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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से उनके निवास कार्यालय में पंथी नृत्य दल ने सौजन्य मुलाकात की। पंथी नृत्य दल के सदस्यों ने बताया कि वे 13 से 24 फरवरी 2025 तक मिस्र (इजिप्ट) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। मुख्यमंत्री साय ने पंथी नृत्य दल के सभी कलाकारों को अपने कला-प्रदर्शन के माध्यम से विदेश की धरती पर छत्तीसगढ़ की माटी की सुगंध बिखेरने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर विधायक श्री खुशवंत सिंह साहेब उपस्थित थे।
एनपीके और एसएसपी उर्वरकों के लक्ष्य में 4.62 लाख मेट्रिक टन की बढ़ोत्तरी
मुख्यमंत्री ने कहा किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं
चालू खरीफ सीजन में अब 17.18 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य
रायपुर/शौर्यपथ/देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में राज्य में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित होने का वैकल्पिक मार्ग छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाल लिया है। किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है। डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों के माध्यम सुनिश्चित की जा रही है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके (20ः20ः013) और एनपीके (12ः32ः13) के वितरण लक्ष्य में 3.10 लाख मेट्रिक टन तथा एसएसपी के वितरण लक्ष्य में 1.80 लाख मेट्रिक टन की वृद्धि करने के साथ ही इसके भण्डारण एवं वितरण की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की है। एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य में वृद्धि होने के कारण चालू खरीफ सीजन में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मेट्रिक टन से 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे-एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि चालू खरीफ सीजन में 14.62 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसमें यूरिया 7.12 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 3.10 लाख मेट्रिक टन, एनपीके 1.80 लाख मेट्रिक टन, एमओपी 60 हजार मेट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मेट्रिक टन शामिल था। डीएपी के कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने इस लक्ष्य को संशोधित किया है। डीएपी की आपूर्ति की कमी चलते इसके लक्ष्य को 3.10 लाख मेट्रिक टन से कमकर 1.03 लाख मेट्रिक टन किया गया है, जबकि एनपीके के 1.80 लाख मेट्रिक टन के लक्ष्य को बढ़ाकर 4.90 लाख मेट्रिक टन और एसएसपी के 2 लाख मेट्रिक टन को बढ़ाकर 3.53 लाख मेट्रिक टन कर दिया गया है। यूरिया और एमओपी के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को यथावत् रखा गया है। इस संशोधित लक्ष्य के चलते रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा 14.62 लाख मेट्रिक टन से बढ़कर अब 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गई है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की कमी को अन्य उर्वरकों के निर्धारित मात्रा का उपयोग कर पूरी की जा सकती है और फसल उत्पादन बेहतर किया जा सकता है। फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश सहित मात्रा में मिले तो उपज में कोई कमी नहीं आती है। डीएपी की कमी को देखते हुए किसानों को अन्य फॉस्फेट खादों के उपयोग की सलाह दी है। डीएपी के प्रत्येक बोरी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है। इसके विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग करने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्सियम, नाइट्रोजन और सल्फर मिल जाता है। एसएसपी उर्वरक पौधों की वृद्धि के साथ-साथ जड़ों के विकास में भी सहायक है, इसके उपयोग से फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान जैव उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीफ-2025 में किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 12.13 लाख मेट्रिक टन उर्वरकों का भण्डारण कराया गया है, जिसमें से 7.29 लाख मेट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है। राज्य में वर्तमान में सहकारी और निजी क्षेत्र में 4.84 लाख मेट्रिक टन खाद वितरण हेतु उपलब्ध है।
छत्तीसगढ़ में जीएसटी कलेक्शन में ऐतिहासिक बढ़त: 18% वृद्धि दर के साथ देश में अव्वल
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय स्थित महानदी भवन में वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने विभाग के कार्यों एवं राजस्व संग्रहण की विस्तार से जानकारी प्राप्त की और कर संग्रहण बढ़ाने के उपायों पर कार्य करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कर की राशि का उपयोग देश और प्रदेश के विकास कार्यों में होता है, इसलिए सभी को ईमानदारी पूर्वक कर अदा करना चाहिए। साय ने कहा कि जो लोग कर (जीएसटी) की चोरी करते हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए तथा उनसे कर की वसूली सुनिश्चित की जाए। बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य को जीएसटी एवं वैट से कुल 23,448 करोड़ रुपये का कर राजस्व प्राप्त हुआ, जो राज्य के कुल कर राजस्व का 38% है। छत्तीसगढ़ ने 18% की जीएसटी वृद्धि दर हासिल की है, जो देश में सर्वाधिक है।
बैठक में वित्त एवं वाणिज्यिक कर (जीएसटी) मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने विभागीय जानकारी साझा की। मुख्यमंत्री साय ने जीएसटी संग्रहण हेतु विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि आगे भी नियमों के अनुरूप संग्रहण बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ कर अपवंचन के मामलों एवं उनसे निपटने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की।
मुख्यमंत्री साय ने फर्जी बिल, दोहरी बहीखाता प्रणाली और गलत टैक्स दरों का उपयोग कर अनुचित लाभ लेने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग की नवाचारी पहलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जीएसटी पंजीकरण की औसत समय सीमा को 13 दिन से घटाकर 2 दिन कर दिया गया है।
बैठक में अधिकारियों ने जीएसटी विभाग द्वारा हाल ही में की गई बड़ी कार्रवाइयों एवं कर चोरी की राशि की वसूली की जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि विभाग द्वारा की गई कार्रवाइयों से शासन के कर राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी 33 जिलों में जीएसटी कार्यालय स्थापित किए गए हैं, जिससे कर संग्रहण एवं जीएसटी से जुड़ी सेवाओं का कार्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ संपादित किया जा रहा है।
बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव मुकेश कुमार बंसल, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत तथा आयुक्त वाणिज्यिक कर पुष्पेंद्र मीणा सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
दुर्ग/शौर्यपथ /(विशेष व्यंग्य रिपोर्ट):
शक्ति नगर तालाब में हजारों मछलियों ने हाल ही में सामूहिक रूप से आत्महत्या कर प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। हालांकि प्रशासन फिलहाल असमंजस में है कि मामला हत्या का है, आत्महत्या का, या फिर मछलियों की कोई वैश्विक साजिश?
बताया जा रहा है कि मछलियों ने तालाब के दूषित होते पानी और बढ़ते रासायनिक अत्याचारों से तंग आकर स्वेच्छा से जीवन त्याग दिया। पर्यावरणविद् इसे जल-जागृति आंदोलन का "मूक" रूप बता रहे हैं, जबकि कुछ वरिष्ठ अधिकारी इस पर विचार कर रहे हैं कि "क्या मछलियाँ मानसिक अवसाद में थीं?"
तालाब के किनारे कुछ बचे-खुचे मछली परिजन फिलहाल अज्ञातवास में हैं। बताया जा रहा है कि वे तालाब के एक कोने में सीसीटीवी कैमरों से बचते हुए छिपे हुए हैं, ताकि कोई उन्हें बुलाकर "मुख्य गवाह" ना बना ले। कुछ मछलियाँ तो अब वकीलों से सलाह ले रही हैं कि क्या मछलियों को भी गवाही से छूट दिलाने वाला कोई धारा लागू होती है या नहीं।
नगर निगम प्रशासन की मानें तो "हमने तो सिर्फ जड़ी-बूटी की दवा डाली थी, मछलियों को क्या हुआ हमें नहीं मालूम।" वहीं विशेषज्ञों की मानें तो यह वही जड़ी-बूटी थी जो पहले खरपतवार को मारती थी, अब मछलियों के आत्मबल को भी समाप्त कर चुकी है।
विपक्ष ने इसे "मछली संहार कांड" का नाम दे दिया है और इस मुद्दे पर बयानबाजी तेज कर दी है, जबकि सत्तापक्ष ने इसे "प्राकृतिक चक्र" कहकर रफा-दफा करने की कोशिश की। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब हिरण आत्महत्या कर सकता है, तो मछलियाँ क्यों नहीं?”—बात में वजन तो था, पर पानी में नहीं।
राजनीति भी इस आत्महत्या पर दो हिस्सों में बंटी हुई है। एक ओर नेता कह रहे हैं:
"हमने कोई दवा नहीं डाली, मछलियाँ खुद ही अवसाद में थीं।"
दूसरी ओर विपक्ष इसका "जल संहार कांड" घोषित कर चुका है और सीधे एसपी ऑफिस जाकर अपनी राजनीति का जाल बिछा चुका है।
विपक्ष ने इसे "मछली संहार कांड" का नाम दे दिया है और इस मुद्दे पर बयानबाजी तेज कर दी है, जबकि सत्तापक्ष ने इसे "प्राकृतिक चक्र" कहकर रफा-दफा करने की कोशिश की। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब हिरण आत्महत्या कर सकता है, तो मछलियाँ क्यों नहीं?”—बात में वजन तो था, पर पानी में नहीं।
जिला प्रशासन ने मामले की जांच का आदेश दिया है और मत्स्य विभाग की एक टीम मौके पर भेज दी गई है। सूत्रों की मानें तो टीम के सदस्य तालाब के आसपास मौन धारण कर चुके जीवों से पूछताछ करने की तैयारी में हैं। हालांकि अभी तक कोई मछली CBI को चुपचाप बयान नहीं दे पाई है।
इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी चुप्पी उस पत्रकार जगत की है, जिनके पास अब सवाल पूछने की जगह, जवाब देने की जिम्मेदारी लाद दी गई है। खबर उठाने पर दबाव इतना गहरा है कि पत्रकारों को भी अब ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ने लगी है।
अंत में हम सब यही कह सकते हैं:
हे मछलियों, तुमने जो त्याग किया है, वह इतिहास के गहरे जल में अमिट रहेगा।
भगवान तुम्हारी मूक आत्माओं को वही शांति दें, जो इस देश की जांच समितियों को हमेशा मिलती रही है।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए व्यंग्यकार लेखक शरद पंसारी लिखते हैं—
“यह देश वही है जहाँ हिरण की मौत पर बहसें होती हैं, पर मछलियों की सामूहिक आत्महत्या बस जांच आदेशों की फाइलों में जल समाधि ले लेती है। शायद इसीलिए इन मछलियों ने इंसानों से पहले इंसानों को ही समझा दिया— अब और नहीं।”
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल और देश के पूर्व रक्षा सचिव श्री शेखर दत्त के निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके असमय निधन पर प्रदेश के प्रमुख नेताओं ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
मुख्यमंत्री साय ने अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हुए कहा—
"पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त जी के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है। वे एक कुशल प्रशासक, संवेदनशील जनसेवक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे। छत्तीसगढ़ के विकास में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं शोकाकुल परिवार को यह दु:ख सहने की शक्ति दे।"
पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त का भारतीय प्रशासनिक सेवा में लंबा और प्रभावशाली कार्यकाल रहा। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में उन्होंने राज्य के सामाजिक, शैक्षणिक और प्रशासनिक विकास में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके निधन को एक युग का अंत माना जा रहा है। प्रदेश में शोक की यह घड़ी राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने शोक संदेश में कहा—
"पूर्व रक्षा सचिव और हमारे छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त जी के निधन समाचार से मन अत्यंत दुखी है। एक मार्गदर्शक और आदर्श बनकर उन्होंने हमेशा मुझे छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा के लिए प्रेरित किया। श्री शेखर दत्त जी का देहांत पूरे छत्तीसगढ़ और राजनीतिक जगत के लिए अत्यंत दुखद है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिवार को यह अपार दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ? शांति।"
नई दिल्ली / एजेंसी / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से आठ दिवसीय पांच देशों की विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं, जिसका उद्देश्य ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत के संबंधों को नई ऊंचाई देना है। यह यात्रा कूटनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इस बहुप्रतीक्षित यात्रा की शुरुआत घाना से होगी, जो कि तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। यह ऐतिहासिक कदम भारत और अफ्रीकी देशों के बीच पुराने सांस्कृतिक, व्यापारिक और विकास साझेदारी को नए आयाम देगा। घाना के बाद प्रधानमंत्री त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा पर जाएंगे, जहां भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या है और संबंधों को सांस्कृतिक और सामरिक दृष्टि से मजबूत बनाने का अवसर मिलेगा।
इसके पश्चात प्रधानमंत्री अर्जेंटीना और नामीबिया जाएंगे, जहां द्विपक्षीय संबंधों के साथ ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, डिजिटल तकनीक और जलवायु सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।
यात्रा का अंतिम पड़ाव ब्राजील होगा, जहां प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस मंच के माध्यम से भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर वैश्विक आर्थिक सुधार, बहुपक्षीय सहयोग और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा।
प्रधानमंत्री की यह यात्रा न केवल भारत की विदेश नीति को और प्रभावशाली बनाएगी, बल्कि वैश्विक मंचों पर भारत की सशक्त उपस्थिति को भी दर्शाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भारतीय भावना को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने का एक सार्थक प्रयास है।
मोहला /शौर्यपथ /जिला कार्यालय मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी के सभा कक्ष में आज कलेक्टर श्रीमती तुलिका प्रजापति द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया गया। जिसके तहत जिले में 1 जुलाई से 7 जुलाई 2025 तक फसल बीमा सप्ताह मनाया जाएगा।
यह योजना भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनुमोदित है। खरीफ 2025 मौसम हेतु जिले की अधिसूचित फसलें हैं – धान (सिंचित व असिंचित), मक्का, उड़द, अरहर, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, कोदो, कुटकी एवं रागी। योजना के अंतर्गत कृषकों को केवल बीमांकित राशि का अधिकतम 2 प्रतिशत प्रीमियम देना होगा, शेष राशि केंद्र व राज्य सरकार वहन करेगी। यह बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, जलभराव, आकाशीय बिजली, चक्रवात, असमय वर्षा, बुवाई विफलता, एवं कम उपज की स्थिति में किसानों को सुरक्षा प्रदान करती है।
बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है। ऋणी कृषकों का बीमा संबंधित ऋणदाता संस्था द्वारा किया जाएगा जबकि गैर-ऋणी कृषक बैंक, कोऑपरेटिव, लोक सेवा केंद्र, पोस्ट ऑफिस, एजेंट, या फसल बीमा पोर्टल एवं ऐप के माध्यम से बीमा करा सकते हैं। गैर-ऋणी कृषकों के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक एवं फसल बुवाई से संबंधित दस्तावेज आवश्यक होंगे। ऋणी किसान योजना से बाहर होना चाहें तो निर्धारित घोषणा पत्र अंतिम तिथि से 7 दिन पूर्व अपनी बैंक शाखा में जमा करना अनिवार्य होगा। सभी कृषकों से अनुरोध है कि फसल बीमा का लाभ उठाते हुए अपनी खेती को सुरक्षित करें एवं अपने बैंक खाते को PFMS पोर्टल से सत्यापित अथवा आधार से लिंक कराना सुनिश्चित करें, ताकि दावा भुगतान में कोई बाधा न हो।
इस दौरान वनमण्डलाधिकारी श्री दिनेश पटेल, जिला पंचायत मुख्यकार्यपालन अधिकारी श्रीमती भारती चंद्राकर, अपर कलेक्टर श्री विजेंद्र सिंह पाटले, एसडीएम मोहला श्री हेमेंद्र भुआर्य, सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
जुलाई के 20 तारीख के भीतर कर्मियो का ग्रेच्युटी राशि का चेक सौंपा जाएगा:
उपादान की राशि की समीक्षा कर कर्मचारियो को उपादान राशि जल्द पूरा कर देने निर्देश:
दुर्ग/ शौर्यपथ /नगर पालिक निगम महापौर श्रीमती अलका बाघमार के मार्गदर्शन में वित्त लेखा व अंकेक्षण विभाग प्रभारी नरेंद्र बंजारे ने अपने एमआईसी भवन के कक्ष में विभाग समिति की बैठक में लेखा व अंकेक्षण विभाग प्रभारी नरेंद्र बंजारे ने समिति के सदस्यों व अधिकारियों के साथ प्रभारी श्री बंजारे ने उपादान की राशि की समीक्षा कर अधिकारियों से कहा की उपादान राशि को लेकर सूची का अवलोकन किये,
उन्होंने सूची जांच करने के बाद अधिकारी से कहाँ सूची अंतर्गत जितने भी नाम दर्ज है सभी का जल्द उपादान की राशि किस्तों में भुगतान करें।
साथ ही उन्होंने डिटिजल रिकार्ड हेतु भी कहा। उन्होंने बैठक में निगम समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि बजट से संबंधित अपना दस्तावेज लेखा/वित्त में जमा करे। समीक्षा बैठक के मौके पर विजयंत पटेल, मनीष बघेल, संजय अग्रवाल,खालिक रिजवी , श्रीमति सावित्री देवी दमोहे, मनोज सोनी, साजन जोसेफ, श्रीमति हिरोंदी नंदनिया, लेखाधिकारी रमाकांत शर्मा, योगेंद्र वर्मा सहित अन्य मौजुद रहे।
लेखा व अंकेक्षण विभाग प्रभारी प्रभारी नरेंद्र बंजारे ने बताया कि महापौर अल्का बाघमार सहित सभापति श्याम शर्मा के अलावा एमआईसी पार्षदो ओर अधिकारियों के बीच 80% कर्मियो का ग्रेच्युटी राशि का चेक सौंपा जाएगा।उन्होंने बताया इसी माह जुलाई के 20 तारीख के भीतर कर्मियो का ग्रेच्युटी राशि का चेक सौंपा जाएगा।
श्री बंजारे ने कहा ग्रेच्युटी का भुगतान उन कर्मियों का लंबित रह गया था,नियमित किए गए। इसमें दैनिक वेतन से नियमित होने के पीरियड की ग्रेच्युटी का भुगतान करने की जिम्मेदारी ली गई।ऊन्होने बताया कि लंबित भुगतान की राशि बढ़कर करीब 8 करोड़ पहुंच गई।लंबित ग्रेच्युटी भुगतान करने का निर्णय लिया। इसके लिए 300 पात्र कर्मचारियों की सूची जारी की। इन कर्मचारियों को 8 करोड़ से ज्यादा भुगतान का प्रावधान किया गया है।भुगतान की प्रक्रिया निरन्तर विभाग द्वारा कार्रवाही किया जा रहा है है।
असाक्षरों को साक्षर बनाने की दिशा में पहल
असाक्षरों एवं स्वयंसेवी शिक्षकों का चिन्हांकन
अम्बिकापुर /शौर्यपथ /राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं के अनुरूप उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम अंतर्गत मैनपाट विकासखंड में 15 वर्ष से अधिक आयु के असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में मैनपाट विकासखंड के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय कमलेश्वरपुर में शिक्षकों का उल्लास सर्वे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जारी आदेशानुसार 30 जून 2025 से 15 वर्ष या उससे अधिक आयु समूह के असाक्षरों और स्वयंसेवी शिक्षकों का चिन्हांकन कार्य प्रारंभ किया जाएगा। चिन्हांकन के उपरांत शिक्षार्थियों का पंजीयन उल्लास पोर्टल पर किया जाएगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षकों को राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के विभिन्न घटकों जैसे बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान जीवन कौशल (डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, चुनावी साक्षरता, स्वास्थ्य व स्वच्छता), व्यवसायिक कौशल, बुनियादी शिक्षा व सतत् शिक्षा की जानकारी दी गई।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर प्रत्येक माह के प्रथम सोमवार को एवं विकासखंड स्तर पर प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की जाएंगी। उन्होंने सभी नामांकित शिक्षकों से समयबद्धता से सर्वे पूर्ण कर पंजी संधारण व पोर्टल पर प्रविष्टि सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
इस प्रशिक्षण में संस्था प्रमुख श्री ए.पी सिह विकासखंड शिक्षा अधिकारी योगेश शाही विकासखंड परियोजना अधिकारी सत्यनारायण भगत जिला कार्यालय साक्षर भारत से अभिलाष खरे सहायक ग्रेड 3 उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने खाद की उपलब्धता को लेकर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश
रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में आगामी खरीफ सीजन को देखते हुए खाद और बीज की उपलब्धता को लेकर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री श्री साय ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रदेश में किसानों को सतत रूप से खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से डीएपी के स्थान पर एनपीके खाद के उपयोग को प्रोत्साहित करने की बात कही और किसानों को इसके लाभ से अवगत कराने को कहा। श्री साय ने कलेक्टरों के माध्यम से जिलेवार सहकारी समितियों में खाद की उपलब्धता और वितरण की निगरानी और सतत समीक्षा करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि खेती-किसानी का यह समय किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि इस समय खाद-बीज की आपूर्ति में किसी भी प्रकार की बाधा आती है, तो इसका सीधा असर फसलों की बुआई और उत्पादन पर पड़ेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसानों को समय पर और उचित दर पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि समितियों में एनपीके खाद की व्यवस्था भी की जा रही है, किसानों को इसे उपलब्ध कराने की दिशा में तत्काल कदम उठाएं। उन्होंने अमानक और नकली खाद की बिक्री पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए निर्देश दिए कि ऐसे मामलों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए।
बैठक में मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार, संचालक कृषि श्री राहुल देव सहित मार्कफेड के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।
हमारी सरकार का उद्देश्य केवल सेवाओं की पहुंच बढ़ाना नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देना है: स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर मुख्यमंत्री साय ने कोविड महामारी में दिवंगत 14 चिकित्सकों के परिजनों का किया सम्मान
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 109 संविदा चिकित्सकों एवं 563 अनुबंधित चिकित्सकों को नियुक्ति व पदस्थापना आदेश जारी
रायपुर/शौर्यपथ /चाहे कोरोना महामारी का संकट रहा हो या दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की चुनौती, हमारे डॉक्टरों ने हर परिस्थिति में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। उन्होंने अपने जीवन की परवाह किए बिना, सेवा को धर्म मानकर कार्य किया है। हम उन महान लोगों को कभी नहीं भूल सकते जिन्होंने कोरोना जैसी बड़ी महामारी के दौरान अपना फर्ज निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हमारी सरकार का उद्देश्य केवल सेवाओं की पहुंच बढ़ाना नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देना है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा राजधानी रायपुर स्थित स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ऑडिटोरियम, मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने संबोधन में कहा कि यह आयोजन न केवल चिकित्सा समुदाय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि छत्तीसगढ़ राज्य निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूता रहेगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हम सब जानते हैं कि डॉक्टरों का जीवन आसान नहीं होता। कठिन परिश्रम, लंबी ड्यूटी और मानसिक तनाव उनके दैनिक जीवन का हिस्सा हैं। फिर भी वे अपनी जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटते। उनके साहस और समर्पण के कारण हमारा समाज सुरक्षित और स्वस्थ रहता है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आपके परिश्रम से ही हम एक स्वस्थ, सक्षम और सशक्त छत्तीसगढ़ का निर्माण कर सकते हैं। आज मैं केवल आप सभी को धन्यवाद देने नहीं आया हूं, बल्कि यह आश्वस्त करने भी आया हूं कि हमारी सरकार हर कदम पर आपके साथ खड़ी है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने डॉक्टर्स डे के विशेष अवसर पर सभी चिकित्सकों को बधाई देते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग केवल एक सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि जीवन रक्षक प्रणाली है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि संकट के समय जब सभी लोग घरों में सुरक्षित रहने का प्रयास कर रहे थे, तब हमारे डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की सेवा में जुटे रहे। यह अदम्य साहस और समर्पण ही उनकी असली पहचान है। मंत्री जायसवाल ने कहा कि हमारी सरकार की यह स्पष्ट नीति है कि हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचें और हर डॉक्टर को पूरा सम्मान और सहयोग मिले। उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और अधिक सुदृढ़ और संवेदनशील बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने उपस्थित चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे इसी जज्बे और मानवीय संवेदना के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहें। उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर हमने 109 संविदा चिकित्सकों एवं 563 ब्रांडेड डॉक्टरों के पदस्थापना आदेश जारी किए हैं।
इस अवसर पर कोविड-19 के दौरान सेवा देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए 14 चिकित्सकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई एवं उनके परिजनों को मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया।भावुक क्षणों से भरे इस समारोह में समूचा सभागार कृतज्ञता एवं सम्मान की भावना से अभिभूत रहा।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री साय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 109 संविदा चिकित्सकों को नियुक्ति आदेश तथा एमबीबीएस बांड पोस्टिंग के प्रथम चरण में 563 अनुबंधित चिकित्सकों को नियुक्ति एवं पदस्थापना आदेश प्रदान किया।
इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया ने कहा कि यह दिन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि हमारे चिकित्सकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी न केवल अपने दायित्वों का निर्वहन किया, बल्कि कोविड जैसी महामारी के दौरान अपने परिवार से दूर रहकर लोगों की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। आपके योगदान को शब्दों में बांधना कठिन है। कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि शीघ्र ही शेष 92 एमबीबीएस बांड अनुबंधित चिकित्सकों एवं 157 विशेषज्ञ पीजी बांड चिकित्सकों के पोस्टिंग आदेश भी जारी किए जाएंगे।
कार्यक्रम में अंत में आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. प्रियंका शुक्ला ने आभार व्यक्त किया। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर विधायक सर्वश्री पुरंदर मिश्रा, अनुज शर्मा, मोतीलाल साहू, इंद्र कुमार साहू, गुरु खुशवंत साहेब के साथ ही महापौर श्रीमती मीनल चौबे, सीजीएमएससी के अध्यक्ष दीपक म्हस्के तथा राज्यभर से आए स्वास्थ्य अधिकारी, मेडिकल छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
रायपुर /शौर्यपथ/मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज मंत्रालय महानदी भवन में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री साय ने शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका आत्मीय स्वागत किया।
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर राज्य शासन द्वारा सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों, वृद्धजनों तथा दिव्यांगजनों के लिए संचालित योजनाओं के संबंध में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के प्रति राज्य सरकार के प्रयासों की जानकारी दी।
केंद्रीय राज्यमंत्री अठावले ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार केंद्र की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार समन्वय के साथ समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित भाव से कार्य करती रहेंगी। इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप भी उपस्थित थे।
नरेश देवांगन की ख़ास रिपोर्ट
जगदलपुर, शौर्यपथ।
बस्तर का किसान आज फिर से ठगा गया है। जिन कंधों पर देश की खाद्य सुरक्षा टिकी है, उन्हीं किसानों को खाद के नाम पर लूटा जा रहा है। मानसून दस्तक दे चुका है, खेतों में बुवाई का समय है, मगर किसान को समय पर खाद नहीं मिल रही – और जो मिल रही है, वह भी "ओवररेट" और "जबरन पैकेज" के साथ।
कृषि विभाग की नाक के नीचे बस्तर जिले में खाद माफिया बेलगाम हो चुके हैं। किसान यूरिया की एक बोरी के लिए 100 से 120 रुपये तक अधिक भुगतान कर रहे हैं, और दुकानदारों की मनमानी का यह आलम है कि बिना GST बिल के खाद दी जा रही है।
कहीं विभाग की मिलीभगत तो नहीं?
प्रश्न बड़ा है और गंभीर भी – क्या कृषि विभाग के कुछ जिम्मेदार अधिकारी इस गोरखधंधे में साझेदार हैं? किसान तो यही कह रहे हैं। उनकी मानें तो विभागीय अधिकारियों को सब पता है, लेकिन कार्रवाई कोई नहीं कर रहा।
जबर्दस्ती नेनो यूरिया थोपने की रणनीति
तोकापाल के किसान आयुतु ने आरोप लगाया कि लक्ष्मीनाथ कृषि केंद्र से खाद खरीदते समय दुकानदार ने 480 रुपये वसूले और जब उसने बिल मांगा, तो न केवल मना कर दिया गया बल्कि यूरिया के साथ जबरन 500 ml की नेनो यूरिया की बोतल भी थमा दी गई। इनकार करने पर जवाब मिला – “बिना नेनो लिए यूरिया नहीं मिलेगा।”
सोमारू नाग, जो जगदलपुर ब्लॉक से हैं, ने बताया कि उनके इलाके के महालक्ष्मी कृषि केंद्र में यूरिया की बोरी 410 रुपये में बेची जा रही है, वह भी बिना पक्के बिल के।
जब इस संबंध में महालक्ष्मी कृषि केंद्र के संचालक से बात की गई, तो उन्होंने कबूल किया कि “हमें ऊपर से निर्देश मिले हैं – जितनी बोरी यूरिया देंगे, उतनी नेनो यूरिया देनी ही पड़ेगी।”
विभाग चुप, किसान पस्त
पूरा मामला सीधे तौर पर सरकारी नीति और किसानों के विश्वास के साथ खिलवाड़ है। सत्ताधारी सरकार की नीतियां किसानों के हित में भले हों, लेकिन ज़मीन पर उन्हें पलीता लगाया जा रहा है। सवाल यह भी है कि अगर खाद की कोई कमी नहीं है, तो फिर स्टॉक के बावजूद ब्लैक क्यों हो रही है?
सरकार को देना होगा जवाब
यदि सरकार किसानों के साथ खड़ी है, तो इन माफियाओं और विभागीय मिलीभगत पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई करनी होगी। वरना सुशासन की जगह कुशासन का ठप्पा लगते देर नहीं लगेगी।