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ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /बालों पर किन-किन तरीकों से कर सकते हैं गुड़हल का इस्तेमाल. बालों की सही तरह से देखरेख ना की जाए तो बालों को डैमेज का खतरा रहता है. हेयर केयर में इसी चलते कई अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इन्हीं चीजों में से एक है गुड़हल के फूल. बालों पर गुड़हल के फूल लगाने से एक नहीं बल्कि कई फायदे मिलते हैं. गुड़हल के फूलों में फ्लेवेनॉइड्स होते हैं जो स्कैल्प को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाते हैं. इसके अलावा, इन फूलों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स की अत्यधिक मात्रा होती है जो बालों की ग्रोथ से लेकर बालों का झड़ना रोकने तक में कारगर साबित होती है. ऐसे में बालों पर अलग-अलग तरह से गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
बालों पर कैसे इस्तेमाल करें गुड़हल |
गुड़हल का तेल - बालों को बढ़ाने के लिए गुड़हल के फूलों से तेल तैयार किया जा सकता है. इस तेल को बनाने के लिए गुड़हल के फूलों को नारियल के तेल में डालकर पका लें. इस तेल में गुड़हल के पत्ते भी डाले जा सकते हैं. स्कैल्प से बालों के सिरों तक इस तेल को लगाकर रखने के आधे से एक घंटे बाद सिर धोकर साफ कर लें. गुड़हल का तेल बनाने के लिए आप गुड़हल के पाउडर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं और बिना पत्तों के भी इस तेल को तैयार किया जा सकता है.
गुड़हल का हेयर मास्क - बालों पर गुड़हल का हेयर मास्क बनाकर भी लगा सकते हैं. गुड़हल का हेयर मास्क बनाने के लिए गुड़हल के पत्ते पीसें. अब इसमें दही मिलाकर पेस्ट तैयार करें. इस हेयर मास्क को बालों पर 20 से 25 मिनट लगाकर रखने के बाद सिर धोकर साफ करें. बालों को वॉल्यूम मिलेगा और बाल घने बनेंगे सो अलग.
गुड़हल का हेयर टोनर - डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए गुड़हल की सूखी पत्तियों से गुड़हल की चाय बना लें. इस चाय को बनाने के लिए एक कप पानी में गुड़हल की चायपत्ती डालें और इस चाय को पकाकर साइड रख लें. जब गुड़हल की चाय ठंडी हो जाए तो शैंपू करने के बाद सिर पर इस चाय को डालें. बालों को घना और मुलायम बनने में मदद मिलेगी.
गुड़हल का पानी - बालों की फ्रिजीनेस को दूर करने के लिए गुड़हल के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस पानी को तैयार करने के लिए एक बोतल में साफ पानी भरें और कुछ गुड़हल के पत्ते डालकर रख लें. कुछ घंटों बाद इस पानी का इस्तेमाल हेयर मिस्ट की तरह करें. इसे रातभर भी बालों पर लगाकर रखा जा सकता है या घर से बाहर निकलने से बिल्कुल पहले इसका इस्तेमाल करें.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /बालों की सही देखरेख के लिए मेहंदी को अलग-अलग तरह से बालों पर लगाया जाता रहा है. बहुत सी महिलाएं घने बाल पाने के लिए मेहंदी लगाती हैं, कई लोग इसे सफेद बालों को काला करने के लिए लगाते हैं तो कुछ लोग डीप कंडीशनिंग के लिए मेहंदी का इस्तेमाल करते हैं. मेहंदी को बालों पर लगाने के यूं तो कई तरीके हैं लेकिन इसे सही तरह से लगाकर ही इसके पूरे फायदे उठाए जा सकते हैं. यहां जानिए बालों पर मेहंदी लगाने से जुड़ी कौन-कौनसी बातें हैं जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है और मेहंदी को किस तरह और कितनी देर के लिए सिर पर लगाया जाता है.
बालों पर मेहंदी लगाने का सही तरीका
बालों पर पैकेटबंद मेहंदी को खरीदने के बजाए ऑर्गेनिक मेहंदी का इस्तेमाल करना जरूरी होता है. ऑर्गेनिक मेहंदी बालों को नुकसान नहीं पहुंचाती है और इसका बालों पर बेहतर असर देखने को मिलता है. मेहंदी को यूं तो बालों पर जस का तस लगा सकते हैं लेकिन इसका असर बढ़ाने के लिए इसमें अलग-अलग चीजें मिलाकर लगाई जा सकती हैं.
ऑर्गेनिक मेहंदी में एक चम्मच हल्दी, सरसों का तेल, मेथी का पाउडर और पानी मिलाकर सिर पर लगाया जा सकता है. इससे बालों को बढ़ने में भी मदद मिलती है और बालों की कई दिक्कतों से छुटकारा मिलता है सो अलग. इसके अलावा, मेहंदी में चायपत्ती का पानी मिलाकर भी लगाया जा सकता है.
मेहंदी से अगर बालों पर गहरा भूरा रंग चाहिए हो तो इसे जस का तस ही 20 से 30 मिनट के लिए लगाएं. अगर मेहंदी से गहरा काला रंग चाहिए हो तो मेहंदी के पाउडर में इंडिगो पाउडर मिलाकर बालों पर 40 से 50 मिनट के बीच लगाया जा सकता है. इंडिगो और मेहंदी मिलाकर लगाने पर सफेद बालों को गहरा काला रंग मिल जाता है.
बालों पर मेहंदी 2 से 3 घंटे से ज्यादा कभी नहीं लगाकर रखना चाहिए. इससे ज्यादा देर तक मेहंदी लगाकर रखी जाए तो बाल जरूरत से ज्यादा ड्राई या रूखे-सूखे हो सकते हैं.
मेहंदी लगाने के बाद इसके असर को बढ़ाने के लिए सिर पर शावर कैप लगाकर रखी रहने दी जा सकती है. इसके अलावा बालों पर प्लास्टिक रैप या कोई पॉलीथिन को बांधकर रख लें.
मेहंदी को लगाकर सोना नहीं चाहिए. इससे बाल टूट सकते हैं और डैमेज हो सकते हैं.
बालों पर कंडीशनर की तरह मेहंदी लगाने के लिए मेहंदी को पानी में मिलाकर घोल तैयार करें और इसे सिर पर 10 मिनट लगाकर रखने के बाद धोकर हटा लें. बालों की ग्रोथ के लिए भी यह हेयर मास्क अच्छा है.
ऑयली या नॉर्मल बालों पर मेहंदी लगाने के लिए मेहंदी के घोल में एलोवेरा जैल मिलाया जा सकता है. इस घोल को बालों पर 10 से 15 मिनट लगाकर रखने के बाद धोकर साफ कर लें. इससे बाल लंबे, घने और मुलायम बनते हैं.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या को हुआ था और इसी दिन शनि जयंती मनाई जाती है. शनि जयंती का वट सावित्री का व्रत भी रखा जाता है. मान्यता है कि शनि जंयती को शनिदेव की पूजा अर्चना करने से जीवन में कष्ट और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. शनिदेव को सूर्य देव का पुत्र और कर्म फल का दाता देव माना माना जाता है. आइए जानते है कब मनाई जाएगी शनि जंयती और उससे जुड़ी कथा
6 जून को शनि जयंती
शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है. इस वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 5 जून को संध्या 7 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 6 जून को 6 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी. शनि जयंती 6 जून गुरुवार को मनाई जाएगी. ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा.
पूजा विधि
- शनि जयंती के दिन प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान ध्यान के बाद घर के मंदिर में दिया जलाएं.
- इसके बाद शनि मंदिर जाकर शनिदेव को सरसों का तेल और फूल चढ़ाएं.
- शनि चालीसा का पाठ करें.
- इस दिन व्रत भी रखा जा सकता है.
- शनि जयंती के दिन दान का बहुत महत्व है.
- इस दिन दान का करना बहुत फलदायी होता है.
- शनि जयंत को शनिदेव को प्रसन्न करने इस मंत्र का जाप करें-
ॐ शं अभय हस्ताय नमः”
“ॐ शं शनैश्चराय नमः”
“ॐ नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम”
शनि जयंती की कथा
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि ग्रहों के देव सूर्य का विवाह राजा दक्ष की कन्या संज्ञा से हुआ था और उनके तीन संतान मनु, यमराज और यमुना थे. एक बार संज्ञा ने अपने पिता दक्ष से सूर्य के तेज से होने वाली परेशानी के बारे में बताया लेकिन पिता ने कहा वह सूर्य की पत्नी है और पति की भलाई की भावना से रहना चाहिए. इसके बाद संज्ञा से अपने तपोबल से अपनी छाया को प्रकट किया और उसका नाम संवर्णा रख दिया. सूर्य और संज्ञा की छाया से शनिदेव का जन्म हुआ. शनिदेव का वर्ण बहुत ज्यादा श्याम था. बाद में सूर्यदेव को पता चला कि संवर्णा उनकी पत्नी नहीं है तो उन्होंने शनिदेव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया. इससे शनिदेव क्रोधित हो गए और उनकी दृष्टि सूर्यदेव पर पड़ी जिससे सूर्यदेव काले पड़ गए. इससे संसार में अंधकार छाने लगा. परेशान देवी-देवता भगवान शिव की शरण मे पहुंचे. तब शिव भगवान से सूर्यदेव का संवर्णा से माफी मांगने को कहा. इस तरह सूर्यदेव ने संवर्णा से माफी मांगी और शनिदेव के क्रोध से मुक्त हुए. इसके बाद सूर्यदेव अपने स्वरूप में लौट आए और धरती फिर प्रकाशमान हो गई.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस व्रत में विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना से जीवन के सभी दुख मिट जाते हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. जून माह में पहला प्रदोष व्रत 4 जून को है और इस दिन मंगलवार होने के कारण यह भौम प्रदोष व्रत है. भौम प्रदोष व्रत को बहुत फलदाई माना जाता है. इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ पवनपुत्र बजरंगबली की पूजा की जाती है. भौम प्रदोष व्रत के दिन कुछ खास चीजों के दान से दिन भगवान शिव और बजरंगबली की कृपा हमेशा बनी रहती है. आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत के दिन क्या दान करना चाहिए..….
भौम प्रदोष व्रत के दिन करें इन चीजों का दान
लाल रंग की चीजें
भौम प्रदोष व्रत के दिन लाल रंग के चीजों का दान बहुत शुभ माना जाता है. इसके लिए किसी जरूरतमंद को लाल रंग का वस्त्र या लाल रंग का फल दान करना चाहिए. लाल रंग की चीजों के दान से भगवान शिव और बजरंगबली प्रसन्न होते हैं.
गुड़ का दान
भगवान शिव और बजरंगबली दोनों को ही गुड़ अत्यंत प्रिय है इसलिए भौम प्रदोष व्रत के दिन गुड़ का दान बहुत शुभ माना जाता है.
काले तिल का दान
काले तिल के दान से नकारात्मकता दूर होती है. भौम प्रदोष व्रत के दिन काले रंग के तिल का दान करने से जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता और बुरे प्रभावों को दूर किया जा सकता है.
नारियल का दान
भौम प्रदोष व्रत के दिन नारियल दान करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. भौम प्रदोष व्रत रखने के बाद विधि विधान से भगवान शिव और बजरंगबली की पूजा करने और इस खास चीजों के दान से जीवन से सुख और समृद्धि आती है और समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /स्किन को ग्लोइंग बनाने और हेल्दी रखने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते हैं, कुछ महिलाएं तो इसके लिए काफी महंगे ट्रीटमेंट भी लेती हैं. अगर ये तरीके आर्टिफिशल हों तो कुछ ही दिनों तक कारगर होते हैं, ट्रीटमेंट के बाद भी स्किन की वही समस्याएं सामने आने लगती हैं. इसीलिए हमें नेचुरल और हर्बल तरीकों पर ही ज्यादा फोकस रखना चाहिए. एलोवेरा ऐसी चीज है जो हर किसी के घर पर आसानी से मिल जाता है. कई लोग इसे मार्केट से भी खरीदकर यूज करते हैं, लेकिन घर के गमले में उगाया एलोवेरा आपके लिए बेस्ट हो सकता है. इसे आप आसानी से जेल में भी बदल सकते हैं. आज हम आपको बिना केमिकल के एलोवेरा जेल बनाने का तरीका बताएंगे.
घर पर लगाएं एलोवेरा
अगर आपके घर पर अब तक एलोवेरा नहीं उगा है तो सबसे पहले मार्केट जाकर एक एलोवेरा का गमला या पौधा जरूर लाएं, इसके बाद इसे घर पर रखें और कुछ ही दिनों में ये काफी फैल जाएगा. ये प्लांट इतनी जल्दी खराब भी नहीं होता है. इसे घर पर उगाने के बाद इसके कई फायदे आप ले सकते हैं.
बिना केमिकल के बनाएं जेल
कई लोग, जिनके घर पर एलोवेरा लगा होता है वो इसलिए इसका रोजाना इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन्हें रोज इसे तोड़ने और छीलने की दिक्कत होती है. क्योंकि इसके पत्ते के अंदर जेल होता है, जिसे स्किन पर लगाया जाता है या लोग इसका जूस भी बनाते हैं. क्योंकि बाजार में मिलने वाले एलोवेरा में केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है, ऐसे में आप घर पर ही इसे बना सकते हैं.
एलोवेरा जेल बनाने के लिए आपको सिर्फ नींबू और गुलाब जल की जरूरत होती है. सबसे पहले आपको कुछ एलोवेरा के पत्तों को तोड़कर लाना है और इसे अच्छी तरह धो लेना है. इसके बाद इसके अंदर का पूरा पल्प निकालकर एक मिक्सर में रखना है और इसका पेस्ट बना लेना है. ये मिक्सी में पीसने के बाद जैल की तरह बन जाएगा, फिर इसमें आपको कुछ बूंदे नींबू और गुलाब जल की डालनी हैं. इसके बाद इसे एक एयरटाइट कंटेनर में रखना है और रोज इस्तेमाल करना है. आप इसके आइस क्यूब भी बना सकते हैं.
सेहत /शौर्यपथ / डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों को भगाने के लिए आप घर में तरह-तरह के उपाय करते हैं. कभी कपूर जलाते हैं तो कभी अगरबत्ती, ये सब बेअसर हो जाते हैं तो फिर क्वाइल या फिर मॉस्किटो किलर मशीन का इस्तेमाल करते हैं. इससे मच्छर भाग तो जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है ये सेहत के लिए कितने नुकसानदायक साबित हो सकते हैं. आज हम इस आर्टिकल में उसी के बारे में बताने वाले हैं, ताकि आप इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतें.
- मॉस्किटो केमिकल मशीन और क्वाइल से निकलने वाले धुएं से आपको अस्थमा हो सकता है. इससे सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है. जो लोग पहले से इससे पीड़ित हैं, उन्हें तो बिल्कुल बचना चाहिए.
- त्वचा को भी नुकसान पहुंचाते हैं ये केमिकल. इससे आंखों पर भी बुरा असर पड़ता है. कोशिश करें आप इनको पूरी रात जलाकर न रखें कुछ देर बाद बंद कर दीजिए.
- इससे आपको सिरदर्द, चक्कर, मतली और उल्टी की परेशानी हो सकती है. सोने से पहले लिक्विड मशीन को बंद कर दें. इससे मच्छर भी भाग जाएंगे और सेहत भी खराब होने से बच जाएगी.
- बच्चों का शरीर नाजुक होता है. उन्हें इससे दूर रखें. ज्यादा दिन तक बच्चों में धुआं जाने की वजह से उनमें सांस फूलने का खतरा बढ़ सकता है. नवजात-छह माह तक के बच्चे को इसके संपर्क में आने नहीं देना चाहिए.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /गर्मियों में आम का सेवन कई तरीकों से किया जाता है, जैसे- स्मूदी, डेसर्ट, शेक, जूस. देश के विभिन्न हिस्सों में उत्पादित आम की प्रत्येक किस्म का अपना अलग स्वाद होता है. वे न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि उनमें आवश्यक विटामिन और खनिज, और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो शरीर को हाइड्रेट करते हैं और गर्मी के महीनों के दौरान बीमारियों से बचाते हैं. फायदों के बावजूद फलों के राजा आम के कुछ नुकसान भी हैं जिसे आपको जान लेना चाहिए.
आम खाने के नुकसान
कैलोरी बढ़ती है |
एक मध्यम आकार के आम में लगभग 150 कैलोरी होती हैं. इसलिए रात में इसका सेवन करने से कैलोरी और बढ़ जाती है, क्योंकि रात में कोई शारीरिक गतिविधि नहीं होती है, ऐसे में बॉडी में कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है.
अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो बिल्कुल भी इसका सेवन न करें अन्यथा आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
वजन बढ़ता है |
आम में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है इसलिए रात में खाती हैं तो इससे आपके वजन बढ़ने के चांसेस बहुत बढ़ जाते हैं. वहीं आम शरीर के तापमान को भी बढ़ा सकता है. इसके अधिक मात्रा में सेवन करने से चेहरे पर पिंपल्स निकल आते हैं.
वहीं, आम के ज्यादा सेवन से अपच की भी समस्या हो जाती है. इससे कब्ज, लूज मोशन पेट में ऐंठन आदि की परेशानी खड़ी हो सकती है.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ/त्वचा के बेहतर स्वास्थ्य में एक हेल्दी डाइट महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसलिए आपको अपनी डाइट का चुनाव करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए की शरीर के लिए जरूरी सारे पोषक तत्व आपके 3 टाइम मील में शामिल हों. आपका खान-पान अच्छा है कि खराब ये आपके चेहरे से साफ पता लग जाता है. ऐसे में हम यहां पर उन फूड्स की लिस्ट शेयर कर रहे हैं, जिसे खाना शुरू कर देना चाहिए.
चेहरे की चमक कैसे पाएं वापस
- स्ट्रॉबेरी में त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जैसे कि विटामिन सी, एंथोसायनिन, फेनोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड्स. विटामिन सी त्वचा के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह त्वचा की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाता है और कोलेजन के उत्पादन के लिए आवश्यक है.
- प्रोबायोटिक्स के रूप में जाने जाने वाले हेल्दी बैक्टीरिया और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ खाना, पेट और त्वचा की हेल्थ के लिए सर्वोत्तम तरीकों में से एक है.
- ऑरेंज एक प्रकार का साइट्रस फल है जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर, लाल रंग का गूदा होता है. ब्लड ऑरेंज का रूबी रंग एंथोसायनिन नामक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट यौगिकों के उच्च स्तर से आता है, जो त्वचा कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है.
- सूरजमुखी के बीज प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जो त्वचा के लिए जरूरी पोषक तत्व है और घाव भरने और नई त्वचा कोशिकाओं के निर्माण के लिए ज़रूरी है. इनमें विटामिन ई भी भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर में एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /प्रतिदिन आपके द्वारा खाए जाने वाले कैलोरी की संख्या को कम करना वजन घटाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है. हालांकि, यह पता लगाना कि आपको कितनी कैलोरी खानी चाहिए, मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यह आपकी उम्र, जेंडर, वजन और गतिविधि पर निर्भर करता है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं वेट लॉस के लिए कितनी कैलोरी हर रोज खाना सुरक्षित है वेट लॉस के लिए.
वजन कम करने के लिए रोज खाएं इतनी कैलोरी
- यदि आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो आमतौर पर प्रतिदिन 1200 कैलोरी का सेवन करना कैलोरी की कमी माना जाता है. सुरक्षित तरीके से वजन घटाने के लिए, सप्ताह में 1 से 2 पाउंड वजन कम करने का लक्ष्य रखना सही है.
- वजन बनाए रखने के लिए, 26-50 वर्ष की आयु के बीच एक मध्यम रूप से सक्रिय महिला को हर दिन लगभग 2,000 कैलोरी की जरूरत होती है.
- जो महिलाएं शारीरिक रूप से बहुत सक्रिय हैं और प्रतिदिन 3 मील से अधिक चलती हैं, उन्हें वजन बनाए रखने के लिए प्रति दिन कम से कम 2,200 कैलोरी की आवश्यकता होती है.
- 50 से अधिक महिलाओं को कम कैलोरी की आवश्यकता होती है. 50 वर्ष से अधिक की मध्यम रूप से सक्रिय महिला को वजन बनाए रखने के लिए प्रति दिन 1,800 कैलोरी की जरूरत होती है.
आस्था /शौर्यपथ /सदियों से हिन्दू धर्म में साधु संन्यासियों का विशेष आदर और सम्मान किया जाता रहा है. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को साधु संतों का आशीर्वाद मिलता है उनके घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. साथ ही यह भी कहते हैं कि कभी साधु संतों को द्वार से नहीं लौटाना चाहिए. उनका नाराज होना अच्छा नहीं माना जाता है. आपको बता दें कि साधु संन्यासी सबसे ज्यादा कुंभ मेले में देखने को मिलते हैं. जिन्हें देखने के बाद एक बात मन में आती है कि ये आखिर भगवा, काला और सफेद रंग ही क्यों पहनते हैं? तो आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह.
भगवा काला, सफेद और भगवा रंग क्यों पहनते हैं
शैव और शाक्य साधु भगवा रंग पहनते हैं. यह रंग ऊर्जा और त्याग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवा रंग के कपड़े धारण करने से मन नियंत्रिंत रहता है और दिमाग में नकारात्मक ख्याल नहीं आते और शांत रहता है मन.
सफेद रंग साधु
वहीं,जैन धर्म को मानने वाले साधु संत हमेशा सफेद रंग के वस्त्र पहने नजर आते हैं. आपको बता दें कि जैन मुनियों में दो तरह के साधु होते हैं, पहले दिगंबर और दूसरे श्वेतांबर. दिगंबर जैन साधु अपना पूरा जीवन निर्वस्त्र व्यतीत करते हैं, जबकि श्वेतांबर सफेद कपड़े में जीवन बिताते हैं.
काले रंग साधु
इसके अलावा काले रंग का वस्त्र धारण करने वाले साधु को तांत्रिक की संज्ञा दी जाती है. इस रंग के कपड़े पहनने वाले साधु तंत्र-मंत्र विद्या में पारंगत होते हैं. ये साधु काले कपड़ों के अलावा, रुद्राक्ष की माला भी धारण करते हैं.
आस्था /शौर्यपथ /ओम को अनंत शक्ति का प्रतीक और ब्रह्माण्ड का सार माना गया है. ओम को ब्रह्माण्ड की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी ध्वनियों में शामिल किया गया है. इसमें ब्रह्माण्ड का रहस्य छिपा है. ओम के उच्चारण व जाप से धर्म, कर्म, अर्थ ओर मोक्ष की प्राप्ति होती है. ओम की ध्वनि शाश्वत है इसे किसी ने बनाया नहीं है इसीलिए इसे अनहद नाद भी कहते हैं. मान्यता है कि ओम में 'अ' से आदि कर्ता ब्रह्मा, उ से विष्णु और म से महेश यानि शिव का बोध होता है. ओम के उच्चारण से गले में स्थित थायराइड ग्रंथि में कंपन होता है जिसका सकारात्मक असर पड़ता है. आइए जानते हैं ओम का रहस्य और इसका महत्व….
शास्त्रों में ओम
जब हम ओम का उच्चारण करते हैं तो तीन अक्षरों की ध्वनि निकलती है. ये तीन अक्षर अ,उ और म हैं. इन तीनों अक्षरों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है. मांडूण्य उपनिषद में कहा गया है कि ब्रह्माण्ड में वर्तमान, भविष्य और भूतकाल से परे जो हमेशा मौजूद रहता है वह ओम है. खगोलविदों के अनुसार ब्रह्माण्ड में ओम की ध्वनि निरंतर सुनाई पड़ती है. ओम में ही ब्रह्माण्ड रहस्य निहित है.
ओम में निहित है तन्मात्रा
सनातन धर्म में प्रकृति को पंचभूतों की श्रृंखला की संज्ञा दी गई है. ये पंच महाभूत अग्नि, वायु, आकाश, जल और धरती हैं. मांडूक्य उपनिषद में तन्मात्रा का महत्व बताया गया है. तन्मात्रा को चेतना का पूंज बताया गया है जिसके माध्यम से प्रकृति, प्राणी ओर जीवन ऊर्जावान हैं. तन्मात्रा ओम में निहित है.
ओम ही ब्रह्म
यजुर्वेद में कहा गया है ओम ब्रह्म है और ओम सर्वत्र व्याप्त है. ओंकार तीन गुणों का प्रतिनिधित्व करता है 1 इनमें सात्विक, राजसी और तामसी गुण शामल हैं. ओम को इत्येत् अक्षर यानि अविनाशी, अव्यय और क्षरण रहित बताया गया है. ओम के उच्चारण से मन से चिंता और तनाव दूर होते हैं. इसके उच्चारण से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है. गीता में बताया गया है कि किसी भी मंत्र के पहले ओम के उच्चारण से पुण्य प्राप्त होता है.
आस्था /शौर्यपथ /भीषण गर्मी का दौर नौतपा जारी है. अयोध्या में भी तापमान लगातार ऊपर चल रहा है. राम मंदिर में विराजमान प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप रामलला को भीषण गर्मी से बचाने के लिए कई व्यवस्थाएं की गई हैं. यहां तक कि उनके भोग में भी बदलाव किया गया है. प्रभु को विशेष रूप से गर्मी केअनुकूल सूती वस्त्र पहनाएं जा रहे हैं और भोग में शीतल प्रकृति की चीजें चढ़ाई जा रही हैं. आइए जानते हैं अयोध्या में रामलला को आजकल भोग में क्या चढ़ाया जा रहा है.
भीषण गर्मी में शीतल भोग
अयोध्या में जनवरी के माह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी और उस समय सर्दी का मौसम था. अब मई और जून में अयोध्या में भीषण गर्मी पड़ रही है. यहां तापमान लगातार 42 डिग्री से ऊपर चल रहा है. ऐसे में प्रभु को हर दिन जलाभिषेक के बाद सूती वस्त्र पहनाएं जा रहे हैं. इसके साथ ही सुबह शाम लस्सी का भोग लगाया जा रहा है. भोग में मौसमी और रसीले फल शामल किए जा रहे हैं. पहले प्रभु को खीर पूड़ी का भोग लगाया जाता था.
चल रहा है नौतपा
गर्मी में मौसम में नौ दिन धरती सबसे ज्यादा तपती है और इसे नौतपा कहते हैं. 25 से शुरू हुआ नौतपा 2 जून तक जारी रहेगा. पंचांग के अनुसार सूर्य के रोहिणी नक्षत्र मे प्रवेश करने पर नौतपा शुरू होता है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में अगर बारिश नहीं होती है, तो उस वर्ष अच्छी बारिश होती है लेकिन नौतपा के दौरान बारिश होने से अच्छी बारिश नहीं होने के संकेत मिलते हैं.
भक्तों को ओआरएस दिया गया
इतनी गर्मी के बावजूद अयोध्या पहुंचने वाले भक्तों की संख्या में कमी नहीं आई है. श्रद्धालुओं को भीषण गर्मी से बचाने के लिए अयोध्या की पुलिस ओआरएस का घोल, छाछ, सत्तु का शरबत बांट रही है. प्रशासन की ओर से बच्चों और बुजुर्गों को खाली पेट नहीं रहने और अपने साथ पानी रखने की सलाह दी गई है.
शौर्यपथ /संसार में घटने वाली घटनाओं का जिक्र पुराणों में किसी न किसी रूप में किया गया है. विष्णु पुराण में जीवन मृत्यु से लेकर युगों के शुरू और समाप्त होने के बारे में बताया गया है. इस पुराण में प्रकृति और मौसम के संबंध और प्रलय में दुनिया में समाप्त होने के बारे में भी बताया गया है. मौसम संबंधी भीषण बदलाव जैसे अत्यधिक गर्मी, बारिश या ठंड प्रलय का कारण बन सकते हैं. विष्णु पुराण में भीषण गर्मी का भी जिक्र किया गया है. आइए जानते हैं विष्णु पुराण के अनुसार लगातार बढ़ती गर्मी किस बात का संकेत है...
गर्मी के टूटे रिकार्ड
मई में माह में पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मी जून माह में भी जारी रहने वाली है. राजस्थान, दिल्ली और मध्यप्रदेश में पारा 45 डिग्री के पार गया है और हीटवेव के अभी जारी रहने की आशंका है. ऐसे में विष्णु पुराण में गर्मी के बढ़ने के बारे में की गई भविष्यवाणी सच होती नजर आ रही है.
देवलोक के चतुर्युग के बाद परिवर्तन
देवलोक और भूलोक के समय का चक्र अलग-अलग है. जहां धरती पर 12 माह का एक वर्ष होता है वहीं देवलोक में एक दिन ही धरती के एक वर्ष के बराबर होता है. धरती के तीन सौ साठ वर्षों के बराबर देवलोक का एक वर्ष होता है. ऐसे 1 हजार दिव्य वर्षों का एक चतुर्युग होता है और चतुर्युग के बाद परिवर्तन आता है. प्रलय जैसी घटनाएं इस परिवर्तन का कारण हो सकती है.
भीषण गर्मी और घोर ठंड प्रलय का संकेत
विष्णु पुराण के अनुसार एक चतुर्युग बीतने के बाद धरती क्षीण होने लगती है और उसकी उर्वरता समाप्त होने लगती है. इससे प्राणी जगत भी निर्जीव होने लगता है. इस समय भीषण गर्मी, बारिण या ठंड प्रलय का कारण बन सकती है. गर्मी बढ़ने पर भगवान विष्णु सूर्य की किरणों में स्थित हो धरती से सारा जल सोख लेते हैं और जिससे जीवन समाप्त हो जाता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. मान्यता है कि ज्येष्ठ माह में भगवान श्रीराम से हनुमाह जी की मुलाकात हुई थी इसलिए इस माह के मंगलवार को हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. इस वर्ष बड़ा मंगल 28 मई से शुरू हो चुका है और आने वाले बड़ा मंगल 4 जून, 11 जून और 18 जून को है. बड़ा मंगल को विधि विधान से भगवान हनुमान की पूजा करने से जीव के दुख व परेशानियां समाप्त हो जाती है. मान्यता है कि बड़ा मंगल को हनुमान जी की प्रिय कुछ खास चीजें घर लाने से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं बड़ा मंगल का हनुमान जी प्रिय कौन सी चीजें घर लाने से जाग जाता है भाग्य
बड़ा मंगल को घर में जरूर लाएं ये चीजें
सिदूंर
भगवान राम के परम भक्त बजरंगबली को सिंदूर अत्यंत प्रिय है. बड़ा मंगल को घर में सिंदूर लाना शुभ होता है. इस दिन सिंदूर घर लाने से परिवार पर भगवान हनुमान की कृपा बनी रहती है.
गदा
हनुमान जी का प्रिय अस्त्र गदा है और वे हमेया गदा धारण कए रहते हैं. बड़ा मंगल को घर में गदा लाना शुभ होता है. इससे घर में सुख-शांति आती है. गदा को घर के पूर्व दिशा में रखना चाहिए.
केसर
हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए बड़ा मंगल को घर में केसर लाएं। मान्यता है कि सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और हनुमान जी प्रसन्न होते हैं.
छत पर लगाए केसरिया झंडा
बड़ा मंगल पर केसरियां झंडा लाएं और उसे अपन घर के छत पर लगा दें. मान्यता है कि इससे नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं करती है और बजरंग बली की कृपा से परिवार पर कोई संकट नहीं आता है.
कब कब है बड़ा मंगल
ज्येष्ठ माह के मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है इस वर्ष चार बड़ा मंगल है.
पहला बड़ा मंगल- 28 मई 2024
दूसरा बड़ा मंगल - 4 जून 2024
तीसरा बड़ा मंगल - 11 जून 2024
चौथा बड़ा मंगल - 18 जून 2024