाणिक नक्शा प्राप्त होगा, जिससे गड़बड़ियों में कमी आएगी और शहरी क्षेत्रों के विस्तार को बेहतर ढंग से नियोजित किया जा सकेगा।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, भारत सरकार के संयुक्त सचिव कुणाल सत्यार्थी, राजस्व सचिव अविनाश चंपावत, संचालक भू-अभिलेख विनीत नंदनवार सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मंत्रिपरिषद द्वारा वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान दिए जाने के निर्णय हेतु व्यक्त किया आभार
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से विधानसभा स्थित कार्यालय में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों ने सौजन्य भेंट कर मंत्रिपरिषद की बैठक में वर्ष 2005 से 2009 बैच तक के अर्हकारी सेवा अवधि पूर्ण कर चुके अधिकारियों को वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान प्रदान किए जाने के निर्णय हेतु आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि 11 जुलाई 2025 को आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य पुलिस सेवा संवर्ग के समुचित प्रबंधन हेतु 30 सांख्येतर पदों का सृजन करते हुए वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान प्रदान करने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय उन अधिकारियों के लिए लिया गया है जिन्होंने सेवा में निर्धारित अर्हता अवधि पूर्ण कर ली है।
इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखन पटले,कीर्तन राठौर, अनंत साहू, डॉ. संगीता माहेलकर एवं श्रीमती प्रज्ञा मेश्राम उपस्थित थीं।
छत्तीसगढ़ में पारदर्शी, वैज्ञानिक और जनहितैषी खनिज नीति के तहत रेत खनन व्यवस्था को मिल रहा नया स्वरूप
रायपुर/शौर्यपथ /राज्य में रेत खनन नीति को अधिक पारदर्शी, संगठित, पर्यावरण-संवेदनशील और जनहितैषी बनाने के उद्देश्य से व्यापक कदम उठाए गए हैं। पूर्ववर्ती सरकार के शासन काल के दौरान राज्य में संचालित रेत खदानों की संख्या 300 से घटकर लगभग 100-150 रह गई थी, जिससे निर्माण कार्य प्रभावित हुए और अवैध खनन को बढ़ावा मिला। वर्तमान सरकार द्वारा खनिज नीति में सुधार कर रेत खनन की व्यवस्था को संगठित, नियंत्रित और जनहितकारी बनाया गया है।
पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रिया में तीव्रता
राज्य में पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रिया को गति देने के लिए भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त कर तीन राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण समितियों का गठन किया गया है। पूर्व में केवल एक समिति कार्यरत थी। इस निर्णय से लंबित प्रकरणों के शीघ्र निपटारे की प्रक्रिया सुगम हुई है।
वैध खदानों की संख्या में वृद्धि
वर्तमान में 119 रेत खदानें पर्यावरणीय स्वीकृति के साथ विधिवत संचालित हैं, जबकि 94 अन्य खदानों की मंजूरी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। साथ ही, आगामी 1 से 1.5 वर्षों में 300 से अधिक नई खदानों को स्वीकृति दिए जाने की योजना है, जिससे रेत की आपूर्ति सुलभ बनी रहेगी और निर्माण कार्यों को गति मिलेगी।
IIT रुड़की की रिपोर्ट: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खनन
प्रमुख नदियों पर खनन के पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर IIT रुड़की से कराए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है कि विधिवत और नियंत्रित रेत खनन से नदियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। यह रिपोर्ट राज्य की वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित खनिज नीति को समर्थन प्रदान करती है।
अवैध खनन पर सख्त कार्यवाही
वर्ष 2024-25 से जून 2025 तक 6,331 अवैध खनन प्रकरण दर्ज किए गए, जिनमें से ₹18.02 करोड़ की वसूली, 184 मशीनों की जब्ती, 56 एफआईआर तथा 57 न्यायालयीन परिवाद दायर किए गए। जिला एवं राज्य स्तरीय टास्क फोर्सों द्वारा लगातार निगरानी और कार्रवाई की जा रही है, जिसमें खनिज, राजस्व, पुलिस, परिवहन और पर्यावरण विभाग के अधिकारी सम्मिलित हैं।
विवादों पर त्वरित कार्यवाही
राजनांदगांव और बलरामपुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों में रेत से संबंधित विवादों एवं घटनाओं पर त्वरित कानूनी और प्रशासनिक कार्यवाही की गई है। शासन का स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी अवैध गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को रॉयल्टी में राहत
15 मार्च 2024 को लिए गए निर्णय के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को रेत पर रॉयल्टी से छूट प्रदान की गई है। इस निर्णय से गरीबों और जरूरतमंदों को प्रत्यक्ष राहत मिली है।
भविष्य की नीति: पारदर्शिता और संतुलन
छत्तीसगढ़ शासन की नीति स्पष्ट है — खनिज संसाधनों के दोहन को जनहित, पारदर्शिता और पर्यावरणीय संतुलन के सिद्धांतों पर आधारित करना। संगठित, वैज्ञानिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से तैयार की गई यह नई रेत खनन नीति राज्य के समग्र विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों के लिए सशक्त आधार बनेगी।
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने Axiom-4 अंतरिक्ष मिशन की ऐतिहासिक सफलता और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी पर भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी है। मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि, गगनयान मिशन की ओर बढ़ते भारत के आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक कदमों का प्रतीक है। शुभांशु की यह उपलब्धि देश के करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा है और उनके सपनों को एक नई उड़ान देने वाली है।
मुख्यमंत्री साय ने समस्त छत्तीसगढ़वासियों की ओर से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह क्षण केवल भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए ही नहीं, अपितु हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है। शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि भारत की युवा वैज्ञानिक प्रतिभा और वैश्विक स्तर पर बढ़ती वैज्ञानिक भागीदारी का प्रमाण है।
छत्तीसगढ़ की बेटियाँ अब केवल लाभार्थी नहीं, बन रहीं सामाजिक परिवर्तन की भी वाहक- मुख्यमंत्री
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने की सराहना
रायपुर /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के एक छोटे से गांव उमरदा की निवासी एनु आज पूरे देश में “स्कूटी दीदी” के नाम से जानी जाती हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने एनु की जीवटता, आत्मनिर्भरता और ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उनके योगदान की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा कि एनु जैसी बेटियाँ ही आत्मनिर्भर भारत की असली पहचान हैं। उनके साहस, समर्पण और संकल्प से छत्तीसगढ़ के गांवों की तस्वीर बदल रही है।
एनु की प्रेरक यात्रा इस बात का प्रमाण है कि यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो, तो संसाधनों की कमी, सामाजिक दबाव और परंपरागत सोच भी राह नहीं रोक सकती। एक साधारण ग्रामीण परिवार में जन्मीं एनु ने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन 'बिहान' से जुड़कर सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण लिया, एक लाख रुपये का ऋण प्राप्त किया, और समय पर ऋण को चुका कर आर्थिक अनुशासन की मिसाल पेश की।
एनु को समझ थी कि ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए गतिशीलता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने 'प्रथम संस्था' से स्कूटी चलाना सीखा और शुरुआत में समाज के तानों और व्यंग्य के बावजूद अपना आत्मविश्वास बनाए रखा और हार नहीं मानी। जब वे गांव-गांव स्कूटी से महिलाओं से जुड़ने लगीं, तभी उन्हें “स्कूटी दीदी” के नाम से पहचाना जाने लगा।
वर्ष 2023 में एनु ने "महिला दोपहिया प्रशिक्षण केंद्र" की स्थापना की। शुरुआत में केवल 2-3 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया, लेकिन धीरे-धीरे यह पहल ग्रामीण समाज में एक क्रांति बन गई। अब तक वे 30 से अधिक महिलाओं को स्कूटी चलाना सिखा चुकी हैं, जो अब स्वयं आंगनबाड़ी, स्कूल, बैंक और स्वास्थ्य केंद्र जैसे स्थानों तक स्वतंत्र रूप से पहुँचना शुरू कर चुकी हैं।
एनु की इस पहल से न केवल महिलाओं की दैनिक गतिशीलता आसान हुई है, बल्कि पूरे सामाजिक दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आया है। अब गांवों में माता-पिता स्वयं अपनी बेटियों और बहुओं को एनु के पास प्रशिक्षण हेतु भेज रहे हैं। उनका सपना है कि वे 1000 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएं और शीघ्र ही चारपहिया वाहन प्रशिक्षण केंद्र शुरू करें।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि एनु जैसे लोग छत्तीसगढ़ की नई पहचान हैं। राज्य सरकार ‘बिहान’ जैसी योजनाओं के माध्यम से ऐसे नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो जमीनी स्तर पर परिवर्तन ला रहे हैं।
एनु का योगदान केवल ड्राइविंग प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है। उन्होंने सिलाई-कढ़ाई, एलईडी असेंबली, मनरेगा कार्यों, और घरेलू प्रबंधन में भी महिलाओं को दक्ष बनाया है। उनके प्रयासों को देखते हुए भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति शर्मा और धमतरी के कलेक्टर श्री अविनाश मिश्रा ने स्वयं उमरदा गांव जाकर एनु से मुलाकात की और उनके कार्यों की सराहना की।
ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने भी एनु की कहानी को फेसबुक पोस्ट के माध्यम से साझा करते हुए कहा कि जीवन में संसाधनों की कमी थी, लेकिन एनु के हौसले को कोई डिगा नहीं सका।उन्होंने एम.ए. की पढ़ाई पूरी कर 'बिहान' और 'प्रथम संस्था' से प्रशिक्षण प्राप्त कर न केवल आत्मनिर्भरता पाई, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनीं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ की बेटियाँ केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि परिवर्तन की वाहक बन रही हैं। राज्य सरकार हर ऐसी पहल का स्वागत करेगी जो महिला सशक्तिकरण को गति देगी।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से छत्तीसगढ़ विधानसभा के समिति कक्ष में राजनांदगांव जिले के नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारी सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ निरंतर जनहित में कार्य कर रही है। प्रशासनिक कार्यप्रणाली में नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए सभी प्रक्रियाओं को चरणबद्ध रूप से ऑनलाइन किया जा रहा है, जिससे नागरिकों को सुगम, सरल और सुलभ सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 24 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय पंचायत दिवस’ के अवसर पर प्रदेश की चयनित ग्राम पंचायतों में अटल डिजिटल सेवा केंद्रों की शुरुआत की गई है। इन केंद्रों के माध्यम से अब ग्राम पंचायत स्तर पर ही बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह पहल ग्रामीणों को डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में प्रदेश की अन्य पंचायतों को भी इस सुविधा से जोड़ा जाएगा।
राजनांदगांव से आए नागरिक प्रतिनिधिमंडल ने जिले में प्रयास विद्यालय, नालंदा परिसर, एवं अन्य महत्वपूर्ण विकास कार्यों के लिए मुख्यमंत्री साय के प्रति धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राजनांदगांव जिले में बीते डेढ़ वर्षों के भीतर पेयजल विस्तार, सड़क निर्माण, और अन्य अधोसंरचनात्मक कार्यों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के विभिन्न निर्माण कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनका प्रत्यक्ष लाभ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को मिल रहा है। यह जनकल्याण और विकास की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री साय ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि प्रदेश सरकार संतुलित, समावेशी और सतत विकास के सिद्धांतों पर कार्य करते हुए छत्तीसगढ़ को सतत विकास की ओर अग्रसर करने के लिए कटिबद्ध है।
इस अवसर पर पूर्व सांसद प्रदीप गांधी, कोमल राजपूत, त्रिस्तरीय पंचायत पदाधिकारीगण और राजनांदगांव जिले के गणमान्य नागरिकगण उपस्थित थे।
पालक और शिक्षक मिलकर संवारेंगे बच्चों का भविष्य — वर्ष में तीन बार अनिवार्य बैठक
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर राज्य के सभी स्कूलों में शैक्षणिक सत्र के दौरान वर्ष में तीन बार पालक-शिक्षक बैठकों का आयोजन किया जाएगा। पहली बैठक अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में आयोजित की जाएगी, जबकि द्वितीय एवं तृतीय बैठकें तिमाही और अर्धवार्षिक परीक्षाओं के 10 दिवस के भीतर संपन्न होंगी। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने सभी कलेक्टरों एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि प्रत्येक जिले में इन बैठकों के आयोजन हेतु कार्ययोजना तैयार की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि सभी विद्यालयों में यह प्रक्रिया प्रभावी रूप से लागू हो।
पालक-शिक्षक बैठकें न केवल शैक्षणिक संवाद का मंच होंगी, बल्कि वे बच्चों की संपूर्ण प्रगति पर सामूहिक दृष्टिकोण विकसित करने का अवसर भी देंगी। इन बैठकों के माध्यम से पालकों को यह समझाने का प्रयास किया जाएगा कि घर में बच्चों की पढ़ाई के लिए कैसा वातावरण होना चाहिए, उनकी दिनचर्या कैसी हो, परीक्षा के तनाव से कैसे निपटना है, और संवाद की आदत कैसे विकसित करनी है। साथ ही, ‘बस्ता रहित शनिवार’ जैसी पहल पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा जिससे बच्चे मानसिक रूप से हल्का महसूस करें और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लें।
बैठकों के दौरान पालकों को बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के उपायों पर भी जानकारी दी जाएगी। विशेष रूप से उन्हें यह समझाया जाएगा कि बच्चों को खुलकर बोलने के लिए अवसर प्रदान करना, नियमित स्वास्थ्य परीक्षण में भागीदारी सुनिश्चित करना, और जाति, आय एवं निवास प्रमाण पत्र बनवाने हेतु आयोजित शिविरों में बच्चों को शामिल करना कितनी महत्वपूर्ण पहल है। इसके अतिरिक्त ‘न्योता भोजन’ जैसी सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए भी पालकों को प्रेरित किया जाएगा।
इस पहल में डिजिटल शिक्षा को भी विशेष स्थान दिया गया है। बैठक के दौरान पालकों को दीक्षा ऐप, ई-जादुई पिटारा, डिजिटल लाइब्रेरी जैसे संसाधनों के बारे में बताया जाएगा, ताकि वे घर पर भी अपने बच्चों को तकनीक आधारित शिक्षण सामग्री से जोड़ सकें। इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई में रोचकता बढ़ेगी, बल्कि पालक स्वयं भी शिक्षा के सक्रिय सहभागी बन सकेंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगस्त के प्रथम सप्ताह में आयोजित होने वाली पहली पालक-शिक्षक बैठक को प्रत्येक स्कूल में भव्य, सुव्यवस्थित और संवाद-प्रधान रूप से संपन्न किया जाएगा। तदनुसार, तिमाही एवं अर्धवार्षिक परीक्षाओं के बाद होने वाली द्वितीय और तृतीय बैठकें भी सुनियोजित ढंग से कराई जाएंगी। इन बैठकों में बच्चों की अकादमिक प्रगति, पाठ्येतर गतिविधियों, स्वास्थ्य, और सामाजिक व्यवहार के संबंध में पालकों को अवगत कराते हुए, उनके व्यक्तित्व विकास पर चर्चा की जाएगी—ताकि स्कूल और परिवार मिलकर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कार्य कर सकें।
डीएपी की कमी को पूरा करने एनपीके, एसएसपी और नैनो डीएपी का भरपूर स्टॉक
राज्य में 1,79,000 बॉटल नैनो डीएपी भंडारित, निरंतर आपूर्ति जारी
रायपुर/शौर्यपथ / राज्य में रासायनिक उर्वरको कोई कमी नहीं हैं। खरीफ सीजन 2025 के लिए सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरक सहकारी समितियों एवं नीजि विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वैश्विक परिस्थिति के चलते डीएपी खाद के आयात में कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में अन्य रासायनिक उर्वरकों की भरपूर आपूर्ति एवं वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
राज्य में डीएपी की आपूर्ति में कमी से किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में 179000 बॉटल नैनो डीएपी, एनपीके उर्वरक का लक्ष्य से 25 हजार मेट्रिक टन अधिक तथा एसएसपी का निर्धारित लक्ष्य से 50 हजार मेट्रिक टन का अतिरिक्त भंडारण किया गया है। पोटाश के निर्धारित लक्ष्य 60 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध अब तक 77 हजार मेट्रिक टन से अधिक म्यूरेट ऑफ पोटाश का भंडारण किया गया है। नैनो डीएपी जो कि ठोस डीएपी के विकल्प के रूप में बीज/थरहा, जड़ उपचार एवं बोआई/रोपाई के पश्चात खड़ी फसल में छिड़काव के लिए उपयोगी है। नैनो डीएपी की निरंतर आपूर्ति राज्य में सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई है।
चालू खरीफ सीजन के लिए डीएपी उर्वरक के निर्धारित 3.10 लाख मेट्रिक टन लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 1 लाख 63 मेट्रिक टन से अधिक का भंडारण हो चुका है। डीएपी की आपूर्ति निरंतर जारी है। अभी जुलाई माह में 48 हजार मेट्रिक टन डीएपी उर्वरक की आपूर्ति राज्य को होगी। राज्य के सहकारी क्षेत्र में उर्वरकों का भंडारण प्राथमिकता के आधार पर कराया गया है। राज्य के सहकारी क्षेत्र में डीएपी उर्वरक की उपलब्धता राज्य की कुल उपलब्धता का 62 प्रतिशत है।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 13.18 लाख मेट्रिक टन का भंडारण किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि में भंडारित 12.79 लाख मेट्रिक टन से लगभग 38 हजार मेट्रिक टन अधिक है। इस वर्ष एनपीके और एसएसपी का लक्षित मात्रा से क्रमशः 25,266 मेट्रिक टन एवं 71,363 मेट्रिक टन अधिक भंडारण किया गया है, जो डीएपी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा रहा है। राज्य में यूरिया 6 लाख मेट्रिक टन अधिक का भंडारण हुआ है। जुलाई एवं आगामी माह में यूरिया के शेष मात्रा की आपूर्ति होगी।
यहां यह उल्लेखनीय है कि धान में यूरिया का उपयोग तीन बार किया जाता है। प्रथम बार बोआई/रोपाई के समय में, दूसरी बार कंसा निकलने के समय में बोआई/रोपाई से तीन चार सप्ताह बाद एवं तीसरी बार गभोट अवस्था में बोआई/रोपाई के 7 से 8 सप्ताह बाद, इस प्रकार यूरिया का सितम्बर माह के मध्य तक उपयोग किया जाता है। डीएपी उर्वरक का 1.63 लाख मेट्रिक टन भंडारण हुआ है। जुलाई माह के सप्लाई प्लान के अनुसार राज्य को 48 हजार 850 मेट्रिक टन डीएपी और मिलेगी।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जुलाई माह में 25 हजार टन एनपीके की आपूर्ति संभावित है। एनपीके की अतिरिक्त आपूर्ति को मिलाकर कुल अतिरिक्त एनपीके 50 हजार 266 मेट्रिक टन से 22 हजार मेट्रिक टन डीएपी प्रतिपूर्ति होगी। इसी तरह एसएसपी की कुल अतिरिक्त आपूर्ति 1.47 लाख मेट्रिक टन से 50 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति होगी। इस प्रकार राज्य में एनपीके और एसएसपी के अतिरिक्त आपूर्ति से 72 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे- नैनो डीएपी, एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज का पर्याप्त भंडारण किया गया है।
दुर्ग / शौर्यपथ / थाना पद्मनाभपुर एवं एसीसीयू की संयुक्त टीम ने मोटर साइकिल चुराने वाले अन्तर जिला चोर गिरोह का पर्दाफाश कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से चोरी के 14 नग विभिन्न कंपनी की मोटर साइकिल व एक्टिवा बरामद की है। गिरोह राजनांदगांव एवं बालोद जिला में रहकर चोरी की घटना को अंजाम देते थे।
पुलिस प्रवक्ता पद्मश्री तंवर ने बताया कि थाना कोतवाली दुर्ग,मोहन नगर,पदमनाभपुर एवं विभिन्न थाना क्षेत्र में हो रही लगातार मोटर साइकिल चोरी की घटना को देखते हुए एसीसीयू एवं थाना पद्मनाभपुर संयुक्त टीम को मुखबीर से सूचना मिला कि दो मोटर साइकिलों में सवार 5 लड़के शराब भट्टी के आसपास मोटर साइकिल को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश कर रहे है। पुलिस टीम मौके पर पहुंचकर घेराबंदी कर दो मोटर साइकिल सहित 5 लड़कों को पकड़ा। पूछताछ करने पर अपना नाम नरेन्द्र मरकाम(23 वर्ष) निवासी लालबाग, राजनांदगांव, मोहन मरकाम( 24वर्ष) निवासी बासिन, बालोद,मुकेश मरकाम(44वर्ष) निवासी सलोनी, राजनांदगांव, राजेश मरकाम (42 वर्ष) निवासी सुरगी, राजनांदगांव और प्रहलाद उर्फ बोडो देवार (20वर्ष) निवासी राजनांदगांव बताया। आरोपी प्रहलाद उर्फ बोडो देवार ने बताया वह अपने साथियों के साथ के साथ मिलकर जिला दुर्ग एवं अलग अलग जिलों के विभिन्न थाना क्षेत्रों में वाहन चोरी की घटना को करना स्वीकर किया। आरोपी प्रहलाद उर्फ बोडो देवार पूर्व से ही थाना पद्मनाभपुर के अपराध में फरार चल रहा था। जिससे पूछताछ में बताया कि चोरी की गई मोटर साइकिलों को अटल अवास के एक खंडहर मकान में बेचने के उद्देश्य से छिपाकर रखा हुआ है। आरोपियों की निशानदेही पर 01 एक्टीवा, 02 पल्सर, 02 सीडी डिलक्स, 06,एचएफ डिलक्स, 02, टी व्हीएस एक्सल, 01 यमाहा कुल 14 मोटर साइकिल बरामद किया है।
दुर्ग। शौर्यपथ । जामुल थाना अंतर्गत रविवार रात चोरों ने एसीसी कॉलोनी के साथ 8 घरों को निशाना बनाया। चोर नगदी और जेवरात सहित अन्य सामान चोरी कर फरार हो गए। कॉलोनी के जिन आवासों में चोरी हुई है वे सभी छुट्टियों में गए हुए हैं। फोरेंसिक टीम व डॉग स्क्वाड के अलावा कालोनी में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा है।
बता दें एसीसी (अड़ाणी) कंपनी से लगी हुई एसीसी कॉलोनी है। यहां नियमित कर्मचारियों को कंपनी ने आवास उपलब्ध कराया जाता है। दीगर राज्यों से यहां कर्मचारी नियुक्त हैं। छुट्टियों में कर्मचारी अपने गृहग्राम जाते हैं। सोमवार को जामुल पुलिस को सूचना मिली कि एसीसी कॉलोनी के लगभग 8 घरों में चोरी हो गई है। सूचना के बाद जामुल पुलिस के साथ छावनी सीएसपी हरीश पाटिल भी पहुंचे। फोरेंसिक टीम व डॉग स्क्वाड भी पहुंची। पुलिस ने पहुंचते ही जांच शुरू कर दी है।
बताया जा रहा है कि इन आवासों से लाखों के जेवर व नगदी चोरी हुई है। छावनी सीएसपी हरीश पाटिल ने बताया कि एसीसी कॉलोनी के ऐसे घरों में चोरी हुई है,जिसमें रहने वाले बाहर छुट्टियों में गए हुए हैं। सोमवार की सुबह यहां रहने वाले एक स्थानीय कर्मचारी अपने घर में हुई चोरी की सूचना दी। इसके बाद ही पुलिस को पता चला कि यहां के करीब 8 आवासों में चोरी हो गई। इस मामले में हुई एक शिकायतकर्ता के आवास से 20 हजार नगदी व सोने चांदी के जेवर चोरी हुए हैं। सीएसपी पाटिल ने बताया कि चोरी के तरीके से पता चलता है कि चोरों को पता था कि घर वाले नहीं है। चोरों ने रेकी कर चोरी की है। कॉलोनी के एंट्री व एग्जिट गेट पर ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इसकी फुटेज भी जांची जा रही है। एसीसी कंपनी से शेष आवासों में रहने वालों की जानकारी जुटाकर चोरी का आंकलन किया जाएगा। फिलहाल जांच जारी है।
एमसीबी/शौर्यपथ /आगामी धान खरीदी सीजन 2025-26 के लिए राज्य शासन ने भारत सरकार के एग्रीस्टैक प्रोजेक्ट के अंतर्गत किसान पंजीयन को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत प्रदेश भर में किसानों को एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीकृत किया जाएगा, जिससे कि उन्हें समर्थन मूल्य पर धान विक्रय की सुविधा मिल सके। पंजीयन की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर निर्धारित की गई है। जिले के सभी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को निर्देशित किया गया है कि वे एकीकृत किसान पोर्टल के माध्यम से किसानों का नवीन पंजीयन एवं फसल रकबे का संशोधन कार्य प्राथमिकता के आधार पर संपादित करें। एग्रीस्टैक के माध्यम से किया गया पंजीयन ई-केवाईसी युक्त होता है, जिससे दोहराव की संभावना समाप्त हो जाती है और किसानों की वास्तविक पहचान सुनिश्चित होती है। राज्य शासन द्वारा यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है ताकि कृषकों को शासकीय योजनाओं का लाभ पारदर्शी तरीके से मिल सके। धान खरीदी के लिए राज्य शासन के द्वारा एकीकृत किसान पोर्टल विकसित किया गया है, जिसमें पंजीयन की प्रक्रिया प्रतिवर्ष 1 जुलाई से 31 अक्टूबर तक संचालित की जाती है। इस वर्ष भी खरीफ सीजन से लिए यह प्रक्रिया निर्धारित अवधि में पूर्ण की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस बार कृषक पंजीयन हेतु खाद्य विभाग, राजस्व विभाग और कृषि विभाग के बीच इंटर डिपार्टमेंटल समन्वय को सुदृढ़ किया गया है। खाद्य विभाग द्वारा धान खरीदी पोर्टल पर किसानों का डाटा एग्रीस्टैक की फार्मर रजिस्ट्री से एपीआई के माध्यम से लिया जाएगा, जो पूरी तरह से ई-केवाईसी आधारित होगा। इसी के साथ राजस्व विभाग द्वारा संधारित भूइयों पोर्टल में दर्ज किसानों की भूमि जानकारी और गिरदावरी रिकॉर्ड को भी आधार सीडिंग के माध्यम से एकीकृत किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वे कृषकों के एग्रीस्टैक एवं धान खरीदी पंजीयन और आधार सीडिंग के कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए तय समय-सीमा में पूर्ण करें, जिससे जिले के सभी पात्र किसान समय पर पंजीकृत होकर समर्थन मूल्य पर धान विक्रय कर सके।
कक्षा सातवीं, नवमीं और ग्यारहवीं में सीबीएसई पाठ्यक्रम में
धमतरी/शौर्यपथ /शिक्षण सत्र 2025-26 के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय पथर्रीडीह, नगरी में कक्षा सातवीं, नवमीं और ग्यारहवीं की कक्षाओं में रिक्त सीटों की पूर्ति लेटरल एंट्री के माध्यम किया जाना है। इसके लिए 21 जुलाई से 26 जुलाई तकएकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय पथर्रीडीह में आवेदन पत्र जमा किया जा सकता है। प्रवेश परीक्षा 3 अगस्त को सुबह 9 से 11 बजे तक नगरी विकासखण्ड के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय पथर्रीडीह में होगी। सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग ने बताया कि सीबीएससी पाठ्यक्रम में लेटरल एंट्री का चयन प्रवेश परीक्षा में प्राप्तांक मेरिट के आधार पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों का किया जाएगा। एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय पथर्रीडीह में कक्षावार लेटरल एंट्री के लिए रिक्त सीटों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि कुल तीन विद्यार्थियों का चयन लेटरल एंट्री के माध्यम से प्रवेश के लिए किया जाएगा। इनमें कक्षा सातवीं में बालिका के एक, कक्षा नवमीं में बालक का एक और कक्षा ग्यारहवीं-वाणिज्य संकाय में बालक का एक सीट शामिल है। सहायक आयुक्त ने यह भी बताया कि निर्धारित तिथि और डाक के माध्यम से मिले आवेदन पत्रों पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। आवेदन पत्र जिले की वेबसाईट
www.dhamtari.gov.in पर डाउनलोड किया जा सकता है।
सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग ने बताया कि रिक्त सीट के विरूद्ध कक्षा छठवीं में उत्तीर्ण अथवा कक्षा सातवीं में अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थी क आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे। इसी तरह कक्षा आठवीं उत्तीर्ण और कक्षा नवमीं में अध्ययनरत तथा कक्षा दसवीं उत्तीर्ण एवं कक्षा ग्यारहवीं में अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे।
5 ग्राम पंचायतों में चयनित तालाबों में होगा झींगा पालन,ग्रामीणों को मिलेगा आजीविका का नया स्रोत
रायपुर/शौर्यपथ /प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता से समृद्ध छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला अब कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति की ओर अग्रसर है। परंपरागत खेती से आगे बढ़ते हुए सुकमा के किसान अब मछली पालन के साथ-साथ झींगा पालन को भी अपनाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, सुकमा के सहयोग से जिले के किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे वे आधुनिक और लाभकारी कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
कलेक्टर के मार्गदर्शन में समन्वित कृषि प्रणाली को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मछली पालन विशेषज्ञ डॉ. संजय सिंह राठौर एवं मत्स्य विभाग के अधिकारी श्री डी.एल. कश्यप के नेतृत्व में सुकमा विकासखंड की पांच ग्राम पंचायतों कृ भेलवापाल, झापरा, गोंगला, मूर्तोंडा एवं गादीरास कृ के तहत आने वाले 40 तालाबों का गहन निरीक्षण किया गया। इन तालाबों को झींगा पालन के लिए उपयुक्त पाया गया है। निकट भविष्य में कृषि विज्ञान केंद्र की मत्स्य इकाई, विशेषज्ञों की निगरानी और जिला मत्स्य विभाग के समन्वय से इन तालाबों में झींगा पालन की औपचारिक शुरुआत की जाएगी। यह पहल न केवल जिले में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी।
झींगा: पोषण और आमदनी का समृद्ध स्रोत
झींगा एक सर्वाहारी मीठे जल का जलीय जीव है, जो ब्रीडिंग के समय थोड़े खारे पानी की ओर प्रवास करता है। यह प्राकृतिक रूप से जल में मौजूद सूक्ष्म जीवों, कीटों और जैविक अवशेषों का सेवन करता है। झींगा प्रोटीन और आवश्यक वसा का उत्तम स्रोत है। इसके नियमित सेवन से न केवल मस्तिष्क का तीव्र विकास होता है, बल्कि यह हृदय स्वास्थ्य और कुपोषण निवारण में भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
किसानों को होगा व्यापक लाभ
झींगा पालन से किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में तीव्र और अधिक आमदनी होने की संभावना है। इसके साथ ही यह स्व रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगा, जिससे युवा वर्ग भी खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित होगा। उल्लेखनीय है कि यह योजना सुकमा जिले में ग्रामीण आजीविका सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। जिला प्रशासन, कृषि विज्ञान केंद्र और मत्स्य विभाग के संयुक्त प्रयास से सुकमा अब झींगा पालन के क्षेत्र में राज्य का अग्रणी जिला बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।