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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / इस साल शुक्रवार 19 अप्रैल, 2024 शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी मनाई जाएगी. इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं. इस दिन लक्ष्मी पति भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से जगपालक भगवान श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकमानाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहते हैं इस व्रत का प्रताप 100 यज्ञों के समान है. कहा गया है कि कामदा एकादशी पर विधि-विधान से अगर पूजा कर कथा सुनी जाए तो पुण्य की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं. यहां पढ़िए कामदा एकादशी की व्रत कथा.
कामदा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को कामदा एकादशी की व्रत की कथा सुनाई थी. रघुकुल के राजा और भगवान राम के पूर्वज राजा दिलीप ने भी कामदा एकादशी की कथा को अपने गुरु वशिष्ठ से सुना था. प्राचीनकाल में पुंडरीक नाम का एक राजा था. वह हर वक्त भोग-विलास में डूबा रहता. उसके ही राज्य में एक पति-पत्नी रहते थे जिनका नाम ललित और ललिता था. दोनों में प्रगाढ़ प्रेम था. एक दिन राजा की सभा में ललित संगीत सुना रहा था कि तभी उसका ध्यान अपनी पत्नी की ओर चला गया और उसका स्वर बिगड़ गया. यह देख राजा पुंडरीक का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया.
राजा इतना क्रोधित हुआ कि उसने क्रोध में आकर ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया. राजा के श्राप से ललित मांस खाने वाला राक्षस बन गया. अपने पति का हाल देख ललिता का दुख चरम पर पहुंच गया. पति को ठीक करने वह हर किसी के पास गई और इसका उपाय पूछा. आखिरकार थक-हारकर वह विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंची और ऋषि से अपने पति का सारा हाल सुनाया. ऋषि ने ललिता को कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी.
ऋषि ने कामदा एकादशी का व्रत का प्रताप बताया और ललिता से इस व्रत को करने को कहा. ललिता ने ऋषि के बताए अनुसार शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान से पूजा अर्चना की. अगले दिन द्वादशी को पारण कर व्रत को पूरा किया. भगवान विष्णु की कृपा से उसके पति को फिर से मनुष्य योनि मिली और राक्षस योनि से मुक्त हो गया. इस तरह दोनों का जीवन हर तरह के कष्ट से मिट गया. फिर श्रीहरि का भजन-कीर्तन करते दोनों मोक्ष को प्राप्त हुए.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / भारत में कई छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं. इन त्योहारों में गणेश चतुर्थी भी शामिल है तो गुरु नानक जयंती और क्रिस्मस भी. साल के शुरूआती चार महीने लगभग निकल चुके हैं और आने वाले 8 महीनों में कई त्योहार और व्रत पड़ेंगे. यहां जानिए कौनसे हैं ये त्योहार और किन-किन तारीखों पर ये व्रत रखे जाने हैं. साथ थी, साल में कब-कब प्रदोष व्रत रखा जाएगा और कौनसी एकादशी किस दिन है जानिए यहां.
साल 2024 में अप्रैल से लेकर दिसंबर तक के त्योहार |
17 अप्रैल - राम नवमी
21 अप्रैल - महावीर जयंती
8 मई - रबिंद्रनाथ जयंती
23 मई - बुद्ध पूर्णिमा
17 जून - बकरीदय- ईद-उल-अधा
7 जुलाई - रथ यात्रा
17 जुलाई - मुहर्रम
15 अगस्त - स्वतंत्रता दिवस
15 अगस्त - पारसी नया साल
19 अगस्त - रक्षाबंधन
26 अगस्त - जन्माष्टमी
7 सितंबर - गणेश चतुर्थी
15 सितंबर - ओणम
16 सितंबर - मिलाद-उन-नबी
2 अक्टूबर - गांधी जयंती
3 अक्टूबर - शारदीय नवरात्रि का पहला दिन
10 अक्टूबर - महा सप्तमी
11 अक्टूबर - महानवमी
12 अक्टूबर - दशहरा
17 अक्टूबर - महाऋषि वाल्मीकि जयंती
20 अक्टूबर - करवाचौथ
31 अक्टूबर - नरक चतुर्दशी
31 अक्टूबर - छोटी दीपावली
1 नवंबर - बड़ी दीवाली
2 नवंबर - गोवर्धन पूजा
3 नवंबर - भाई दूज
7 नवंबर - छठ पूजा
15 नवंबर - गुरु नानक जयंती
24 नवंबर - गुरु तेग बहादुर शहीद दिवस
25 दिसंबर - क्रिस्मस
अन्य व्रत
4 मई - वरुथनी एकादशी
5 मई - प्रदोष व्रत
6 मई - मासिक शिवरात्रि
8 मई - वैशाख अमावस्या
10 मई - अक्षय तृतीया
11 मई - विनायक चतुर्थी
14 मई - गंगा सप्तमी
17 मई - सीता नवमी
19 मई - मोहिनी एकादशी
26 मई - सकंष्टी चतुर्थी
2 जून - अपरा एकादशी
4 जून - मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत
6 जून - ज्येष्ठ अमावस्या
16 जून - गंगा दशहरा
18 जून - निर्जला एकादशई
19 जून - प्रदोष व्रत
2 जुलाई - योगिनी एकादशी
3 जुलाई - प्रदोष व्रत
4 जुलाई - मासिक शिवरात्रि
5 जुलाई - अमावस्या
19 जुलाई - प्रदोष व्रत
31 जुलाई - कामिका एकादशी
1 अगस्त - प्रदोष व्रत
6 अगस्त - मंगला गौरी व्रत
7 अगस्त - हरियाली तीज
9 अगस्त - नाग पंचमी
17 अगस्त - प्रदोष व्रत
22 अगस्त - कजरी तीज
29 अगस्त - अजा एकादशी
31 अगस्त - प्रदोष व्रत
2 अक्टूबर - अमावस्या
13 अक्टूबर - पापंकुशा एकादशी
15 अक्टूबर - भौम प्रदोष व्रत
17 अक्टूबर - शरद पूर्णिमा
28 अक्टूबर - एकादशी
13 नवंबर - तुलसी विवाह
15 नवंबर - देव दीवाली
26 नवंबर - उत्पन्ना एकादशी
28 नवंबर - प्रदोष व्रत
1 दिसंबर - मार्गशीर्ष अमावस्या
15 दिसंबर - धनु संक्रांति
26 दिसंबर - सफला एकादशी
28 दिसंबर - प्रदोष व्रत
आस्था /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में किसी भी तरह की पूजा में देवी देवताओं को भोग चढ़ाने का बहुत महत्व है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. भोग अर्पित करने से ही पूजा पूर्ण होती है. पूजा छोटी हो या फिर बड़ा अनुष्ठान धूप दीप के बाद भगवान को भोग प्रसाद जरूर अर्पित किया जाता है. हिंदू धर्म में भगवान को भोग लगाना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. पूजा के बाद प्रसाद लोगों में बांट दिया जाता है, लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं करते. कई लोग अक्सर भगवान को भोग लगाने के बाद मंदिर में भगवान के सामने प्रसाद छोड़ देते हैं. ऐसा करना सही या गलत आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे.
भगवान को भोग अर्पित करने के नियम
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक भगवान को भोग लगाते वक्त कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
भगवान को भोग सोने, चांदी, लकड़ी तांबे या फिर मिट्टी के पात्र में रखकर ही चढ़ाना चाहिए. स्टील के बर्तन भोग के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
भगवान को चढ़ाया हुआ भोग बाद में प्रसाद स्वरूप बांटा जाता है. इस भोग को लगाने के तुरंत बाद उठा लेना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक देवता के सामने कई घंटे तक रखा हुआ प्रसाद नकारात्मक ऊर्जा के संपर्क में आने से अशुद्ध हो जाता है. यही वजह है कि भगवान को भोग लगाने के बाद इसे तुरंत उठा लेना चाहिए.
ऐसा कहा गया है कि ज्यादा देर तक प्रसाद भगवान के सामने रखे रहने से विश्वकसेन, चण्डेश्वर और चांडाली नमक शक्तियों के संपर्क में आ जाता है, जो प्रसाद को अशुद्ध कर देते हैं.
लाइफस्टाइल /शौर्यपथ /खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से कब्ज की समस्या होना बहुत आम बात हो गया है. यह एक ऐसी समस्या है जिससे आज के समय में अमूमन लोग जूझ रहे हैं. कब्ज की वजह से ना सिर्फ आपका पूरा दिन खराब होता है बल्कि इसका असर आपके मूड पर भी पड़ता है. इतना ही नहीं अगर इस समस्या को इग्नोर किया जाए तो आगे चलकर यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है. कब्ज से छुटकारा पाने के लिए कई लोग कई तरह की दवाइयों और चूरन का सेवन करते हैं, लेकिन उनका असर कुछ समय के लिए ही हो पाता है. हालांकि कुछ घरेलू नुस्खों की मदद से इस समस्या को दूर किया जा सकता है. आज हम आपको एक ऐसा ही देसी नुस्खा बताएंगे जो कब्ज की समस्या को जड़ से खत्म करने में आपकी मदद कर सकता है.
ईसबगोल
कब्ज को दूर करने के लिए आपको अपनी डाइट में फाइबर युक्त चीजों का सेवन करना चाहिए. यह पेट को साफ करने में मदद कर सकता है. ऐसे में ईसबगोल का सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इसमें घुलनशील फाइबर होता है जो पेट को साफ करने में मदद करता है. इसमें पाए जाने वाले तत्व आंतों में जमा गंदगी को भी बाहर निकालने में मदद करते हैं. अगर आप रेगुलर इसका सेवन करेंगे तो आपको कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं से आराम मिल सकता है.
कब्ज में कैसे करें ईसबगोल का सेवन
कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए आप रात को सोने से पहले इसका सेवन कर सकते हैं. इसके लिए आप गुनगुने पानी, दूध या फिर दही के साथ एक चम्मच ईसबगोल मिलाकर इसको खा लें. रोज रात को इसका सेवन कब्ज से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद साबित हो सकता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /हमारे देश में ढेर सारे फलों की पैदावार होती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग किस्म के फल उगाए जाते हैं. कहीं सेव, अनार तो कहीं संतरा, पपीता, अंगूर तो कहीं मोसंबी, तरबूज और खरबूज. इन फलों के बीच एक खास फल है, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. इस फल के नाम में इसकी खासियत छिपी हुई है. इसे भारत में कम उगाया जाता है, लेकिन बाहर से इसका आयात होता है. ये एक ऐसा फल है जिसके नाम को आधा काटने पर ये सब्जी बन जाता है. क्या आप पहचान पाए कि हम किस फल की बात कर रहे हैं.
होती है ये खासियतें
इस खास फल की अधिकतर खेती अफगानिस्तान और अमेरिका में होती है. इस फल के सेहत से जुड़े भी कई फायदे हैं. ये एक ऐसा फल है जो लिवर को कोलेस्ट्रॉल उत्पन्न करने से रोकता है. इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स और पोषक तत्व दिल की बीमारियों को ट्रिगर करने वाली सूजन को कम करते हैं. हर दिन इसे खाने से बीपी कंट्रोल में रहता है. इसमें मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर कंट्रोल के लिए अच्छा है. ये फाइबर से भरपूर होता है, जो कार्ब्स खाने के बाद ब्लड शुगर को बढ़ने नहीं देता.
कौन सा है वो फल जिसे आधा काटते ही बन जाता है ‘सब्जी' ? ये है वो फल
हम जिस फल की बात कर रहे हैं, उसका नाम है आलूबुखारा. इसके नाम को आधा काटने से ये सब्जी यानी आलू बन जाता है. यह बड़ा या छोटा हो सकता है, लाल, बैंगनी, हरा, पीला या नारंगी स्किन और गुलाबी, पीला या नारंगी पल्प के साथ ये पाया जाता है. प्लम आड़ू, नेक्टराइन और खुबानी के समान परिवार से संबंधित हैं. लेकिन प्लम गुठली-फल वाले दूसरे फलों की तुलना में कहीं अधिर फायदेमंद है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / भले ही बाजार में स्किन केयर प्रोडक्ट्स की भरमार है लेकिन नेचुरल चीजें स्किन के लिए हमेशा ज्यादा फायदेमंद होती हैं. फल और सब्जियां न केवल सेहत के लिए बल्कि त्वचा की देखभाल के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं होती हैं. बीटरूट ऐसी ही एक सब्जी हैं जो हमारी स्किन और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. बीटरूट में भरपूर मात्रा में फाइबर, फोलेट, फास्फोरस, आयरन, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. ये सभी चीजें स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. आइए जानते हैं बीटरूट से स्किन को क्या-क्या फायदेहो सकते हैं.
स्किन के लिए बीटरूट के फायदे
एक्ने की समस्या
बीटरूट का जूस एक्ने और पिंपल के दाग धब्बों को कम करने में मदद करता है. इसमें मौजूद विटामिन सी चेहरे से अत्यधिक ऑयल को कम करता है. इससे पिंपल ब्रेकआउट्स और पिगमेंटेशन की समस्या कम होती है. यह बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करता है जिसका अच्छा असर स्किन पर नजर आता है.
ग्लोइंग स्किन
बीटरूट जूस से बॉडी के डिटॉक्स होने के कारण स्किन हेल्दी और ग्लोइंग नजर आने लगती है. इसमें मौजूद विटामिन सी स्किन को एजिंग से बचाता है और स्किन पर रिंकल पड़ने से रोकता है.
हाइड्रेट स्किन
बीटरूट में 87 % वॉटर कंटेट होता है. अपने इस गुण के कारण बीटरूट स्किन को हाइड्रेट रखने में मदद करता है. इसके साथ ही बीटरूट में भरपूर मात्रा में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट स्किन हेल्थ को बेहतर करते हैं.
ब्राइट लिप्स
ड्राई और फटे होंठों के लिए बीटरूट काफी फायदेमंद होता है. बीटरूट के जूस को लिप पर अप्लाई करने से लिप्स की फटने और ड्राई होने की समस्या कम होती है और इसके साथ ही नेचुरल कलर भी मिलता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / सत्तू पाउडर उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में गर्मी के मौसम में सेवन किया जाता है. यह पेट को ठंडा रखता है. सत्तू, चने को भूनकर बनाया जाता है. यह एनर्जी का पावरहाउस माना जाता है. इसे गरीबों का प्रोटीन भी कहते हैं. यह सबसे सस्ता और अच्छा सोर्स है शरीर में प्रोटीन की भरपाई के लिए. सत्तू आयरन, सोडियम, फाइबर, प्रोटीन और मैग्नीशियम से भरपूर होता है.
अगर आप इसे पानी में मिलाते हैं, एक चुटकी नमक डालते हैं और एक नींबू निचोड़ते हैं और फिर खाली पेट पीते हैं, तो आपके शरीर से सभी विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाएंगे. इससे आपको पेट से जुड़ी समस्याओं से भी राहत मिलेगी.
- सुबह खाली पेट सत्तू का सेवन शरीर के लिए चमत्कारिक माना जाता है. यह पाचन तंत्र को ठीक से काम करने में मदद करता है. सत्तू में पाया जाने वाला नमक, आयरन और फाइबर पेट संबंधी समस्याओं को कम करता है और मल त्याग को आसान करता है.
- सत्तू में ऐसे गुण होते हैं, जो पूरे दिन शरीर को ठंडा और हाइड्रेटेड रखने में मदद करते हैं. हर दिन एक गिलास सत्तू शरबत आपके सिस्टम को ठंडा रख सकता है और अपच को भी रोक सकता है.
- अगर आप अपना अतिरिक्त वजन कम करना चाहते हैं, तो खाली पेट सत्तू का सेवन शुरू कर देना चाहिए. यह सूजन को कम करने में मदद करता है और चयापचय को भी बढ़ाता है और कैलोरी को प्रभावी ढंग से जलाता है.
- वैज्ञानिकों के अनुसार, यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करता है. फाइबर से भरपूर सत्तू उच्च कोलेस्ट्रॉल से परेशान लोगों के लिए बहुत अच्छा है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / आपके फेफड़े सांस लेने का मुख्य हिस्सा होते हैं. जो आपको सांस लेने में मदद करते हैं. फेफडों की बीमारियों और अस्थमा में सांस लेने में कई बार तकलीफ होती है. बार बार बलगम या कफ का निकलना, श्वान नली में सूजन, सासं नली में मुश्किल और खांसी के लक्षण शामिल होते हैं. बता दें फेफड़े स्पंजी, हवा से भरे अंगों की एक जोड़ी है, जो आपकी छाती की तरफ होती है. वैसे तो यह शरीर के उन अंगों में से हैं जो खुद ही टॉक्सिक चीजों का सफाया कर लेते हैं लेकिन समय के साथ और बीमारियों की वजह से यह कमजोर होने लगते हैं. आयुर्वेदिक अस्थमा को उपचार करने के लिए विभन्न हर्बस का प्रयोग करता है.
हर्बल टी
आपके लंग्स में बलगम या कफ जमा हो जाये या फिर आपको अस्थमा की समस्या है. तो ऐसे में आपको हर्बल टी बहुत काम आएगी. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बनी हर्बल टी को पीने से कफ या बलगम पतला हो जाता हैं और बाहर निकलने लगता है.
सरसों तेल की मसाज
सरसों के तेल में लहसुन और अजवाइन मिलाकर पका लें और इसी तेल से सीने पर मालिश करें. आपका कफ पिघलने लगेगा. मालिश करने से फेफड़ों को गर्माहट मिलती है जिससे छाती में जमा कफ दूर होता है और सांस लेना आसान बनता है.
शहद और लौंग
अगर आपको आपने फेफड़ों को मजबूत बनाना हैं तो आपके लिए लौंग का मिश्रण एक परफेक्ट रेमेड़ी है. आप अस्थमा के लक्षणों से राहत पाने के लिए एक गिलास गर्म पानी और शहद के साथ लौंग चबा सकते हैं.
हल्दी की चाय
हल्दी में पाया जाने वाला तत्व करक्यूमिन सबसे शक्तिशाली माना जाता हैं और इसकी वजह से हल्दी का रंग पीला होता है. हल्दी में कुछ मेडिसनल और एंटीऑक्सीडेंट घटक शामिल हैं. जो सूजन को रोकने कि क्षमता रखता है.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /सरसों तेल का इस्तेमाल काफी लम्बे अरसे चाला आ रहा है. इस तेल को ज्यादातर लोग सिर्फ खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह तेल सिर्फ खाना बनाने तक ही सीमित नहीं है. बल्कि यह तेल शरीर के कई छोटी-बड़ी समस्याओं को दूर करने में भी मददगार है. दरअसल आजकल कम उम्र में ही लोग सफेद बालों की समस्या से परेशान हैं. बालों पर ज्यादा कैमिकल लगाने से बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं. उन्हीं सफेद बालों को रंगने के लिए लोग तरह तरह के कैमिकल हेयर कलर का इस्तेमाल करते है. अगर आप मार्केट में मिलने वाले कैमिकल हेयर कलर लगाने से बचना चाहते हैं, तो घर में ही बनाएं हल्दी और सरसों तेल से बना बालों के लिए नेचुरल हेयर डाई. इससे कुछ ही दिन में आपके बाल एकदम काले हो जाएंगे.
कैसे बनाएं नेचुरल हेयर डाई |
1. हेयर डाई बनाने के लिए आपको चाहिए 3-4 चम्मच सरसों का तेल .
2. आप तेल को लोहे की कड़ाही या तवे पर डालें और गैस पर गर्म होने के लिए रख दें.
3. अब तेल में 2 चम्मच हल्दी मिक्स कर लें और इसे धीमी आंच पर चलाते हुए पकाएं.
4. हल्दी को धीमी आंच पर ही पकाएं, नहीं तो हल्दी जलकर राख हो जाएगी.
5. तेल को किसी कटोरी में निकाल लें और इसे हल्का ठंडा होने के लिए रख दें.
6. अब हल्दी और तेल से तैयार नेचुरल हेयर डाई में आप 1 विटामिन-ई की कैप्सूल भी मिला लें.
7. अब इसे अच्छी तरह से अपने बालों पर बालों पर लगा लें .
8. करीब 2 घंटे तक इसे तेल की तरह ही लगाकर रखें और फिर अपने बालों को पानी या किसी माइल्ड शैंपू से धोलें.
9. हफ्ते में इसे कम से कम बालों में 2 बार जरूर लगाएं. कुछ ही दिनों में आपके बाल एकदम काले होने लगेंगे.
10. सरसों के तेल के उपयोग से बालों के विकास में मदद मिल सकती है. इसके लिए सरसों के तेल में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड,ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड मदद कर सकते हैं. इसके अलावा इस तेल में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं, इससे स्कैल्प पर खुजली की समस्या से भी राहत मिल सकती है .
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ / आपने अक्सर ये नोटिस किया होगा कि कोरियाई लड़कियों और लड़कों की स्किन कांच के समान चमकदार और मुलायम होती है. यही कारण है कि हर कोई उनकी तरह एक कांच की स्किन चाहता है. वहीं कोरियन स्किन के बढ़ते क्रेज को देखते हुए आज हम आपके लिए एक और फेस पैक लेकर आए है. चेहरे को चमकदार बनाने के लिए आप ओट्स और दूध को मिलाकर फेस पैक बना सकते हैं. अगर आप भी कोरियन ग्लास स्किन चाहते हैं तो इस ओट्स फेस पैक को लगा सकते हैं.
जानिए घर पर ओट्स से फेस पैक बनाने की विधि.
* ओट्स के 3 बड़े चम्मच
* 2 बड़े चम्मच दूध
* 1/2 छोटा चम्मच शहद
* 1/2 कप पानी
इस फेस पैक को बनाने के लिए 3 बड़े चम्मच ओट्स को आधा कप पानी में उबाल लें. अब इसे सूखने दें और ग्राइंडर के बर्तन में रखें. इस पेस्ट को दूध में मिला लें फिर उसमें शहद डालें. इस फेस पैक को बनाकर अलग रख दें और चेहरे को पूरी तरह से साफ कर लें. अब फेसपैक को साफ चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगाएं पैक सूखने के बाद चेहरे की मसाज करें और फिर ठंडे पानी से धो लें. दूध त्वचा को साफ करता है इसके अलावा शहद त्वचा को मॉइस्चराइज करने में मदद करता है. यह ओट्स फेस पैक कोरियन ग्लास स्किन पाने के लिए बेस्ट है.
चमकदार त्वचा पाने के लिए ये फेसपैक आजमाएं |
1. हल्दी और शहद का फेसपैक:
1 चम्मच हल्दी
1 चम्मच शहद
1 चम्मच दूध
सभी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें, चेहरे और गर्दन पर लगाएं और गुनगुने पानी से धो लें.
2. दही और ओट्स का फेसपैक:
1 चम्मच दही
1 चम्मच ओट्स
1/2 चम्मच शहद
सभी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें, चेहरे और गर्दन पर लगाएं और गुनगुने पानी से धो लें.
3. एलोवेरा और नींबू का फेसपैक:
1 चम्मच एलोवेरा जेल
1/2 चम्मच नींबू का रस
1/2 चम्मच शहद
सभी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें, चेहरे और गर्दन पर लगाएं और गुनगुने पानी से धो लें.
4. चावल का पानी और बेसन का फेसपैक:
2 चम्मच चावल का पानी
1 चम्मच बेसन
1/2 चम्मच हल्दी
सभी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें, चेहरे और गर्दन पर लगाएं और गुनगुने पानी से धो लें.
5. टमाटर और दही का फेसपैक:
1 टमाटर
1 चम्मच दही
1/2 चम्मच शहद
टमाटर को पीस लें और दही और शहद के साथ मिला लें. चेहरे और गर्दन पर लगाएं फिर गुनगुने पानी से धो लें. रोजाना चेहरा धोएं और मॉइस्चराइज़ करें साथ ही सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. पानी खूब पीएं स्वस्थ भोजन खाएं पर्याप्त नींद लें. इन नुस्खों को नियमित रूप से इस्तेमाल करने से आपको कोरियन लड़कियों जैसी चमकदार त्वचा पाने में मदद मिलेगी.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /आज नवरात्रि का पांचवा दिन है. देशभर में मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना हो रही है. इस दिन माता को पीले रंग का फूल चढ़ाने से हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मान्यता है कि माता के हर स्वरूप को अलग-अलग रंग के फूल प्रिय हैं. अगर हर दिन उस कलर के फूलों से माता रानी की आराधना की जाए तो मां प्रसन्न होती हैं और मन की मुरादें पूरी करती हैं. यहां जानिए नवरात्रि में किस दिन कौन सा फूल जगत जननी मां दुर्गा को चढ़ाना चाहिए...
पहला दिन- चैत्र नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. माता को लाल जसुद और सफेद करेण के फूल अत्यंत प्रिय हैं. इस फूल को चढ़ाने से हर मनोकामनाएं पूरी होती है.
दूसरा दिन- माता ब्रह्मचारिणी की पूजा में मोगरे का फूल या सफेद रंग का फूल चढ़ाना चाहिए.
तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय कमल या शंखपुष्प चढ़ाएं. मान्यता है कि इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं.
चौथा दिन- मां कुष्मांडा को चमेली या पीले रंग का फूल अत्यंत प्रिय है. इससे उनकी पूजा करने पर मां का आशीर्वाद मिलेगा.
पांचवां दिन- देवी स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल चढ़ाएं. इस फूल को अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं और हर तरह का सुख देती हैं.
छठां दिन- माता कात्यायनी की आराधना गेंदा यानी गलगोटा के फूल से करना चाहिए. मान्यता है कि इस फूल को चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं.
सातवां दिन- मां कालरात्रि की पूजा में नीले रंग का फूल चढ़ाना चाहिए. मान्यता है कि यह फूल माता को बेहद प्रिय है.
आठवां दिन- मां महागौरी को मोगरे का फूल अत्यंत प्रिय है. माना जाता है कि इस फूल को चढ़ाने से परिवार पर माता रानी की कृपा सदैव बनी रहती है.
नौवां दिन- माता सिद्धिदात्री की पूजा पूजा होती है. उनकी पूजा में चंपा और जसुद का फूल चढ़ाने से धन-वैभव की प्राप्ति होती है.
आस्था /शौर्यपथ /अयोध्या रामनवमी के दिन वैज्ञानिक दर्पण के जरिए सूर्य की किरण को भगवान रामलला के मस्तक पर पहुंचाएंगे. इस दौरान सूर्य की किरण लगभग 4 मिनट तक रामलला के ललाट की शोभा बढ़ाएगा. जिसका शुक्रवार को पूर्वाभ्यास हुआ और प्रयोग पूर्ण रूप से सफल रहा. वैज्ञानिकों ने सफल परीक्षण के बाद यह स्पष्ट कर दिया कि भगवान रामलला का तिलक सूर्यदेव इस बार ही रामनवमी के मौके पर करेंगे. पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि मंदिर पूर्ण होने के बाद ही यह प्रयोग सफल हो सकेगा, लेकिन वैज्ञानिकों ने सूर्य की किरण को शुक्रवार को भगवान रामलला के मस्तक तक सफलतापूर्वक पहुंचाया.
श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने जानकारी दी कि सूर्य के तिलक का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है. वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया है, वह बहुत सराहनीय और वह बहुत अद्भुत है, क्योंकि सूर्य की किरणें भगवान रामलला के ठीक ललाट पर पड़ी है. जैसे ही सूर्य की किरणें प्रभु राम के माथे पर पड़ी, वैसे ही पता चल रहा है कि भगवान सूर्य उदय कर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने अवतार लिया था तो उस दौरान सूर्य देव एक महीने तक अयोध्या में रुके थे. त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है. जब हम प्रभु राम का आरती उतार रहे थे और सूर्य देव उनके माथे पर राजतिलक कर रहे थे तो वह दृश्य बहुत अद्भुत दिख रहा था.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / हम सभी ने कभी न कभी अपने हाथों या पैरों में झुनझुनी सनसनी महसूस की होगी. ऐसा तब हो सकता है, जब हम अपनी हाथों के बल सो जाते हैं या बहुत देर तक पैरों को क्रॉस करके बैठे रहते हैं. आप इसको पेरेस्टेसिया भी कह सकते हैं. झुनझुनी के अलावा, आप अपने हाथों और पैरों में या उसके आसपास सुन्न, दर्द या कमजोरी भी महसूस कर सकते हैं. इस परेशानी का कारक सामान्यतया, दबाव, ट्रॉमा या तंत्रिकाओं में होने वाली किसी तरह की क्षति से हो सकता है. इसके अलावा और क्या कारण होते हैं, हम आपको स्टोरी में आगे बताने वाले हैं.
हाथ और पैर में होने वाली झुनझुनी
मधुमेह न्यूरोपैथी
मधुमेह न्यूरोपैथी तब होती है जब मधुमेह के कारण नर्वस सिस्टम खराब होता है. यह टांगों और पैरों और कभी-कभी बांहों और हाथों को प्रभावित कर सकता है. नसों को नुकसान पहुंचाने के अलावा, यह आपकी नसों को आपूर्ति करने वाली ब्लड वेसेल्स को भी नुकसान पहुंचा सकता है. जब नसों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है, तो वे ठीक से काम नहीं कर पाती हैं जिसके कारण झुनझुनी शुरू होती है.
सूखी नस
शरीर के कई हिस्सों में नस दब सकती है और हाथों या पैरों को प्रभावित कर सकती है, जिससे झुनझुनी, सुन्नता या दर्द हो सकता है. आपकी निचली रीढ़ की हड्डी में दबी हुई नस के कारण ये संवेदनाएं आपके पैर के पीछे और आपके पैर तक फैल सकती हैं.
किडनी खराब
किडनी फेल्योर तब होता है जब आपकी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही होती है. उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप) या मधुमेह जैसी स्थितियां किडनी की फेल होने का कारण बन सकती हैं. जब आपकी किडनी ठीक से काम नहीं करती है, तो किडनी खराब होने पर अक्सर टांगों या पैरों में झुनझुनी होने लगती है.
झुनझुनी से निजात पाने के लिए इन विटामिन को करें शामिल - विटामिन बी 12, विटामिन बी6, विटामिन बी1, विटामिन ई, विटामिन बी9, या फोलेट.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / रामभक्त हनुमान को संकटमोचन कहते है. अपने भक्तों को हनुमान जी हर भय, पीड़ा से मुक्त रखते हैं. दरअसल, हनुमान जी का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हुआ था. इसलिए हर साल चैत्र पूर्णिामा को हनुमान जयंती मनाई जाती है. बता दें कि इस साल हनुमान जयंती के मौके पर एक अध्दुत संयोग बन रहा है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी भगवान शिव के अवतार हैं और उन्होंने त्रेतायुग में प्रभु श्री राम की मदद के लिए यह अवतार लिया था. वैदिक पंचांग के मुताबिक इस साल चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 23 अप्रैल को 03 बजकर 25 मिनट पर होगा.
हनुमान जयंती 2024 पर बना अदृभुत संयोग |
ऐसा कहा जाता है कि जब हनुमान जी का जन्म हुआ था तो उस दिन मंगलवार था. इस साल भी हनुमान जयंती के दिन मंगलवार है. इसलिए मंगलवार को हनुमान जी का जन्म होने कि वजह से उस दिन ज्यादातर लोग व्रत रखते हैं और बजरंगबली की पूजा भी करते हैं.
23 अप्रैल के दिन चित्रा नक्षत्र और वज्र योग है. वज्र योग 23 अप्रैल की सुबह से लेकर 24 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 57 मिनट तक है. वहीं चित्रा नक्षत्र भी सुबह से लेकर रात 10 बजकर 32 मिनट तक है, उसके बाद स्वाति नक्षत्र है.
हनुमान जयंती 2024 मुहूर्त
हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक ही रहेगी. वहीं इस साल अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक है. उस दिन आप हनुमान जी की पूजा सुबह 09 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट के बीच कर सकते है. उस दिन लाभ-उन्नति मुहूर्त 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक है. वहीं अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से दोपहर 01 बजकर 58 मिनट तक है.
हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय |
1. हनुमान जी का दिल बहुत ही उदार हैं, इसलिए आपको हमेशा लोगों के लिए उदारता दिखानी चाहिए. खासतौर पर आपको हनुमान जयंती पर गरीबों में अन्न जरूर बांटना चाहिए.
2. हनुमान जी श्रीराम के परभक्त माने जाते हैं, इसलिए आपको हनुमान जयंती पर भगवान राम की स्तुति भी करनी चाहिए, इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं.
3. हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें बूंदी, लड्डू का प्रसाद जरूर चढ़ाएं. साथ ही हनुमान जयंती पर उन्हें केसरिया रंग का सिंदूर जरूर चढ़ाएं.
4. इस दिन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर बरसती रहती है.