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सेहत टिप्स /शौर्यपथ /क्या आप 9 घंटे दफ़्तर में काम करने के लिए मजबूर हैं? क्या आप आम तौर पर झुककर बैठते हैं? क्या दफ़्तर के एर्गोनॉमिक्स की वजह से आपके कूल्हे और पीठ अजीब तरीके से मुड़ी हुई रहती है? अगर आपने इनमें से किसी भी सवाल का जवाब 'हां' में दिया है, तो आपके कूल्हे शायद आपकी गलत मुद्राओं और आदतों का खामियाजा भुगत रहे हैं. नतीजतन, आपको दर्द, अकड़न, मांसपेशियों में खिंचाव और जकड़न का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही, इन पर मोटी चर्बी भी अपनी जगह बना लेती है जिससे पूरे शरीर का शेप खराब हो जाती है.
हिप की चर्बी कम करने के लिए योगासन -
उत्कटासनउत्कटासन के लाभ
उत्कटासन (कुर्सी मुद्रा)
घुटनों और जांघों को टोन करता है.
टखनों और पिंडलियों को टोन करता है.
रीढ़, कूल्हों और छाती की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है.
नटराजासन नटराजासन (नृत्य मुद्रा) के लाभ
गर्दन, पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और यहां तक कि पेट की मांसपेशियों को भी स्ट्रेच और टोन करता है.
रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है.
पाचन में सहायता करता है.
उष्ट्रासन उष्ट्रासन (ऊंट मुद्रा) करने के फायदे
कूल्हों के लिए यह व्यायाम हिप फ्लेक्सर्स को खोलता है और उनमें खिंचाव पैदा करता है.
जांघों से चर्बी कम करने में मदद करता है.
कंधों और पीठ को खींचता और मजबूत करता है.
रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन में सुधार करता है और मुद्रा में भी सुधार करता है.
नौकासन नौकासन (नाव मुद्रा) के फायदे
पेट की चर्बी कम करने में मदद करता है.
पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
पैर की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
बद्धकोणासन (तितली मुद्रा)
जांघों के अंदरूनी हिस्से को स्ट्रेच करता है.
कमर के क्षेत्र में लचीलापन बढ़ाता है.
कूल्हे के क्षेत्र में लचीलापन बढ़ाता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /अमरूद के फल और पत्तियों में विटामिन सी और पोटैशियम सहित पोषक तत्व होते हैं, जो आपके हृदय, पाचन और शरीर की अन्य प्रणालियों को सहायता प्रदान कर सकते हैं. इनके फल अंडाकार आकार के होते हैं. इनका छिलका हल्का हरा या पीला होता है और इनमें खाने योग्य बीज होते हैं. इसके अलावा, अमरूद के पत्तों का उपयोग हर्बल चाय के रूप में किया जाता है. यह फल कई बीमारियों में फायदेमंद होता है. आज इन्हीं के बारे में आपको बताने वाले हैं.अमरूद के पत्ते खाने के फायदे
- अमरूद के फल और पत्तियों में विटामिन सी और पोटैशियम सहित पोषक तत्व होते हैं, जो आपके हृदय, पाचन के लिए रामबाण साबित होते हैं. टाइप 2 मधुमेह वाले 20 लोगों पर किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि अमरूद के पत्तों की चाय पीने से भोजन के बाद रक्त शर्करा का स्तर 10% से अधिक कम हो गया. इस लिहाज से अमरूद के पत्ते खाने के फायदे हैं.
- अमरूद के पत्तों का अर्क मासिक धर्म में होने वाले ऐंठन के दर्द की तीव्रता को कम कर सकता है. दर्दनाक लक्षणों का अनुभव करने वाली 197 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि प्रतिदिन 6 मिलीग्राम अमरूद के पत्तों का अर्क लेने से दर्द की तीव्रता कम हो गई.
- वजन कंट्रोल करने में भी अमरूद के पत्ते बहुत फायदेमंद होता है. इससे आपका मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है. यह वेट कंट्रोल करता है. इसको खाने से आयरन की भी कमी दूर होती है. जिन लोगों को खून की कमी है उन्हें इसका सेवन जरूर करना चाहिए. स्किन के लिए भी बहुत बेनेफेशियल होता है. यह कील मुंहासों को भी दूर करता है. यह ग्लो बढ़ाने में भी मदद करता है.
खाना खजाना /शौर्यपथ /नूडल्स का नाम लेते ही मुंह में पानी आ जाता है. छोटे से लेकर बड़े तक को नूडल्स खाना पसंद है. यह एक क्विक एंड इजी डिश है जिसे आप ब्रेकफास्ट, लंच या डिनर किसी भी समय बनाकर खा सकते हैं. नूडल्स की अनगिनत वैराइटी आपको मिल जाएंगी. जैसे,वेज नूडल्स, हक्का नूडल्स और शेजवान नूडल्स आदि. आज हम इस लिस्ट में एड करने के लिए एक अलग नूडल्स की रेसिपी लेकर आए हैं जो आपको जरूर पसंद आएगी. हम बात कर रहे हैं एग फ्राइड नूडल की, इस नूडल रेसिपी में अंडे का ट्विस्ट हैं. तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं एग फ्राइड नूडल्स बनाने की रेसिपी.
एग फ्राइड नूडल्स उन दिनों के लिए भी एक अच्छा ऑप्शन बन सकती है, जब आप कुछ बनाने के मूड में न हो, या फिर जब आपके पास समय की कमी हो. इतना ही नहीं इस रेसिपी को आप रात की बची हुई एग भुर्जी के साथ भी बना सकते हैं.
कैसे बनाएं एग फ्राइड नूडल्स-
सामग्री-
अंडे
नूडल्स उबली हुई
सोया सॉस
चिली सॉस
रेड चिली सॉस
स्वादानुसार काली मिर्च
स्वादानुसार नमक
तेल जरूरत के मुताबिक
लहसुन बारीक कटा हुआ
शिमला मिर्च
हरी प्याज
प्याज कटा हुआ
विधि-
एग फ्राइड नूडल्स बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में तेल गरम करें. एक बाउल में अंडे तोड़े और इसमें नमक और काली मिर्च डालकर फेंट लें. अब अंडे को पैन में डालकर भुर्जी बना लें और इस कढ़ाही से निकालकर अलग रख लें. फिर पैन को दोबारा गैस पर रखें और इसमें दो बड़े चम्मच तेल डालकर गरम करें. लहसुन डालें और इसे कुछ सेकेंड भूनें, प्याज को कुछ देर भूनें इसके बाद शिमला मिर्च और हरी प्याज डालकर उन्हें भी भून लें. स्वादानुसार नमक भी मिलाएं. उबली हुई नूल्डस को सब्जियों के साथ मिलाएं. सोया सॉस, चिली सॉस, रेड चिली सॉस और सिरका डालें. काली मिर्च छिड़के और सभी चीजों को मिक्स करें. अंडे की भुर्जी डालें और सभी चीजों को मिलाते हुए टॉस करें. आपकी एग फ्राइड नूडल्स तैयार हैं.
खाना खजाना /शौर्यपथ /आड़ू एक स्वादिष्ट फल है. ये गर्मियों के मौसम में आने वाला एक मौसमी फल है जिसे स्वाद और सेहत का भंडार कहा जाता है. अगर आप इस फल का रोजाना सेवन करते हैं तो आपको कई लाभ मिल सकते हैं. क्योंकि आड़ू में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम जैसे गुण पाए जाते हैं. आड़ू का सेवन कर पाचन को बेहतर रखने में मदद मिल सकती है. जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्या है उनके लिए इस फल का सेवन औषधी से कम नहीं है. इतना ही नहीं इस फल में मौजूद गुण ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है. तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं आड़ू खाने से मिलने वाले लाभ.
किसे खाना चाहिए आड़ू-
1. मोटापा कम करने-
अगर आप वजन को कम करने के लिए रास्ते तलाश रहे हैं तो आप ये फल आपकी मदद कर सकते हैं. आड़ू में कैलोरी की मात्रा कम और फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो वजन को कम करने में मददगार है.
2. पाचन- के लिए-
आड़ू में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन को सुधारने और कब्ज की समस्या को दूर करने में मददगार है.
3. स्किन के लिए-
गर्मियों के मौसम में स्किन से जुड़ी समस्याएं काफी देखी जाती हैं. आड़ू में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स स्किन को हेल्दी रखने में मददगार हैं. स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए आप आड़ू का सेवन कर सकते हैं.
4. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने-
अगर आप ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो आपके लिए आड़ू का सेवन फायदेमंद हो सकता है. क्योंकि आड़ू में पोटैशियम होता है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है. आड़ू के सेवन से हार्ट को हेल्दी रखने में भी मदद मिल सकती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है और कहते हैं कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, उनके सारे दुख-तकलीफ और कष्टों का निवारण करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. लेकिन, कहा जाता है कि प्रदोष का व्रत अगर आप कर रहे हैं तो इसकी कथा सुनना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यतानुसार अगर प्रदोष व्रत को आप पूर्ण करना चाहते हैं तो इसकी कथा जरूर सुनें, नहीं तो यह व्रत अधूरा माना जाता है.
प्रदोष व्रत की कथा |
स्कंद पुराण के अनुसार, प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने बेटे को लेकर भिक्षा लेने जाती थी और शाम को घर लौट आई थी. एक दिन जब वो भिक्षा लेकर वापस लौट रही थी तो नदी किनारे एक बालक उसे दिखाई दिया. वह बालक विधर्व देश का राजकुमार धर्मगुप्त था. शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था और उसकी मां की भी अकाल मृत्यु हो गई थी. ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन पोषण किया. कुछ समय बाद वो ब्राह्मणी अपने दोनों बेटों को लेकर देवयोग से देव मंदिर गई जहां उनकी मुलाकात ऋषि शांडिल्य से हुई. ऋषि शांडिल्य ने उन्हें बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वो विदर्भ देश के राजकुमार का पुत्र है. इसके बाद ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी. फिर घर लौटकर विधवा ब्राह्मणी ने अपने दोनों बेटों के साथ प्रदोष व्रत करना शुरू किया.
एक दिन दोनों पुत्र वन में घूम रहे थे. तभी गंधर्व कन्याएं उन्हें नजर आईं, ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया, लेकिन राजकुमार धर्मगुप्त अंशुमती नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे और दोनों एक-दूसरे पर मोहित हो गए. इसके बाद गंधर्व राजा ने अपनी बेटी का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से करवाया, फिर धर्मगुप्त ने गंधर्व सेवा की मदद से विदर्भ देश पर आधिपत्य हासिल किया. कहा जाता है कि यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था. इसलिए कहते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के बाद अगर इस कथा को पढ़ा या सुना जाए तो 100 जन्मों के पाप और दरिद्रता भी दूर हो जाती है.
अब बात आती है कि प्रदोष व्रत पर पूजा करने के लिए आपको क्या करना चाहिए. तो अगले महीने आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई को मनाई जाएगी जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 7:10 से शुरू होकर 4 जुलाई सुबह 5:54 तक रहेगा. ऐसे में बुधवार के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा, जिसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए, उन्हें बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि अर्पित करना चाहिए. मान्यतानुसार पूरे दिन का उपवास करने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले स्नान करके सफेद रंग के कपड़े पहनकर भगवान शिव की पूजा और उनके मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करने से इस व्रत के फल की प्राप्ति होती है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /ब्रह्म मुहूर्त यानी कि भगवान का समय, ये समय सूर्योदय से पहले का होता है. सनातन धर्म में ब्रह्म मुहूर्त का समय बहुत विशेष माना जाता है, इसे अक्षय मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि इस समय जो भी पूजा पाठ या काम किया जाता है वो सीधे भगवान तक पहुंचता है और इसका दोगुना फल मिलता है. ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त में आपको क्या करना चाहिए और किन मंत्रों का जाप करना चाहिए आइए हम आपको बताते हैं.ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले क्या करें
ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करना चाहिए, कहते हैं ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके अपने इष्ट देव की पूजा-अर्चना करने से सभी दुख तकलीफ दूर होती हैं.
लक्ष्मी जी के इस मंत्र का करें जाप
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती, करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम, इस मंत्र का उच्चारण करने के लिए अपने हथेलियां को जोड़ें और लक्ष्मी जी के सामने इस मंत्र का उच्चारण आप अपनी सुविधा अनुसार 11, 21 या 108 बार कर सकते हैं.
गायत्री मंत्र
ॐ भूर् भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ का उच्चारण सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करने से बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है और आपको सफलता मिलती है.
महामृत्युंजय मंत्र
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ। ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और महादेव भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं.
ऊँ लक्ष्मी नमः
ब्रह्म मुहूर्त में सुबह केवल इस मंत्र का जाप करने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और आपके घर में जो भी धन संबंधी समस्या आ रही है, वह भी दूर होती है.
ऊँ का जाप
ऊँ शब्द अपने आप में ही इतना पावरफुल होता है कि अगर केवल आप ऊँ का जाप भी करेंगे तो इससे आपको पूरे दिन एनर्जी मिलेगी और आप अपना काम आसानी से कर पाएंगे.
शौर्यपथ / देश के कई हिस्सों में मानसून की एंट्री हो गई है. झमाझम बरसात से मौसम खुशनुमा हो गया है. हालांकि, इस सीजन में बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है. बरसात में इम्यूनिटी कमजोर होने से संक्रमण और बीमारियां बढ़ जाती हैं. जिसकी वजह से बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन, फूड पॉइजनिंग, डायरिया, डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, स्किन इंफेक्शन और एलर्जी होने का खतरा रहता है. ऐसे में अगर आप इन बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं तो 5 आयुर्वेदिक हर्ब्स को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें. इससे पूरे सीजन बीमारियों आपको छू भी नहीं पाएंगी.
1. अदरक
अदरक एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-वायरल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों वाली जड़ी-बूटी है. इसके सेवन से कई तरह की बीमारियां और संक्रमण दूर ही रहते हैं. गले की खराश से लेकर पाचन की समस्या तक में अदरक फायदेमंद होता है. बारिश के दिनों में हर दिन अदरक वाली चाय पीने से बीमार होने से बच सकते हैं.
2. हल्दी
औषधीय गुणों वाली हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पहले से ही मौजूद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करती है. सर्दी-खांसी, गले में खराश या शरीर में सूजन है तो दूध में हल्दी मिलाकर पीने से राहत मिल सकती है.
. मुलेठी
बरसात के दिनों में खांसी, जुकाम, गले में खराश परेशान कर सकता है. इसके लिए एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों वाला मुलेठी काम आ सकता है. इसे चाय या काढ़े में इस्तेमाल कर सकते हैं.
4. तुलसी
आयुर्वेद में तुलसी काफी गुणकारी औषधीय है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो बारिश के मौसम में संक्रमण को दूर रखने में मदद कर सकते हैं. इससे कई बीमारियों से बच सकते हैं. तुलसी की पत्तियों से चाय या गाढ़ा बनाकर पीना फायदेमंद होता है.
5. गिलोय
गिलोय इम्यूनिटी को मजबूत करने वाली औषधी है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो सर्दी, बुखार और फ्लू के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है. मानसून में हर दिन गिलोय का काढ़ा बनाकर पीना फायदेमंद हो सकता है.
टिप्स ट्रिक्स /शौर्यपथ /जून में माह में जबरदस्त गर्मी और हीटवेव के कारण आग लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं. गर्मी इतनी भीषण हो गई थी कि सड़क पर खड़ी कार और घर में लगे AC तक में आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं. हाल ही में दिल्ली और आसपास के इलाकों नोएडा से लेकर गाजियाबाद में इस तरह की कई घटनाओं की खबरें आई हैं. कई जगह AC ब्लास्ट होने और उसमें आग लग चुके कारण परे घर में आग लगने का क खतरा होता है. AC की तरह ही घर में फ्रिज में भी आग लग सकता है. गर्मी के दिनों में फ्रिज यूज करने में सावधानी जरूरी है. आइए जानते हैं गर्मी में फ्रिज का यूज करने में क्या सावधानियां रखनी चाहिए
ओवरहीटिंग से बचना जरूरी
एसी से लेकर फ्रिज या फिर अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण उनमें आग लगने का सबसे बड़ा कारण होता है ओवरहीटिंग. फ्रिज से निकलने वाली गर्मी की वजह से उसमें आग लगने का डर रहता है. फ्रिज को ऐसी जगह रखनी चाहिए, जहां उसे ठंडा होने के लिए हवा मिल सके. कॉम्पैक्ट जगह होने की वजह से फ्रिज की बॉडी को सही तरीके से ठंडा होने के लिए हवा नहीं मिलता है, जिसकी वजह से वह ज्यादा गर्म हो सकता है और उसमें आग लगने का खतरा बढ़ सकता है.
वोल्टेज फल्क्चुएशन
गर्मी के दिनों में बिजली की डिमांड बढ़ जाती है. इस समय वॉल्टेज फल्क्चुएशन की परेशानी भी शुरू हो जाती है. फ्रिज को आग लगने से बचाने के लिए हाई वोल्टेज स्टेब्लाइजर का यूज करना चाहिए. स्टेब्लाइजर वॉल्टेज फ्लक्चुएशन को रोकने और आपके उपकरणों को खराब होने से बचाता है.
नियमित मेंटेनेंस
AC, फ्रिज समेत सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की रेगुलर मेंटेनेंस करानी चाहिए. फ्रिज में भी कंप्रेसर लगा होता है, जिसमें लीकेज या फिर ओवरहीटिंग की समस्या हो सकती है. रेगुलर मेंटेनेंस से फ्रिज के कंप्रेसर या अन्य उपकरण जैसे कि फिल्टर, वेंट आदि साफ हो जाते हैं और फ्रिज के कंप्रेसर पर लोड नहीं पड़ता है और उसमें बलास्ट का खतरा कम होता है.
डिफ्रॉस्ट करें
फ्रिज में आपको एक डिफ्रॉस्ट बटन मिलता है, उसकी मदद से फ्रित को नियमित रूप से डिफ्रॉस्ट करना चाहिए. इससे फ्रिजर में जमने वाले बर्फ को साफ किया जाता है. इससे फ्रिज की लाइफ बढ़ती है.
वेंटिलेशन
फ्रिज को ऐसी जगह रखें जहां वेंटिलेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो. ऐसा नहीं होने पर फ्रिज की बाहरी सतह ठंडी नहीं होगी और उसमें आग लगने का खतरा बढ़ जाएगा. गर्मी के दिनों में आप चाहें तो फ्रिज को पंखे से हवा करके ठंडा भी कर सकते हैं. फ्रिज के कंप्रेसर में ज्वलनशील गैस होती है, ज्यादा गर्म होने पर आग लगने का खतरा होता है.
टिप्स /शौर्यपथ /गर्मी के मौसम में नारियल पानी पीना लोग काफी पसंद करते हैं. यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है. नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो शरीर में पानी के संतुलन बनाए रखते हैं, और इसके एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं. यह त्वचा को नमी और ताजगी देता है, वजन नियंत्रित करने में मदद करता है और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. जब आप घर के लिए नारियल खरीदते हैं, तो यह चिंता बनी रहती है कि इसमें पर्याप्त पानी होगा या नहीं. ऐसे में सवाल यह है कि कैसे जानें कि नारियल में पानी अधिक है या नहीं...?
नारियल का बाहरी परत कठोर होने की वजह से यह जानना मुश्किल होता है कि उसमें कितना पानी है. एक सामान्य कच्चे नारियल में लगभग 300-350 ग्राम पानी होता है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आप जो नारियल खरीदते हैं, उसमें कम पानी निकलता है और आपको निराशा होती है. नीचे दी गई टिप्स की मदद से आप आसानी से पानी से भरे नारियल की पहचान कर सकते हैं.
पानी वाला नारियल पहचानने का तरीका
हिलाकर आवाज़ सुनें
नारियल को अपने कान के पास लाकर हिलाएं. अगर अंदर से पानी का साफ आवाज सुनाई देता है, तो उसमें पानी अधिक होने की संभावना होती है.
वजन
नारियल को हाथ में उठाकर उसका वजन महसूस करें. भारी नारियल में आमतौर पर पानी अधिक होता है. इस तरह आप खरीदते वक्त भारी वाला नारियल चुनकर पानी अधिक पा सकते हैं.
रंग पर दें ध्यान
नारियल के ऊपरी हिस्से पर काले धब्बे और दरारें नहीं होनी चाहिए. ऐसे नारियल में पानी कम हो सकता है. इसलिए नारियल लेने से पहले ताजे और हरे रंग के ही नारियल को चुनें.
छेद की जांच
नारियल के तीन आंखों में से एक को हल्के से दबाकर देख लें. अगर वह छेद थोड़ी दबाव देने पर आसानी से खुल जाता है, तो नारियल ताजा और पानी से भरा हो सकता है.
ज्योतिष शास्त्र/शौर्यपथ / ज्योतिष शास्त्र में सूर्य व चंद्र ग्रहण की घटनाएं बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस वर्ष दो बार चंद्र ग्रहण की घटनाएं होने वाली हैं. पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लग चुका है और दूसरा चंद्र ग्रहणसितंबर माह में लगने वाला है. वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज, धरती और चांद के एक सीधी रेखा में आ जाने से सूर्य की किरणे चांद पर नहीं पड़ती है. इसके कारण चंद्र ग्रहण की घटना होती है. आइए जानते हैं कब लगने वाला है साल 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण और भारत में सूतक काल कब से कब तक रहेगा….
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण
वर्ष 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार 18 सितंबर सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ होगा और 10 बजकर 17 मिनट तक चंद्र ग्रहण के समय सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक लाइन में आ जाने से चंद्रमा पर सूर्य की किरणें पूरी तरह से नहीं पड़ेंगी और पृथ्वी से चांद का पूरी तरह नजर नहीं आएगा.
भारत में सूतक काल
18 सितंबर को लगने वाला साल का दूसरा चंद्र ग्रहण सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगा और चंद्रमा तब तक छुपने वाला होगा यह भारत में नजर नहीं आएगा. चंद्र ग्रहण के भारत मे नजर नहीं आने के कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा.
कहां-कहां नजर आएगा चंद्र ग्रहण
इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा. चंद्र ग्रहण को यूरोप, एशिया के अधिकांश हिस्से, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका के कुछ क्षेत्रों में देखा जा सकेगा.
चंद्र ग्रहण के दौरान सावधानियां
चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित माना जाता है.
ग्रहण के दौरान किसी भी नुकीली वस्तु कैंची, चाकू आदि के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
ग्रहण के दौरान झूठ, कपट और बुरे विचारों से बचना चाहिए.
ग्रहण के दौरान दौरान गर्भवती महिलाएं, बच्चों और बुजुर्गो को भोजन या दवा खाने से दोष नहीं लगता है.
ग्रहण के दौरान सोने से बचना चाहिए.
ग्रहण के बाद भोजन और जल में तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए.
आस्था /शौर्यपथ /सोमवार के दिन अधिकांश लोग देवों के देव महादेव का पूजा करते हैं. ये दिन शिवजी की पूजा के लिए खास माना जाता है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही सोमवार का व्रत रखा जाता है. ये व्रत कितना महिमामयी है इसकी जानकारी शिव पुराण में भी दर्ज है. ये भी मान्यता है कि जगत जननी माता पार्वती ने जब भगवान शिव को पति रूप में चाहा था, तब उन्हें शिव जी को पाने के लिए सोमवार का ही उपवास किया था. स्त्रियों का सौभाग्य अखंड रखने वाले, कुंवारियों को वर देने वाले भगवान शिव दुख और दरिद्रता को भी दूर करते हैं. जो लोग सोमवार का व्रत करते हैं, अगर वो लोग प्रति सोमवार पूरे विधि-विधान का पालन करते हुए भगवान शिव की आराधना करें. साथ ही जल चढ़ाते हुए इस स्तोत्र का पाठ करें तो सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
ये है दारिद्रय दहन शिव स्तोत्र
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्र्यनाशनम् ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥
शिव तांडल स्तोत्र के फायदे
जो शिव भक्त नियमित रूप से शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करते हैं और भगवान की पूजा करते हैं, उनसे भगवान शिव खूब प्रसन्न होते हैं. ऐसे लोगों को कभी धनसंपत्ति की कमी नहीं होती.
जो लोग इस स्तोत्र का नियमित रूप से और सही तरीके से पाठ करते हैं उनकी पर्सनेलिटी में भी निखार आता है.
इस पाठ को करने का असर चेहरे पर के तेज में भी दिखता है. चेहरा पहले से ज्यादा तेजमय हो जाता है.
इस पाठ को करने वाले की सभी मनोकामना को भगवान शिव पूरा करते हैं.
इस पाठ के नियमित पाठ से वाणी को भी बल मिलता है और वाणी की सिद्धि भी मिलती है.
भगवान शिव नृत्य कला, चित्रकला, योग, ध्यान और लेखन में भी प्रवीण माने जाते हैं. उन्हें पूजने वाले को भी ये अपने मन के कार्य में दक्ष होने का मौका मिलता है.
आस्था /शौर्यपथ /शनि को कर्म फल दाता यूं ही नहीं कहा जाता बल्कि शनि देव जातकों के कर्मों का फल उन्हें देते हैं. मान्यतानुसार अगर आपने अच्छे कर्म किए होंगे तो आपको अच्छे फल मिलेंगे और अगर आपके कर्म बुरे हैं तो इसका फल भी आपको मिलेगा. शनि ग्रह की चाल ज्योतिष शास्त्र पर कई तरह के प्रभाव डालती है. ऐसे में अब शनि के अपनी स्वराशि कुंभ में वक्री होने का समय आ गया है. शनि ग्रह 29-30 जून की मध्यरात्रि 12:35 पर वक्री होंगे और 15 नवंबर, 2024 शाम को 7:51 तक वक्री अवस्था में भी रहेंगे. ऐसे में जानिए शनि के वक्री होने से किन राशि के जातकों पर शुभ प्रभाव पड़ेंगे क्योंकि इस समय शनि की कर्क और वृश्चिक राशि और मकर, कुंभ और मीन राशि पर साढ़ेसाती चल रही है.
शनि के वक्री होने से राशियों पर क्या होगा प्रभाव
मेष राशि - मेष राशि के जातकों के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. इस समय आपको अपनी वाणी पर नियंत्रण रखने की जरूरत है, जो आपके लिए भविष्य में लाभ फल देगा.
वृष राशि - वृष राशि के जातकों के लिए भी शनि का वक्री होना शुभ फल दे सकता है. आप थोड़े से प्रयास में ही बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं. चल-अचल संपत्ति की खरीदारी या बिक्री हो सकती है, कार्यक्षेत्र में आपको तरक्की मिलेगी.
मिथुन राशि - मिथुन राशि के जातक किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं, लोन या ऋण संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है और इस समय आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है.
कर्क राशि - कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री होना थोड़ा कष्टदायक हो सकता है. कार्य क्षेत्र में आपको समस्याएं आ सकती हैं. इसलिए आपको अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है.
सिंह राशि - सिंह राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र या अपने बिजनेस में संघर्ष करना पड़ सकता है. इस दौरान आपको नए लोगों से संपर्क बनाना चाहिए ताकि भविष्य में इसका फल आपको मिले.
कन्या राशि - कन्या राशि के जातकों को पार्टनरशिप या पारिवारिक जीवन में संघर्ष करना पड़ सकता है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं खासकर हड्डी और आंखों से संबंधित कोई बीमारी का पता चल सकता है.
तुला राशि - तुला राशि के जातकों को इस समय थोड़ा संयम रखने की जरूरत है, वर्क प्लेस या पढ़ाई में कुछ परिवर्तन हो सकता है और नए संपर्क बन सकते हैं.
वृश्चिक राशि - वृश्चिक राशि के जातकों को कुछ विवादित मामलों में सफलता मिल सकती है. आगे के कामों के लिए आपको अभी से प्लानिंग करने की जरूरत है.
धनु राशि - धनु राशि के जातकों को चल-अचल संपत्ति की खरीदारी का मौका मिल सकता है, विवादित मामले सुलझ सकते हैं और कार्य में सफलता मिल सकती है.
मकर राशि - मकर राशि के जातकों को इस समय संघर्षपूर्ण सफलता हासिल हो सकती है. कार्यस्थल में परिवर्तन की संभावना है, हर कार्य में आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी.
कुंभ राशि - कुंभ राशि के जातकों को रुके हुए कार्य पूरे होने से सफलता मिलेगी. आजीविका, व्यापार या नौकरी में थोड़ी बहुत सफलता के आसार हैं.
मीन राशि - मीन राशि के जातकों को इस समय थोड़ा संयम रखने की जरूरत है. इस राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, आपका खरीदारी पर खर्च हो सकता है. इस दौरान वाद-विवाद से बचें.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /सावन, जिसे श्रावण के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग में भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण महीना है. 2024 में, सावन 29 दिनों का होगा और इसमें 5 सोमवार शामिल होंगे. सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है. बता दें कि इस साल सावन 22 जुलाई से शुरू हो रहे हैं, तो 19 अगस्त 2024 को समाप्त हो रहे हैं. ऐसे में इस माह किस-किस दिन सावन सोमवार है, कब मंगला गौरी का व्रत रखा जाएगा और कौनसी तिथियां महत्वपूर्ण हैं जानिए यहां.
सावन 2024 की तिथियां और महत्वपूर्ण तिथियां
आरंभ तिथि- 22 जुलाई 2024
समाप्ति तिथि- 19 अगस्त 2024
सावन 2024 में 5 सोमवार
पहला सोमवार- 22 जुलाई 2024
दूसरा सोमवार- 29 जुलाई 2024
तीसरा सोमवार- 5 अगस्त 2024
चौथा सोमवार- 12 अगस्त 2024
पाँचवाँ सोमवार- 19 अगस्त 2024
मंगला गौरी व्रत कब- कब
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावन मास के हर मंगलवार के दिन मां पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस साल सावन में मंगला गौरी व्रत पड़ने वाले हैं.
पहला मंगला गौरी व्रत- 23 जुलाई को
दूसरा मंगला गोरी व्रत- 30 जुलाई
तीसरा मंगला गौरी व्रत- 6 अगस्त
चौथा मंगला गौरी व्रत- 13 अगस्त
महत्वपूर्ण तिथियां
श्रावण अमावस्या- 28 जुलाई 2024
श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन)- 19 अगस्त 2024
सावन सोमवार का महत्व
सावन भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय महीना है. कई लोग, विशेष रूप से सोमवार को व्रत रखते हैं ताकि वे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकें. सावन का महीना भारत में मानसून के मौसम के साथ मेल खाता है, जो पुनरुत्थान और उर्वरता का प्रतीक है. यह समय प्रकृति की सबसे सुंदर अवस्था होती है और वर्षा को देवताओं का आशीर्वाद माना जाता है. इस महीने के दौरान, भक्त अक्सर शिव मंदिरों में जाते हैं, शिव लिंग का अभिषेक (पूजन) करते हैं और महामृत्युंजय मंत्र जैसे प्रार्थनाएं करते हैं. सोमवार को व्रत रखना, जिसे सावन सोमवार व्रत के नाम से जाना जाता है, आत्मिक विकास और आशीर्वाद प्राप्त करने की एक आम प्रथा है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बेहद शुभ माना जाता है. हरेक माह की दोनों एकादशी तिथि को व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है. मान्यता है कि एकादशी पर जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना से जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है औश्र सभी प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं. जुलाई माह में दो अति महत्वपूर्ण एकादशी योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी पड़ रही है. इन दोनों ही एकादशी का विष्णु भगवान की पूजा में बहुत महत्व है. आइए जानते हैं योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त.
योगिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और 2 जुलाई को सुबह 8 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी. योगिनी एकादशी व्रत 2 जुलाई मंगलवार को रखा जाएगा.
देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 जुलाई को संध्या के समय 8 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर 17 जुलाई को शाम 9 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगी. देवशयनी एकादशी व्रत 17 जुलाई बुधवार को रखा जाएगा.
योगिनी एकादशी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने मोक्ष की प्रप्ति होती है. योगिनी एकादशी के महत्व के बारे में भगवान श्रीकृष्ण से खुद युधिष्ठिर को बताया था. मान्यता है कि इस व्रत को करने और विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है.
देवशयनी एकादशी का महत्व
माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान श्री विष्णु चार माह के योग निद्रा में चले जाते हैं. इसे चातुर्मास भी कहा जाता है. जैन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है.