
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
दुर्ग | शौर्यपथ संवाददाता
जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत वितरित किए जाने वाले चावल की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है। अप्रैल माह में खाद्य विभाग द्वारा किए गए भौतिक सत्यापन में जिले के लगभग 39 राशन दुकानों में करीब 10,000 क्विंटल चावल की गंभीर कमी पाई गई थी। यह आंकड़ा जिले की करीब पौने दो सौ राशन दुकानों में से है, जिससे पूरे सिस्टम में गहराई तक फैली अनियमितता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
विभागीय जानकारी के अनुसार, जहां एक ओर कुछ दुकानों के विरुद्ध कार्यवाही की गई, वहीं कई अन्य दुकानों पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। विभागीय नियमों के अनुसार इस तरह की कमी पर प्रति किलोग्राम ₹38 की दर से आर्थिक वसूली होनी चाहिए थी, लेकिन अब यह सूचनाएं सामने आ रही हैं कि कुछ राशन दुकानदार चुपचाप बाजार से पीडीएस चावल की खरीद कर विभागीय रिकॉर्ड में स्टॉक को संतुलित कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, जिन दुकानों में चावल की भारी कमी दर्ज की गई थी, वहां अब 'अचानक' स्टॉक की स्थिति ठीक बताई जा रही है। ऐसे में यह गंभीर आशंका उठ रही है कि हितग्राहियों से चावल वापस खरीद कर या खुले बाजार से सस्ते में अनाज खरीदकर विभागीय दस्तावेजों में संतुलन बैठाया जा रहा है। यदि यह सत्य है, तो यह एक सुनियोजित लीपापोती का मामला बनता है, जिसमें स्थानीय अधिकारियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अब यह देखना अहम होगा कि दुर्ग जिले के नवपदस्थ अधिकारी श्री भदौरिया, पूर्ववर्ती अधिकारियों के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की सत्यपरक जांच कर दोषियों से वसूली करेंगे या विभागीय परंपरा अनुसार फाइलों में दबा देंगे।
सवाल यह भी उठता है कि प्रदेश सरकार में खाद्य मंत्री के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे नवागढ़ विधायक श्री दयालदास बघेल इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर क्या ठोस पहल करेंगे? या फिर प्रोटोकॉल और मंचीय भाषणों में सुशासन का दावा कर चुप्पी साध लेंगे?
स्थानीय नागरिकों एवं जागरूक जनप्रतिनिधियों की ओर से दुर्ग के जिलाधीश महोदय से अपेक्षा की जा रही है कि वे इस मामले को स्वतः संज्ञान में लेकर निष्पक्ष जांच के आदेश जारी करें और इस तरह की व्यवस्थित कालाबाजारी में शामिल राशन दुकानदारों और विभागीय अधिकारियों के गठजोड़ पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
यह न केवल शासन की साख की रक्षा करेगा, बल्कि पीडीएस व्यवस्था में जनविश्वास बहाल करने में भी सहायक होगा।
इस तरह की अनियमितताएं केवल राशन दुकानों तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि यह पूरे प्रशासनिक ढांचे पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं। यदि सरकार सचमुच सुशासन की बात करती है, तो उसे जमीनी सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। जनहित से जुड़े इस गंभीर मामले में त्वरित, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच समय की मांग है।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.