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आस्था /शौर्यपथ /कैसे लगाएं लड्डू गोपाल को भोग : बाल गोपाल के कई रूप निराले हैं, वहीं कई लोग उनके बाल स्वरूप को लड्डू गोपाल भी कहते हैं. कई परिवारों में तो लड्डू गोपाल को परिवीर के सदस्य की तरह ही माना जाता है और उनकी सेवी की जाती है. लेकिन क्या आप जानते है इनको घर में रखने के कई नियम होते हैं जिनका पालन किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. दरअसल, लड्डू गोपाल की सेवा-पूजा से लेकर उन्हें स्नान कराने, सुलाने, उठाने और भोग लगाने से जुड़ी कई महत्तवपूर्ण बातें शास्त्रों में बताई गई हैं. ठीक इन कार्यों को करने के दौरान बोले जाने वाले मंत्रों का भी उल्लेख मिलता हैं.
लड्डू गोपाल को कराएं इन चीजों से स्नान
1. गोपी चंदन लड्डू गोपाल को अति प्रिय है. ऐसे में आप लड्डू गोपाल को रोजाना गोपी चंदन से स्नान कराएं. अगर आप गोपी चंदन से स्नान करवाते है तो उससे बाल गोपाल प्रसन्न रहते हैं.
2. लड्डू गोपाल को स्नान कराते समय केसर का प्रयोग करें. केसर से स्नान कराने से उनका मन हर्षित रहता है और उनकी कृपा से घर में खुशहाली का आगमन होता है.
3. रोजाना पंचामृत से स्नान कराने पर मनाही है. बता दें कि पंचामृत से स्नान सिर्फ मंदिरों में करवाया जाता है. घर में लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान सिर्फ किसी उत्सव या जन्माष्टमी के मौके पर ही करवाना चाहिए.
जाने भोग लगाते समय किस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए -
जब आप बाल गोपाल को भोग लगाएं तो उस समय इस मंत्र का उच्चारण करें ' त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाणे सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।। आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र का अर्थ है कि मेरे पास जो भी है भगवान वो सब आपने ही दिया है और अब मैं उसी को भोग के रूप में आपको अर्पित कर रहा हूं. इसे ग्रहण करें और अपनी कृपा मुझ पर बनाएं रखें. जब आप भोग लगा रहे हो तब इस मंत्र का उच्चारण करें और फिर मंदिर में पर्दा कर दें और वहां से हट जाएं. ऐसा कहा जाता है कि लड्डू गोपाल राधा रानी के भोग पाते हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /आज चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा पांचवे रूप स्कंदमाता की पूजा होती है. माता दुर्गा के पांचवें स्वरूप को यह नाम भगवान कार्तिकेय से मिला है और इस रूप में माता के ममतामई स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. संतान की कामना करने वालों को मां के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए. आइए जानते हैं नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता रूप की पूजा कैसे करनी चाहिए और किस चीज का लगाना चाहिए भोग.
मां स्कंदमाता का रूप
मां स्कंदमाता स्वरूप में माता चार भुजाधारी हैं और दाई ओर की ऊपरी भुजा में कार्तिकेय को गोद में लिया है. निचली भुजा में कमल का पुष्प धारण करती हैं. बाई ओर की ऊपरी भुजा अभय मुद्रा में और निचली भुजा में सफेद रंग का कमल धारण किए हैं. माता की सवारी सिंह है और कमल पर विराजने के कारण पद्मासना कहीं जाती हैं.
मां स्कंदमाता की पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा के लिए प्रात: स्नान के बाद पीले रंग का वस्त्र धारण कर पूजा करें. पूजा के लिए लाल पुष्प लेकर माता का स्मरण करें. देवी को गंध, अक्षत, धूप, फूल, फल, बताशा, पान, लौंग, इलायची अर्पित करें. धूप और दीप जलाएं. माता को उनके प्रिय केले से भोग लगाएं. माता की आरती करें और शंख बनाएं. माता को लाल रंग की चूनर और सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें. मां स्कंदमाता की पूजा में धनुष बाण अर्पित करने का विशेष महत्व है.
मां स्कंदमाता की पूजा का मंत्र
मां स्कंदमाता की पूजा के लिए इस मंत्र का करें जाप
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /इस वर्ष 9 अप्रैल से शुरू हुए चैत्र नवरात्रि में 14 अप्रैल रविवार को माता के मां कात्यायनी रूप की पूजा होगी. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता को कात्यायनी नाम मिला है. माता के रूप की पूजा अर्चना से विवाह संबंधी रुकावट दूर होने के साथ-साथ सिद्धि की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं माता के कात्यायनी स्वरूप, पूजा विधि और मंत्र.
मां कात्यायनी का स्वरूप
स्वर्ण आभा से दमकती कात्यायनी स्वरूप में माता चार भुजाधारी हैं. माता का यह रूप शस्त्र धारण करने वाला है. शेर पर सवार माता बाएं भुजाओं में कमल और खड्ग धारण करती हैं और दाएं भुजाएं स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा में हैं. माता ने इसी रूप में राक्षसराज महिषासुर का संहार किया था. दानवों, पापियों और असुरों का नाश करने के कारण माता को महिसासुरमर्दिनी कहा जाता है. पुराणों के अनुसार, ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण माता को कात्यायनी का नाम मिला है.
मां कात्यायनी की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन माता के कात्यायनी रूप की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण कर हाथों के लाल पुष्प लेकर माता का आह्वान करें. मंदिर या पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर पूजा विधि शुरू करें. माता को पुष्प, गंध, रोली अक्षत, कुमकुम अर्पित करें. माता के इस रूप को श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए. इसके लिए लाल रंग की चुनरी, सिंदूर, बिंदी, लाल चूड़ियां माता को चढ़ाएं. आरती करें और देसी घी के दीपक जलाएं. पूजा के दौरान ऊं देवी कात्यायन्यै नम: का जाप करें.
विवाह के लिए माता की पूजा
माता के इस रूप की पूजा से विवाह में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है. शीघ्र विवाह के योग बनते हैं. नवविवाहितों के जीवन में आ रही अड़चने दूर होती हैं.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / वैसे तो तनाव लेना मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता है. इससे निकलने के लिए लोग स्ट्रेस मैनेजमेंट थैरेपी, योग और ध्यान करते हैं. आजकल तो बच्चे और किशोर भी इस समस्या की चपेट में आ रहे हैं. इसके कारण उनके कामकाज और रिश्तों में नकारात्मक असर पड़ता है. हालांकि, आज हम आर्टिकल में तनाव लेने के फायदों के बारे में बात करेंगे. यह आपको थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इसके पीछे का विज्ञान क्या है इसके बारे में आपको बताएंगे, ताकि आपको इसे समझने में आसानी हो. तो आइए जानते हैं.
तनाव लेने के क्या हैं फायदे -
- तनाव आपके दिमाग और शरीर को बाहरी परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता विकसित करता है. लेकिन जो लोग इसको सकारात्मक तरीके से नहीं ले पाते हैं, उनपर स्ट्रेस हावी हो जाता है. फिर इससे मानसिक और शारीरिक समस्याएं पैदा होती हैं.
- तनाव की स्थिति में आपके ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. इससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता अच्छी होती है. इस स्थिति में आप चीजों पर बेहतर तरीके से फोकस कर पाते हैं और निर्णय ले पाते हैं.
- इससे मस्तिष्क में स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण और विकास में भी मदद मिल सकती है, जिससे मेंटल हेल्थ बेहतर होती है.
- यह आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करता है. दरअसल, तनाव की स्थिति में शरीर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स सक्रिय रूप से काम करते हैं और इसके चलते संक्रामक रोगों से बचाव होता है.
- हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, तनाव की स्थिति में शरीर में कोर्टिकोस्टेरोन स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक हो सकता है.
कैसे करें स्ट्रेस मैनेज
- तनाव पर नियंत्रण के लिए आपको योग, ध्यान और ब्रीदिंग एक्सरसाइज पर ध्यान देना होगा. वहीं, जब भी आपको तनाव महसूस हो आप खुद को शांत करने की कोशिश और मुख्य वजह जानने की कोशिश करें.
- अगर आपसे स्ट्रेस मैनेज नहीं हो पा रहा है, तो आप इस बारे में दूसरों से बात करें. इससे आपको रिलीफ महसूस होगा और इससे निकलने का हल भी मिल सकता है. मेंटल हेल्थ को अच्छा बनाए रखने के लिए अपने खान-पान पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी होता है.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /अदरक एक ऐसा मसाला है जिसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल चाय बनाते समय किया जाता है. यह चाय के स्वाद को चार गुना बढ़ा देता है. वहीं, इसका उपयोग सब्जी को स्वादिष्ट बनाने में भी किया जाता है. इसके अलावा आप इसका इस्तेमाल साफ-सफाई के लिए भी कर सकते हैं. आप अदरक के एक टुकड़े से गंदे बेसिन और फर्श की सफाई भी कर सकते हैं. इसका इस्तेमाल कैसे करना है, आगे आर्टिकल में बताने वाले हैं.
अदरक के 4 क्लीनिंग हैक्स
1- वॉश बेसिन की सफाई के लिए आप अदरक रस को एक मग पानी में घोल लीजिए. फिर इसमें 2 चम्मच बेकिंग सोडा मिलाइए और वॉश बेसिन में डालकर स्क्रब से रगड़ें. इससे आपका बेसिन 1 मिनट में शीशे की तरह चमकदार और बैक्टीरिया फ्री हो जाएगा.
2- वहीं, फर्श और फर्नीचर की चिकनाई दूर करने के लिए आप 1 कप सिरके में 1 चम्मच अदरक का पेस्ट मिलाकर घोल तैयार कर लीजिए. फिर इस घोल को स्प्रे बॉटल में भरें और फर्श व फर्नीचर पर स्प्रे करके सूखे कपड़े से पोंछ दीजिए. इससे मिनटों में चिपचिपापन छूमंतर हो जाएगा.
3- आप एक टुकड़े अदरक से कीड़ों-मकौड़ों से भी छुटकारा पा सकते हैं. इसके लिए अदरक का रस थोड़े से पानी में मिलाकर घोल तैयार कर लीजिए. फिर इसे स्प्रे बॉटल में स्टोर करिए. अब इस घोल को घर के कोनों में स्प्रे कर दीजिए. इससे मक्खी, मच्छर, छिपकली, कॉकरोच घर में घुसने नहीं पाएंगे. उन्हें इसकी महक पसंद नहीं आती है.
4- घर को बैक्टीरिया फ्री बनाने के लिए अदरक का रस पानी में मिलाकर घर में हर जगह छिड़क दीजिए. इससे घर में छुपे हुए बैक्टिरिया भी चुटकियों में गायब हो सकते हैं.
शौर्यपथ / अदरक की चाय हर किसी को भाती है. यह चाय को कड़क और स्वादिष्ट बनाती है. अदरक में विटामिन सी, कैल्शियम , फॉस्फोरस, आयरन, जिंक, कॉपर, मैंगनीज क्रोमियम होता है. इसमें पाया जाने वाले पोषक तत्व शरीर को बहुत फायदा पहुंचाते हैं, खासकर स्कैल्प को. अदरक का आयरन गुण स्कैल्प को 4 तरीकों से लाभ पहुंचाते हैं, तो चलिए जानते हैं उनके बारे में.
अदरक के 4 फायदे -
1- अदरक में पाया जाने वाला जिंजरोल और जिंजरोन ब्लड सर्कुलेशनको इंप्रूव कर सकते हैं.आपको बता दें ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होने से सारी हेयर प्रॉब्लम्स खुद सॉल्व हो जाती हैं.
2- वहीं, आपको डैंड्रफ और इचिंग की परेशानी बनी रहती है फिर आपके लिए अदरक की चाय बेस्ट है. इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण इचिंग और इरिटेशन को शांत करते हैं.
3- अदरक की चाय से स्कैल्प को फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद मिलती है. इसके कारण आपकी ओवर ऑल स्कैल्प हेल्थ पर पॉजिटिव असर पड़ता है.
4- इसके अलावा अदरक की चाय आपके बाल की ग्रोथ को अच्छी करती है. ऐसा अदरक में मौजूद जिंजरोल जैसे कंपाउंड के कारण होता है. इससे न केवल स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशनबेहतर होता है, बल्कि हेयर ग्रोथ में भी सुधार होती है. आप अदरक का रस भी स्कैल्प में लगा सकते हैं, लेकिन आप इससे पहले किसी डॉक्टर से सलाह जरूर लीजिए. अगर आपको किसी तरह की एलर्जी है तो फिर आपको बचना चाहिए.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / बहुत से लोगों की आदत होती है दोपहर में कुछ देर सोने की. कुछ स्थानों पर, आप देखेंगे कि दोपहर में दुकानें बंद हो जाती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आपको रात में अच्छी नींद नहीं मिली या आपका दिन व्यस्त रहा या आप बस थोड़ा आराम करना चाहते हैं. दोपहर को कुछ देर के लिए सोना रिफ्रेशमेंट की तरह होता है. आज हम इस लेख में दोपहर में सोने के लाभ और हानि दोनों के बारे में बताएंगे.
दोपहर में सोने के फायदे और नुकसान
सबसे पहले शुरूआत फायदों से करते हैं.
रात में काम करने वाले लोग देर तक जागते हैं, जिससे थकान बढ़ती है. यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो पुरानी थकान खत्म नहीं होगी. ऐसे में तनाव को कम करने के लिए दिन में झपकी लेना फायदेमंद हो सकता है.
हम अक्सर सुबह से दोपहर होते-होते थक जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा शरीर सर्कैडियन लय फॉलो करता है. इस बारे में विशेषज्ञ का कहना है कि शरीर का तापमान हर 12 घंटे में थोड़ा कम हो जाता है. यह मुख्य रूप से दोपहर के समय पाया जाता है और ऐसे में व्यक्ति को थकान महसूस हो सकती है. इसलिए, 30 मिनट से ज्यादा की झपकी लेने से काफी हद तक थकान दूर हो सकती है.
अब आते हैं दोपहर के सोने से होने वाले नुकसान पर-
लोगों का दोपहर में झपकी लेना आम बात है, लेकिन दोपहर में ज्यादा देर तक सोना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. यह आपकी रात की नींद को प्रभावित कर सकता है, इसलिए दोपहर में देर तक सोने से बचना जरूरी है. विशेषज्ञ का कहना है कि लंबे समय तक सोने से स्ट्रोक का खतरा 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाता है, जिसका समर्थन मेडिकल जर्नल ऑफ अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के एक अध्ययन से होता है. इसमें सामने आया कि जो लोग दोपहर में 90 मिनट से ज्यादा की झपकी लेते हैं उनमें स्ट्रोक का खतरा 25 प्रतिशत बढ़ जाता है.
बात सिर्फ दोपहर में सोने की नहीं है, बल्कि कुछ लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी होती है कि वे रात में कुछ घंटे ही सो पाते हैं. ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है. पर्याप्त नींद न लेने से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा और यहां तक कि अवसाद भी हो सकता है. इसलिए हमें हर दिन पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करनी चाहिए.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / चेहरे को चमकदार और बेदाग बनाए रखने के लिए केमिकलयुक्त फेस वॉश, मास्क और क्रीम आदि अप्लाई करते हैं. यह सारे प्रोडक्ट्स आपकी स्किन को हेल्दी भी रखते हैं. लेकिन आप घरेलू नुस्खों से भी अपनी त्वचा का ख्याल रख सकते हैं. आप अपनी स्किन को बेदाग रखने के लिए दही और नींबू फेस पर अप्लाई कर सकते हैं. यह आपकी त्वचा में नई जान फूंक देते हैं.
कैसे लगाएं दही और नींबू चेहरे पर -
- दही और नींबू भी आप फेस पर लगा सकते हैं. इसके पोषक तत्व त्वचा को स्वस्थ बनाते हैं. आप नींबू मिलाकर चेहरे पर लगाते हैं तो आपके चेहरे के दाग-धब्बे भी हल्के पड़ सकते हैं.
- पहले स्किन की डीप क्लीनिंग करिए.फिर चेहरे पर नींबू और दही अप्लाई करिए. यह मिश्रण त्वचा को अच्छे से एक्सफोलिएट करता है.
- दही से स्किन को नमी मिलती है. इससे फेस में सॉफ्टनेस बनी रहती है. ड्राई स्किन वालों को जरूर लगाना चाहिए. इसके लैक्टिक एसिड फेस को मॉइश्चराइज रखते हैं.
- दही चेहरे से एक्ने को भी दूर रखता है. इसके इंफ्लेमेटरी गुण सूजन व दर्द से भी छुटकारा दिलाता है. ऑयली स्किन से भी राहत मिलती है.
- आप दही में शहद भी मिलाकर लगा सकते हैं. बस थोड़ा सा दही लीजिए और उसमें शहद मिलाएं. सभी सामग्रियों को एक मिक्सिंग बाउल में मिलाएं और अपने चेहरे पर लगाइए. यह मास्क ठंडे पानी से धोने से पहले लगभग 15 मिनट तक लगाकर रखें.
- दही सनबर्नसे भी राहत दिलाता है.यह यूवी किरणों से होने वाले डैमेज से राहत दिलाता है. तेज धूप से फेस पर लालिमा छा जाता है. यह जिंक से भरपूर है और इसमें सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /सर्दी के मौसम में एड़ियों के फटने की समस्या आम है. ठंडी और रूखी हवाएं स्किन को नुकसान पहुंचाती है. ऐसे में एड़ियों की देखभाल करनी चाहिए. दरअसल घर के काम करने के चक्कर में महिलाएं अक्सर बिना चप्पलों के धूल मिट्टी, पानी में सारा दिन रहती हैं. जिसका असर न सिर्फ उनकी हेल्थ पर पड़ता है, बल्कि फटी एड़ियों की वजह भी बनता है. फटी एड़ियों में दर्द के साथ जलन और कई बार खून निकलने की समस्या भी होने लगती है. हम अक्सर अपनी स्किन की बहुत अच्छे से केयर करते हैं, लेकिन अपने पैरों को पैम्पर करना ही भूल जाते हैं. ऐसे आज हम आपको एक होममेड क्रीम बताएंगो जिससे आपके पैरों को सॉफ्ट बनाने का काम करेगा.
फटी एड़ियों के लिए होममेड क्रीम |
1. पेट्रोलियम जेली- ½ कटोरी
2. ग्लिसरीन- 2 चम्मच
3. जोजोबा ऑयल- 5 बूंद
घर में क्रीम बनाने का तरीका |
1. सबसे पहले पेट्रोलियम जेली को एक डिब्बी में डालकर गर्म पानी में डाल दें.
2. जब यह अच्छी तरह पिघल जाए, तो इसे एक एयर टाइट कंटेनर में डाल दें.
3. अब इसमें 2 चम्मच ग्लिसरीन और जोजोबा ऑयल की कुछ बूंदे डालकर मिला लें.
4. जब सभी सामग्री अच्छी तरह मिल जाएं,तो इसको बंद करके जमने के लिए रख दें.
5. क्रीम के अच्छी तरह जमने के बाद इसे रात को सोने से पहले अपनी फटी एड़ियों पर लगाएं.
6. फटी एड़ियों की समस्या दूर होने के बाद भी आप मुलायम एड़ी पाने के लिए इस क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /बच्चों की सेहत को लेकर अक्सर मां पैरेंट्स में रहते हैं. देखा जाए तो बच्चे खाने पीने में नखरे करते हैं और इसी कारण उनकी इम्युनिटी पावर कमजोर रहती है.इम्यूनिटी कमजोर होने से बच्चे बार बार बीमार पड़ने लगते हैं और इससे उनकी ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट बच्चों की इम्यूनिटी पर गौर करने की सलाह देते हैं. बच्चों के एक्सपर्ट कहते हैं कि इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए पेठे का जूस काफी कारगर साबित हो सकता है. चलिए आज जानते हैं कि पेठे का जूस बच्चों के लिए किस तरह फायदा करते हैं और साथ ही जानेंगे इसे बनाने का तरीका.
बच्चोंके लिए काफी फायदेमंद है पेठे का जूस
देखा जाए तो पेठा ऐसी सब्जी है जिसे बच्चे खाना पसंद नहीं करते. लेकिन ग्रोथ और ताकत के लिहाज से इसे पोषक तत्वों का पावर हाउस कहा जाता है क्योंकि इसमें ढेर सारे न्यूट्रिएंट्स होते हैं. इससे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता तो मजबूत होती है, साथ ही इसके सेवन से बच्चे की ग्रोथ में भी काफी मदद मिलती है. बच्चे की डेवलपमेंट में पेठे का जूस काफी कारगर है. पेठे में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं जो बच्चों के लिए अच्छे होते हैं. इससे पेट साफ होता है और स्किन पर भी अच्छा असर होता है. पेठे के जूस में ढेर सारा फाइबर होता है जिससे मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है.
घर पर कैसे बनाएं पेठे का जूस |
घर पर पेठे का जूस बनाना बेहद आसान है. इसके लिए आपको ढाई सौ ग्राम सफेद पेठा चाहिए. इसके साथ साथ भुना हुआ जीरा, नींबू का रस और थोड़ा सा नमक चाहिए.
इसे बनाने के लिए सबसे पहले पेठे को काटकर इसके टुकड़े कर लें और ब्लेंडर में डालें.
अब थोड़ा सा पानी डालकर पेठे को ब्लेंड कर लें. अब एक छन्नी की मदद से पेठे को एक बर्तन में छान लीजिए और इसका पानी अलग कर लीजिए.
इस पानी को गिलास में डालिए. इसमें भुना हुआ जीरा, नींबू का रस और थोड़ा सा नमक डालकर अच्छे से मिक्स कीजिए. चाहें तो कुछ देर फ्रिज में रख दीजिए.
इस जूस को बच्चे को रोज सुबह के समय पिलाइए. इससे आपके बच्चे की ताकत और इम्यूनिटी में काफी इजाफा होगा और बच्चे के विकास पर भी अच्छा असर होगा.
जिन लोगों का पेट खराब रहता है, वो भी इस जूस को पी सकते हैं क्योंकि ये जूस पेट के लिए काफी अच्छा होता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / सऊदी अरब समेत खाड़ी मुल्कों और कुछ अन्य देशों में कल ही शव्वाल का चांद देख लिया गया था. ऐसे में इन जगहों पर आज ही ईद मनाई जा रही है. वहीं भारत में केरल, कश्मीर और लद्दाख में भी कल ईद का चांद नजर आ गया था जिसके कारण यहां भी आज ही ईद-उल-फितर का जश्न मनाया जा रहा है. लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में कल यानि 11 तारीख दिन गुरुवार को ईद मनाया जाना तय हुआ है.
आपको बता दें कि दिल्ली में ईद की नमाज अलग-अलग हिस्से में 7 से 8 बजे से शुरू हो जाएगी. यहां जानिए भारत के प्रमुख शहरों में चांद निकलने का समय.
चांद निकलने का समय
दिल्ली - 8 बजकर 37 मिनट पर चांद दिखाई देगा
कोलकाता - करीब 7 बजकर 40 मिनट पर
मुंबई - 8 बजकर 38 मिनट पर चांद दिखाई देगा
नोएडा - लगभग 8 बजकर 35 मिनट पर.
लखनऊ - रात में करीब 8 बजकर 20 मिनट पर.
चंडीगढ़ - रात में करीब 8 बजकर 36 मिनट पर .
पटना - रात में करीब 8 बजकर 3 मिनट पर.
गुवाहाटी - रात में 7 बजकर 37 मिनट पर.
जयपुर - रात में करीब 8 बजकर 40 मिनट पर
इंदौर - रात में करीब 8 बजकर 37 मिनट पर
प्रयागराज - रात में करीब 8 बजकर 15 मिनट पर चांद देखा जा सकता है
कानपुर - रात में करीब 8 बजकर 52 मिनट पर.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /पुरुषों में मिनोपोज होता है या नहीं? क्या कभी आपके मन में भी ये सवाल आया है. तो आज आपके इस सवाल का जवाब हम लेकर आए हैं. जवाब से पहले कुछ सवाल... क्या आपका कभी वजन बढ़ा है, गर्मी महसूस हुई है या यौन उत्तेजना कम हुई है? ये सवाल हम 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं से नहीं बल्की पुरुषों से पूछ रहे हैं. ये पुरुष रजोनिवृत्ति के कुछ लक्षण हैं, एक चिकित्सीय स्थिति जिसे काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया जाता है. जैसा कि हम जानते हैं महिलाओं में एक निश्चित डिम्बग्रंथि रिजर्व होता है, जो समय के साथ धीरे-धीरे कम हो जाता है और रजोनिवृत्ति की ओर ले जाता है. तो फिर पुरुषों में मिनोपोज कैसे होता होगा... चलिए जानते हैं.
हालांकि पुरुष रजोनिवृत्ति से नहीं गुजरते हैं, लेकिन टेस्टोस्टेरोन में अचानक गिरावट के कारण उन्हें इसी तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है. इसे एंड्रोपॉज़ , या पुरुष रजोनिवृत्ति कहा जाता है. जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है, उनमें कई तरह के बदलाव आते हैं, जिनमें मांसपेशियों का कम होना और बालों का सफेद होना शामिल है. पुरुषों में देखा जाने वाला एक प्रमुख परिवर्तन उनके टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी है.
"इस विषय की शायद ही कभी जांच की जाती है, क्योंकि इस पर बहुत अधिक शोध नहीं हुआ है, हार्मोन की कमी या बदलाव उतनी बुरी नहीं है, जितनी महिलाओं में होती है, और आप गोनाडल हार्मोन में कमी होने से मरते नहीं हैं. जब पुरुषों को इसका अनुभव होता है, तो यह आमतौर पर तनाव के कारण होता है. मदर्स लैप आईवीएफ की चिकित्सा निदेशक और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता ने कहा, "काम पर तनाव, शादी में तनाव, जीवन प्रबंधन में तनाव और जीवनशैली विकल्पों के अलावा हार्मोन में गिरावट जैसे कारकों का एक संयोजन है."
एंड्रोपॉज़ क्या है?
पुरुष रजोनिवृत्ति का मतबल है पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट होना. डॉ. शोभा गुप्ता बताती हैं, "पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन स्वाभाविक रूप से उम्र के साथ कम हो जाता है, हालांकि, मधुमेह भी उत्पादन में इस गिरावट का कारण बन सकता है. टेस्टोस्टेरोन के स्तर में लगातार कमी को उम्र से संबंधित कम टेस्टोस्टेरोन या देर से शुरू होने वाले हाइपोगोनाडिज्म के रूप में जाना जाता है."
कुछ लक्षण और संकेत क्या हैं?
इस गिरावट से उत्पन्न होने वाले कुछ लक्षण थकान, कम कामेच्छा और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हैं. इसके अलावा कुछ और लक्षण भी दिख सकते हैं जैसे कि -
मानसिक स्पष्टता में कमी (ख़राब ध्यान, ख़राब मूड).
ऊर्जा और शक्ति की हानि.
मांसपेशियों का कम होना, वसा का बढ़ना और वजन का बढ़ना.
ऐसी मनोदशाएं जो उदास हैं या जिनमें उत्तेजना और ऊर्जा की कमी है.
चिड़चिड़ापन.
मांसपेशियों में दर्द और दर्द (कठोरता महसूस होना).
पसीना या गर्मी लगना
हाथ और पैर ठंडे होना
खुजली
यौन रोग
एंड्रोपॉज़ क्यों होता है?
टेस्टोस्टेरोन पुरुषों में कई अहम कामों को कंट्रोल करता है. जैसे, कामेच्छा, मांसपेशियों और शुक्राणु उत्पादन को नियंत्रित करना. टेस्टोस्टेरोन हड्डियों के स्वास्थ्य और रक्त उत्पादन दोनों के लिए जरूरी है. जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है, उनकी शुक्राणु पैदा करने की क्षमता और टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है. इससे एंड्रोपॉज नामक स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
एक आदमी एंड्रोपॉज से कब गुजरता है?
एंड्रोपॉज की शुरुआत 40 साल की उम्र के आसपास हो सकती है, लेकिन यह इससे पहले भी हो सकती है और 70 की उम्र तक बनी रह सकती है. "एंड्रोपॉज पर आज के समय में ज्यादा चर्चा हो रही है. हालांकि सभी डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं हैं कि पुरुष रजोनिवृत्ति का अनुभव करते हैं, क्योंकि सभी पुरुष इसका अनुभव नहीं करते हैं, और जो लोग ऐसा करते हैं वे आमतौर पर इसके बारे में बात नहीं करते हैं.''
कैसे पता चलेगा कि कोई पुरुष मिनोपोज के दौर से गुजर रहा है, इसके लिए क्या इलाज हैं
ऊपर बताए लक्षणों से आप अनुमान लगा सकते हैं कि कोई पुरुष मिनोपोज से गुजर रहा है. इसके अलावा आपका डॉक्टर आपके टेस्टोस्टेरोन के स्तर को मापने के लिए रक्त परीक्षण के लिए कह सकता है. अगर वे कम हैं, तो हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) का सुझाव दिया जा सकता है. आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने, जैसे अपनी शारीरिक गतिविधि बढ़ाने और बेहतर आहार खाने पर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.
आहार : ऐसा आहार जो फलों, सब्जियों, मांस, मछली और डेयरी उत्पादों की मात्रा के संदर्भ में संतुलित हो.
एक्सरसाइज करें : मांसपेशियों, लचीलेपन और एरोबिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नियमित रूप से व्यायाम करें.
हार्मोन: जब आप बूढ़े हो जाएं, तो अपने हार्मोन के स्तर की जांच करें. किसी व्यक्ति के शरीर में कई महत्वपूर्ण हार्मोन आमतौर पर 40 से 55 वर्ष की आयु के बीच कम होने लगते हैं.
तनाव कम करें: अपनी कठिनाइयों के बारे में अपने साथी, दोस्तों और परिवार से बात करने से आपको आराम करने और तनाव कम करने में मदद मिल सकती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /चैत्र नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. इस दिन मां के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है. देवी दुर्गा के इस स्वरूप की सवारी सिंह है. मां चंद्रघंटा के स्वरूप की बात करें तो उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र होता है. शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा के दस हाथ होते हैं और इनका शरीर सोने की तरह चमकता है. आपको बता दें कि मां च्रद्रघंटा का अवतार राक्षसों के संहार के लिए हुआ था. वहीं, मां के तीसरे स्वरूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां होती हैं.
मां चंद्रघंटा अपने हाथ में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करती हैं. मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है. ऐसे में इनकी पूजा विधि, मंत्र, स्तोत्र और आरती क्या है, इसके बारे में आपको आर्टिकल में बताने वाले हैं.
चंद्रघंटा की पूजा विधि
आप सुबह उठकर स्नान करें और फिर मंदिर की साफ सफाई करें. इसके बाद देवी चंद्रघंटा को गंगाजल से स्नार कराएं, फिर मां को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पीले फूल चढ़ाएं, इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. साथ ही दुर्गा चालीसा भी पढ़ें. इसके बाद अंत में आप दुर्गा आरती करके पेड़े का भोग लगाएं.
देवी चंद्रघंटा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
नवरात्रि 2024 मां चंद्रघंटा पूजा मुहूर्त -
चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि 10 अप्रैल 2024, शाम 05.32 से 11 अप्रैल 2024, दोपहर 03.03 बजे तक रहेगी.
शुभ - सुबह 06.00 - सुबह 07.35
चर- सुबह 10.47 - दोपहर 12.22
लाभ - 2.22 - दोपहर 01.58
मां चंद्रघंटा आरती -
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दातीचंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
'भक्त' की रक्षा करो भवानी
मां चन्द्रघंटा का स्तोत्र -
ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्घ
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्घ
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ
आस्था /शौर्यपथ /चैत्र नवरात्रि पूरे देश में बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है. हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें. त्योहार के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक रूप की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के नौ रूप हैं- मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के अलावा गणगौर का पर्व भी मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणगौर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. यह व्रत महिलाएं समृद्धि और पति की लंबी आयु की के लिए करती हैं.
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाले इस पर्व को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को और माता पार्वती ने संपूर्ण स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था.
कैसे होती है गणगौर की पूजा
गणगौर के दिन किसी नदी या तालाब के किनारे रेत से माता गौरी की मूर्ति बनाई जाती है. पूजा करने के बाद अगले दिन मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और मां दुर्गा से सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगती हैं. इस पूजा में विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं भाग लेती हैं. ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और केवल दूध पीती हैं, उनके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं. गणगौर व्रत की विशेषता यह है कि इसे पति से गुप्त रखकर रखा जाता है.
गणगौर का महत्व
इस दिन महिलाएं हल्दी और आटे से आभूषण बनाती हैं और देवी पार्वती को चढ़ाती हैं. इन आभूषणों को 'गुने' कहा जाता है. पूजा के बाद ये आभूषण महिलाएं अपनी सास या ननद को दे देती हैं. राजस्थान में गणगौर अठारह दिनों तक मनाया जाता है.
पूजा मुहूर्त
इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 05:32 मिनट से प्रारंभ होकर 11 अप्रैल को दोपहर 03:03 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार गणगौर की पूजा आज यानि गुरुवार 11 अप्रैल को होगी.
गणगौर पूजा शुभ योग
गणगौर पूजा के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं- रवि योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग. रवि योग प्रात:काल में 06:00 बजे से अगले दिन 12 अप्रैल को मध्य रात्रि 01:38 तक है. वहीं, प्रीति योग सुबह 07:19 तक है और उसके बाद से आयुष्मान योग शुरू होगा, जो 12 अप्रैल को प्रात: 04:30 तक रहेगा.